सतीश मुखिया
मथुरा। मसानी बाईपास रोड स्थित ग्राम: सराय आजमाबाद, स्थित गाटा संख्या 22 के रकवा 9.29 एकड़ अर्थात 3.762 हेक्टेयर का आवंटन मथुरा कलेक्ट्रेट कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड मथुरा का अभिलेखों में अमल दरामद के आधार पर वर्ष 1972/ 73 में होना पाया जाता है। जिसमें शर्त यह थी कि यहां के स्थानीय निवासियों को इसमें प्राथमिकता मिलेगी लेकिन मथुरा कलेक्ट्रेट कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति मथुरा अथवा इसका कोई सदस्य ग्राम सराय आजमाबाद का कभी निवासी ही नहीं रहा है।
आवंटन नियमानुसार नहीं है और यह अनियमित है जिसका आधार जांच समिति ने जांच करते हुए बताया कि अनियमित आवंटन के विरुद्ध इसके निरस्तीकरण की कार्रवाई प्रस्तावित है और इस आवंटन के विरुद्ध निरस्तीकरण हेतु उत्तर प्रदेश ज ० वि ० एवं भूमि व्यवस्था नियमावली के नियम 115 पी के अंतर्गत बाद आयोजित कर कार्रवाई प्रस्तावित है लेकिन नगर निगम के कर्मचारियों की मिली भगत के कारण आज तक इस भूमि से कब्जे हटाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जांच अधिकारी ने आगे पुनः कहां है कि परिवार रजिस्टर गांव सभा सराय आजमाबाद तहसील व जिला मथुरा को सामने रखकर आवंटन करते समय परिवार का उल्लेख किया जाना परम आवश्यक है। इसलिए जानबूझकर इस तत्व को छुपाया गया तथा परिवार रजिस्टर बड़ा ही महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसको संबंधित से लेकर उपलब्ध कराया जाए।
उन्होंने कहा कि किसी भी भूमि का भू उपयोग परिवर्तन करने के लिए परगना अधिकारी अधिकृत होते हैं भू उपयोग परिवर्तन करके ही किसी भी आरक्षित भूमि में पट्टा काटा जाना व परगना अधिकारी द्वारा पट्टे को स्वीकृत किया जाना न्याय संगत होता है जबकि भू उपयोग परिवर्तन का कोई भी दिनांक व कारण जिलाधिकारी के आख्या में स्पष्ट नहीं किया गया है। आवंटन प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश के शासनादेशों का अनुपालन नहीं किया गया है शासन के निर्धारित मानकों को पूरा नहीं किया गया है और सीरदार, असंकमणिय व संक्रमणीय का खतौनी में कहीं भी उपरोक्त शिकायत में दर्ज नंबरों में उल्लेख नहीं है जिससे पट्टे दार को अधिकार प्राप्त होते हैं । खसरा संख्या : 22 की कुल भूमि 12.42 एकड़ में से अनुसूचित जाति के बाल्मिकी पात्र पट्टे दारो को काबिज नहीं होने दिया जा रहा है जब की 1976 से कब्जा चल रहा है तथा 9.295 एकड़ भूमि पर एक तथाकथित फर्जी संस्था मथुरा कलेक्ट्रेट कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड मथुरा के नाम से संचालित समिति द्वारा अनधिकृत रूप से बैनामा भी किया जा रहे हैं और अर्बन रुपए की सरकारी जमीन भू माफिया द्वारा बैनामा कर दी गई है, जिससे सरकार को वित्तीय हानि पहुंची है ।
अब सवाल यह उठता है जब सरकार द्वारा इस जमीन को बंजर घोषित कर दिया गया है और इस पर किसी भी तरह का कोई निर्माण नहीं हो सकता लेकिन देखने में आ रहा है कि दबंग अपना कार्य धड़ल्ले से कर रहे हैं और दलित ,वंचित समाज के लोग अपने घरों में ईट नहीं लगा सकते, क्या हम आजाद हैं। यह सवाल सामने खड़ा है वैसे तो हम लोगों को आजाद हुई लगभग 75 वर्ष बीत चुके है लेकिन निरंकुश शासन की तानाशाही से इस देश की जनता कब आजाद होगी यह पता नहीं । कलेक्ट्रेट कॉलोनी में कुल 77 प्लॉट आवंटित है l वर्तमान अभिलेखों में मथुरा कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ सहकारी गृह निर्माण समिति 3.762 हेक्टर के नाम भूमि खसरा संख्या 22 में दर्ज है जिसे समिति द्वारा तहसीलदार मथुरा के माध्यम से उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार पूर्व में क्रमांक 1 से 77 तक कुल 77 व्यक्तियों के नाम आवंटित किया गया था सूची में किसको कितना क्षेत्रफल आवंटित किया गया था यह उल्लेखित नहीं है तथा क्रमांक 5 9 12 13 21 23 36 39 44 48 5058 कुल 13 आवंटन के नाम के साथ कलेक्ट्री कर्मचारी होना अंकित है, शेष कलेक्ट्रेट कर्मचारी हैं अथवा नहीं इसका उल्लेख सूची पर नाम के साथ नहीं है । वाद संख्या 05/2012/ 2013 धारा 115 पीके अंतर्गत वाद दायर किया गया था उस वाद में दिनांक 30/ 12/ 2016 को माननीय न्यायालय ने उन सभी पट्टे को निरस्त कर यह संपत्ति ग्राम समाज में दर्ज कर दी, ग्राम समाज में दर्ज होने के पश्चात वहां के दबंग माफिया ने अपनी दबंगई के बल पर पट्टे वाली भूमि को अपने कब्जे में ले लिया । उनमें से कुछ लोग आज भी उच्च न्यायालय इलाहाबाद में केस लड़ रहे हैं और मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं लेकिन दबंग प्रवति के व्यक्ति कानून को धत्तता बताते हुए और सरकार को ठेंगा पर रखकर इस जमीन पर खुले आम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए निर्माण कर रहे हैं ।
केस 01: वर्ष 2018 को मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण द्वारा एक प्रॉपर्टी को सील किया था l लेकिन आज तक वह प्रॉपर्टी सील ही नहीं हुई है और उसमें वर्तमान में खुले आम निर्माण चल रहा है ।
केस 02: पत्रांक 531/ नजूल /निगम मथुरा वृंदावन द्वारा 23 जुलाई 2024 को अवैध निर्माण और अतिक्रमण हटाने का नोटिस जारी किया गया था लेकिन आज भी वह निर्माण ज्यों की क्यों अपने स्थान पर उपस्थित है। अब आप इसे क्या कहेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन इन लोगों के सामने पंगु बना हुआ है और जिम्मेदार अधिकारी अपनी आंखें मूंद कर चैन की नींद सोए हुए हैं। इस कॉलोनी में जमीन के खरीद और बिक्री व निर्माण पर नगर निगम मथुरा वृंदावन द्वारा पूर्णता प्रतिबंध है लेकिन यह रोक सिर्फ कागजों में ही दिखाई पड़ रही है और धरातल पर इस का कोई असर नजर नहीं आ रहा है।