चन्दन कुमार
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने अपने राजनीतिक उतराधिकारी के तौर पर आतिशी के नाम का प्रस्ताव रखा है. आखिर आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर क्या सिद्ध करना चाहते है केजरीवाल? अरविन्द केजरीवाल विगत कई महीनों से भ्रष्टाचार्य के आरोप मे जेल मे बंद थे. इस महीने सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर बाहर आने के बाद से केजरीवाल ने दिल्ली मे नया सियासी दाव साधने की कोशिश की है.
एक समय था जब केजरीवाल गिरफ्तार हुए तो दिल्ली मे विपक्ष के सभी नेताओ और राजनीतिक पार्टियों ने उनके इस्तीफे की मांग की, पर भ्रष्टाचार्य के आरोप एवं जेल जाने के बाद भी दिल्ली सीएम अरविन्द केजरीवाल ने इस्तीफा नहीं दिया. अब जेल से आने के बाद जनता से बिना कोई विमर्श किये, उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओ को संबोधित करने के बाद विधायक दल की बैठक बुलाकर अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश कर दिया है. इसके अलावे अगले सीएम के रूप मे अपने मंत्री आतिशी के नाम की स्वीकृती भी विधायक दल की बैठक मे पारित करवा लिया है.
इन सबके पीछे केजरीवाल का तर्क यह है कि- वह ऐसा करके यह संदेश देना चाहते हैं की उनको मुख्यमंत्री पद का कोई लोभ नहीं है. यदी दिल्ली की जनता उनको फिर से चुनाव जिताएगी तभी वो मुख्यमंत्री मनेंगे.
अब सवाल यह बनता है कि- केजरीवाल भ्रष्टाचारी हैं या नहीं इसका सर्टिफिकेट जनता से लेना चाहते है. इस बात पर केजरीवाल जोर भी दे रहे है की मैं जनता की अदालत मे जाऊंगा. अरविन्द केजरीवाल इस सच्चाई को भली भांति जानते हैं कि- जनता अपने प्रतिनिधि का चुनाव करती है. प्रतिनिधि पर लगा भ्रष्टाचार का आरोप सही है या गलत इसका निर्णय अदालत करती है. इस बात से भली-भांति अवगत अरविन्द केजरीवाल दिल्ली वालों को क्यों गूमराह कर रहे है? इसका कारण साफ दिख रहा है की आने वाले तीन से चार महीने बाद दिल्ली का चुनाव है.
इसमें एक नई रणनीति के तहत अरविन्द केजरीवाल जनता की सहानुभूति लेने का मौका तलाश रहे है. यहाँ तक तो ठीक है, पर नए मुख्यमंत्री के लिए उन्होंने आतिशी के नाम का घोषणा किया. उसके बाद से दिल्ली प्रदेश की राजनीति में गर्माहट शुरू हुई है. उन्ही की पार्टी के राज्यसभा सांसद स्वाती मलिवाल ने आतिशी के खिलाफ बगावत के शूर छेड दी. उन्होंने कहा की संसद हमले के मुख्य आतंकवादी अफजल गुरु के समर्थन करने वाले में सबसे आगे आतिशी का पूरा परिवार था. देश के आतंकवादियों के समर्थक को अरविन्द केजरीवाल दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाने जा रहे है ! दिल्ली वालों के लिए इससे बड़ी दुख का दिन क्या होगा.
अब बात दिल्ली वासियों की करें तो दिल्ली की जनता ने अरविन्द केजरीवाल के चेहरे पर ही आम आदमी पार्टी को सत्ता सौपी थी. केजरीवाल के नाम पर ही उनके विधायक जीते. जब केजरीवाल जेल जाने की कगार पर थे तब उनके इस्तीफे की मांग विपक्ष ने पूरे जोर शोर से किया. उस समय उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया और जेल से ही सरकार चलाया ! अब जब वे जेल से जमानत पर बाहर आ गए है तो फिर मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देकर अफजल के फांसी का विरोध करने वालों को सीएम बनाने का निर्णय किया है. दिल्ली मे बनी बनाई अपनी जमीन को देखकर ऐसे ही निर्णय ले लेना कहीं उनके सपनों पर पानी ना फेर दे. क्योंकि सब कुछ वैसा नहीं होता जैसा आप तय करना चाहते हैं.