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Home राष्ट्रीय

राहुल गांधी के भाषण के दौरान बार-बार क्यों निकली रूल बुक, जानें

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
July 1, 2024
in राष्ट्रीय, विशेष
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Rahul Gandhi
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नई दिल्ली : संसद सत्र के छठे दिन सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भाषण दिया. उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भाषण दिया. बतौर विपक्ष के नेता ये उनका पहला भाषण था.

अपनी स्पीच की शुरुआत में राहुल गांधी ने भगवान शिव की तस्वीर दिखाई, जिसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने उन्हें रोका. ओम बिरला ने राहुल गांधी को संसदीय कार्यवाही की रूल बुक का हवाला देते हुए कहा कि नियमों के मुताबिक संसद में किसी प्लेकार्ड या तस्वीर को नहीं दिखाया जा सकता.

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राहुल गांधी ने लगभग पौने दो घंटे भाषण दिया. इस दौरान कई बार एनडीए के सांसदों ने नियमों के उल्लंघन का दावा भी किया. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक ने… कई बार लोकसभा की रूल बुक दिखाई और नियम बताए.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की स्पीच के दौरान नियम 349, 352, 151 और 102 समेत कई नियमों का जिक्र हुआ. ऐसे में जानते हैं कि संसद में भाषण देते समय किन नियमों को ध्यान में रखना होता है?

नियम 349 में क्या है?

लोकसभा की रूल बुक में नियम 349 से लेकर 356 तक संसद में भाषण देते वक्त किन बातों का ध्यान रखना है, इसका जिक्र किया गया है.

नियम 349(1) कहता है कि भाषण के दौरान ऐसी किसी किताब, अखबार या पत्र नहीं पढ़ा जा सकता, जिसका सदन की कार्यवाही से कोई संबंध न हो. नियम 349(2) कहता है कि किसी सदस्य के भाषण देते वक्त शोरशराबा या किसी भी तरीके से बाधा नहीं डाली जा सकती.

नियम 349(12) में लिखा है कि कोई भी सदस्य स्पीकर की कुर्सी की ओर पीठ करके न तो बैठेगा और न ही खड़ा होगा.

इसी रूल बुक का नियम 349(16) कहता है कि सदन में कोई भी सदस्य झंडा, प्रतीक या कोई भी चीज प्रदर्शित नहीं करेगा. राहुल गांधी की ओर से भगवान शिव की तस्वीर दिखाने पर स्पीकर ओम बिरला ने इसी नियम का हवाला दिया था.

बोलते समय किन बातों का ध्यान रखना होगा?

रूल बुक के नियम 352 में उन नियमों का जिक्र है, जिनका हर सदस्य को बोलते समय ध्यान रखना जरूरी है.

नियम 352(1) कहता है कि कोई भी सदस्य भाषण देते वक्त ऐसे तथ्य या निर्देश का जिक्र नहीं करेगा, जो किसी अदालत के सामने लंबित हो. 352(2) के तहत, किसी सदस्य पर पर्सनल अटैक नहीं किया जा सकता.

नियम 352(3) के मुताबिक, कोई भी सदस्य सदन या किसी राज्य की विधानसभा की कार्यवाही को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं करेगा. नियम 352(5) के तहत, ऊंचे पद पर बैठे किसी व्यक्ति के खिलाफ आपत्तिजनक या अपमानजनक टिप्पणी नहीं की जा सकती.

रूल बुल का नियम 352(6) कहता है कि कोई भी सदस्य बहस या चर्चा के दौरान राष्ट्रपति के नाम का भी इस्तेमाल नहीं कर सकता. इतना ही नहीं, किसी सरकारी अधिकारी के नाम का भी जिक्र नहीं कर सकते. नियम 352(11) के मुताबिक, कोई भी सदस्य स्पीकर की अनुमति के बगैर कोई भी लिखित भाषण नहीं पढ़ सकता.

और क्या-क्या नहीं कर सकता सांसद?

रूल बुल का नियम 353 कहता है कि कोई भी सदस्य किसी व्यक्ति के खिलाफ तब तक कोई अपमानजनक टिप्पणी या आरोप नहीं लगाएगा, जब तक स्पीकर की मंजूरी न हो.

नियम 354 के मुताबिक, कोई भी सदस्य राज्यसभा में दिए भाषण का जिक्र लोकसभा में तब तक नहीं करेगा, जब तक वो किसी मंत्री की ओर से न दिया गया हो या फिर किसी नीति से जुड़ा न हो. वहीं, नियम 355 कहता है कि अगर चर्चा के दौरान कोई सदस्य किसी सदस्य से कोई सवाल पूछना चाहता है तो वो स्पीकर के माध्यम से ही सवाल कर सकता है.

क्या कहता है नियम 356?

राहुल गांधी के भाषण के दौरान नियम 356 का भी जिक्र हुआ. केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के सामने नियम 356 का हवाला दिया. ये नियम कहता है कि अगर कोई सदस्य भाषण के दौरान बार-बार असंगत बात कर रहा हो तो स्पीकर उसे अपना भाषण बंद करने का निर्देश दे सकते हैं.

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