स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने हाल ही में दिल्ली के लुटियंस जोन में स्थित अपने सरकारी बंगले, 35 लोधी एस्टेट को खाली कर दिया है। यह बंगला उन्हें फरवरी 2024 में राष्ट्रीय पार्टी की अध्यक्ष के रूप में आवंटित किया गया था। मायावती ने 20 मई 2025 को इस बंगले की चाबियां केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) को सौंप दीं। इस कदम ने सियासी गलियारों में चर्चाओं को जन्म दिया है और इसके पीछे की वजहों को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। आइए, इनकी इनसाइड स्टोरी को एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
बंगला खाली करने की बताई गई वजह
बसपा की ओर से आधिकारिक तौर पर कहा गया है कि मायावती ने यह बंगला सुरक्षा कारणों से खाली किया है। 35 लोधी एस्टेट के पास एक स्कूल है, जिसके कारण वहां वाहनों की आवाजाही और भीड़ रहती थी। मायावती को Z+ सुरक्षा प्राप्त है और उनके आवास पर बम निरोधक दस्तों की तैनाती से स्कूल प्रशासन और स्थानीय लोगों को असुविधा हो रही थी। बसपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि सड़क पर स्कूल वैन और अन्य वाहनों की मौजूदगी से सुरक्षा बलों को दिक्कत हो रही थी, जिसके चलते यह फैसला लिया गया।
हालांकि, दिल्ली पुलिस ने किसी प्रत्यक्ष सुरक्षा खतरे से इनकार किया है और कहा है कि मायावती की Z+ सुरक्षा व्यवस्था उनके नए निवास पर भी जारी रहेगी।
सियासी अटकलें क्या है असली वजह?
हालांकि सुरक्षा कारणों को प्रमुखता से बताया जा रहा है, लेकिन कई लोग इसे बसपा की आंतरिक रणनीति और सियासी संदेश से जोड़कर देख रहे हैं। बसपा का 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा, जिसके कारण उसका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खतरे में है। मायावती का यह कदम कुछ विश्लेषकों द्वारा एक रणनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है। यह संदेश हो सकता है कि मायावती अपनी छवि को और पारदर्शी बनाना चाहती हैं और किसी भी तरह से सत्तारूढ़ भाजपा से लाभ लेने की छवि से बचना चाहती हैं।
भाजपा से दूरी की रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, मायावती नहीं चाहतीं कि उन्हें भाजपा से किसी तरह का लाभ लेते हुए देखा जाए। हाल ही में उनके भतीजे आकाश आनंद की Y-श्रेणी सुरक्षा वापस लिए जाने के बाद भी मायावती ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। बंगला खाली करना भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
2027 के यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारी
मायावती के हालिया सियासी फैसलों को 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की रणनीति से जोड़ा जा रहा है। बंगला खाली करना और पार्टी की छवि को मजबूत करना उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि “मायावती इस कदम से अपनी पार्टी को एक नई दिशा देने की कोशिश कर रही हैं।”
यह टाइप-VII का सरकारी बंगला है, जिसमें 24 से अधिक कमरे हैं। यह बंगला बसपा के केंद्रीय कार्यालय (29 लोधी एस्टेट) के ठीक पीछे स्थित है, जिससे यह मायावती के लिए आदर्श स्थान था। इससे पहले मायावती 29 लोधी एस्टेट में रहती थीं, जिसे अब बसपा का केंद्रीय कार्यालय घोषित किया गया है। 2014 में मायावती ने अपने तत्कालीन बंगले के सामने एक बस स्टॉप को सुरक्षा कारणों से हटवाया था, जिसे लेकर भी विवाद हुआ था। बसपा के वरिष्ठ नेता इस मुद्दे पर ज्यादा बोलने से बच रहे हैं। राष्ट्रीय महासचिव मेवा लाल ने कहा कि “उन्हें इस फैसले की कोई जानकारी नहीं है।” यह चुप्पी भी सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है।
प्रशासनिक कदम और सियासी रणनीति !
मायावती का दिल्ली का सरकारी बंगला खाली करना एक प्रशासनिक कदम के साथ-साथ सियासी रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है। हालांकि सुरक्षा कारणों को आधिकारिक वजह बताया गया है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा की कमजोर स्थिति और 2027 के यूपी चुनाव की तैयारियों को देखते हुए इसे एक सोची-समझी रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। मायावती का यह कदम उनकी छवि को मजबूत करने और सत्तारूढ़ दल से दूरी बनाए रखने की कोशिश हो सकता है।
मायावती की अगली सियासी रणनीति ?
मायावती की अगली सियासी रणनीति को समझने के लिए हाल के घटनाक्रम और उनकी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), के प्रदर्शन को देखना जरूरी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बसपा के निराशाजनक प्रदर्शन और उत्तर प्रदेश में लगातार कमजोर होते जनाधार ने मायावती को 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए नई रणनीति तैयार करने पर मजबूर किया है।
अगली सियासी रणनीति 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी पर केंद्रित है। वह दलित, OBC, मुस्लिम और सवर्ण वोटरों को एकजुट करने, संगठन को मजबूत करने, और स्वतंत्र छवि बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि, उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती सपा-कांग्रेस गठबंधन और खिसकते जनाधार को रोकना है। उनकी आक्रामकता और पुराने तेवरों की वापसी से सियासी हलचल तो बढ़ी है, लेकिन क्या वह 2007 की तरह इतिहास दोहरा पाएंगी, यह 2027 में ही पता चलेगा।