प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: YouTube ने हाल ही में बच्चों के लिए सुरक्षित और विश्वसनीय सामग्री सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, विशेष रूप से AI-जनरेटेड फर्जी या भ्रामक सामग्री (disinformation) को पहचानने और नियंत्रित करने के लिए। यहाँ इस बदलाव की पूरी जानकारी दी गई है, जो मुख्य रूप से 2023 और 2024 में सामने आए अपडेट्स और नीतियों पर आधारित है।
AI-जनरेटेड कंटेंट की पहचान और लेबलिंग नई नीति
YouTube ने मार्च 2024 में एक नया टूल पेश किया, जिसके तहत क्रिएटर्स को यह खुलासा करना अनिवार्य है कि उनका कंटेंट AI का उपयोग करके बनाया गया है या इसमें कोई बदलाव (altered or synthetic content) किया गया है, खासकर अगर यह वास्तविक लगता हो। इसका उद्देश्य दर्शकों को यह बताना है कि वे जो देख रहे हैं, वह असली है या AI-जनरेटेड।
ऐसे कंटेंट पर एक लेबल लगाया जाता है, जो वीडियो के डिस्क्रिप्शन में या संवेदनशील विषयों (जैसे स्वास्थ्य, चुनाव, या समाचार) से संबंधित वीडियो पर अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। यह लेबल दर्शकों को सचेत करता है कि सामग्री पूरी तरह वास्तविक नहीं हो सकती। यह नीति फिलहाल क्रिएटर्स की ईमानदारी पर आधारित है, क्योंकि YouTube पूरी तरह से स्वचालित AI डिटेक्शन टूल्स पर निर्भर नहीं है। हालांकि, कंपनी AI डिटेक्शन टूल्स को बेहतर करने पर काम कर रही है।
बच्चों के लिए विशेष चिंताएँ
बीबीसी की एक जांच (सितंबर 2023) में पाया गया कि YouTube पर 50 से अधिक चैनल 20 से ज्यादा भाषाओं में AI-जनरेटेड फर्जी “वैज्ञानिक” वीडियो फैला रहे थे, जो बच्चों को “शैक्षिक सामग्री” के रूप में सुझाए जा रहे थे। ये वीडियो बिजली पैदा करने वाले पिरामिड, जलवायु परिवर्तन की अस्वीकृति और एलियंस जैसे कॉन्सपिरेसी थ्योरीज को बढ़ावा देते थे।
बच्चों की जिज्ञासा का दुरुपयोग
ये वीडियो बच्चों की जिज्ञासा का फायदा उठाते हैं, क्योंकि बच्चे इन्हें सच मान सकते हैं। शिक्षकों और विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि यह भ्रामक सामग्री बच्चों के ज्ञान और समझ को प्रभावित कर सकती है। YouTube ने जवाब में कहा कि “13 साल से कम उम्र के बच्चों को YouTube Kids ऐप का उपयोग करना चाहिए, जहां कंटेंट की गुणवत्ता पर ज्यादा नियंत्रण होता है। हालांकि, कई बच्चे नियमित YouTube का उपयोग करते हैं, जहां ऐसी सामग्री आसानी से उपलब्ध है।
AI कंटेंट का तेजी से निर्माण
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इन फर्जी वीडियो को बनाने के लिए AI टूल्स जैसे ChatGPT और MidJourney का उपयोग किया जा रहा है। ये टूल्स टेक्स्ट, इमेज, और नैरेशन को तेजी से जनरेट करते हैं, जिससे चैनल्स रोजाना कई वीडियो अपलोड कर पाते हैं। जैसे-जैसे AI तकनीक बेहतर हो रही है, फर्जी कंटेंट को असली से अलग करना मुश्किल होता जा रहा है। यह बच्चों के लिए खास तौर पर खतरनाक है, क्योंकि वे सामग्री की सत्यता पर सवाल उठाने में कम सक्षम होते हैं।
YouTube की जिम्मेदारी और नीतियाँ
YouTube ने जून 2024 में अपनी प्राइवेसी गाइडलाइंस को अपडेट किया, जिसके तहत यूजर्स AI-जनरेटेड कंटेंट को हटाने का अनुरोध कर सकते हैं, अगर यह उनकी आवाज या चेहरे का उपयोग करता है। यह प्रक्रिया प्राइवेसी उल्लंघन के तहत काम करती है और इसमें 48 घंटे का समय दिया जाता है, जिसमें अपलोडर को कंटेंट हटाने का मौका मिलता है।
YouTube और चैनल क्रिएटर्स भ्रामक वीडियो के साथ चलने वाले विज्ञापनों से मुनाफा कमाते हैं, जिसे विशेषज्ञों ने अनैतिक बताया है। YouTube लगभग 40% विज्ञापन आय लेता है, जिससे इस तरह के कंटेंट को बढ़ावा मिलता है। YouTube Kids में स्वचालित सिस्टम और मानव समीक्षा के जरिए कंटेंट को फ़िल्टर किया जाता है, लेकिन नियमित YouTube पर यह नियंत्रण कम है।
शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका
विशेषज्ञों का कहना है कि “अभिभावकों और शिक्षकों को बच्चों को ऑनलाइन सामग्री की विश्वसनीयता जांचने के लिए शिक्षित करना होगा। सरल सवाल जैसे “क्या यह जानकारी भरोसेमंद स्रोत से है?” या “क्या यह स्कूल में पढ़ाए गए तथ्यों से मेल खाता है?” बच्चों को सिखाए जा सकते हैं। अभिभावक YouTube Kids में सेटिंग्स जैसे सर्च बार बंद करना, प्लेलिस्ट बनाना और चैनल ब्लॉक करना उपयोग कर सकते हैं ताकि बच्चे केवल उपयुक्त कंटेंट देखें।
YouTube की लेबलिंग नीति स्वैच्छिक है, और AI डिटेक्शन टूल्स अभी पूरी तरह विश्वसनीय नहीं हैं। जैसे-जैसे AI तकनीक और सस्ती होती जा रही है, फर्जी बच्चों के एनिमेशन और अन्य कंटेंट का उत्पादन बढ़ रहा है। यह खासकर छोटे बच्चों के लिए चिंता का विषय है, जो इसे असली मान सकते हैं।
सुझाव और सावधानियाँ
YouTube Kids का उपयोग करें, सर्च और ऑटोप्ले बंद करें और बच्चों के साथ मिलकर वीडियो देखें ताकि वे भ्रामक कंटेंट से बच सकें। बच्चों को डिजिटल साक्षरता सिखाएं, ताकि वे फर्जी और असली कंटेंट में अंतर कर सकें।
YouTube की नई AI नीतियाँ बच्चों को भ्रामक सामग्री से बचाने की दिशा में एक कदम हैं, लेकिन ये अभी पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं। अभिभावकों और शिक्षकों को सक्रिय रहना होगा और YouTube को अपनी निगरानी प्रणाली को और मजबूत करना होगा। जैसे-जैसे AI तकनीक विकसित हो रही है, यह चुनौती और जटिल होती जाएगी।