नई दिल्ली: एक अगस्त के साथ जैसे कई रूल्स बदल गए हैं। वैसे ही एक और नया नियम लाया गया है, जिसपर बड़े कारोबारियों को ध्यान देना चाहिए। GST दिशानिर्देशों के अनुसार, ₹5 करोड़ के B2B लेनदेन मूल्य वाली कंपनियों के लिए इलेक्ट्रॉनिक चालान तैयार करना अनिवार्य हो गया। इससे पहले, 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक के वार्षिक राजस्व वाली कंपनियों को ई-चालान जनरेट करना आवश्यक था।
28 जुलाई को केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड ने ट्वीट कर नियम में बदलाव की जानकारी दी। अपने ट्वीट में, CBIC ने बताया कि जीएसटी करदाता जिनका कुल कारोबार किसी भी वित्तीय वर्ष में ₹5 करोड़ से अधिक है, उन्हें 1 अगस्त 2023 से वस्तुओं या सेवाओं या दोनों की B2B आपूर्ति या निर्यात के लिए अनिवार्य रूप से ई-चालान (e-invoice) प्रस्तुत करना होगा।
मई में CBIC द्वारा निचली सीमा वाले व्यवसायों के लिए अधिसूचना जारी की गई थी। इस कदम से GST के तहत संग्रह और अनुपालन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
500 करोड़ से आंकड़ा आया 5 करोड़ तक
ई-चालान शुरू में (2020) 500 करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाली बड़ी कंपनियों के लिए लागू किया गया था और 3 साल के भीतर यह सीमा अब घटाकर 5 करोड़ रुपये कर दी गई है। 1 अक्टूबर, 2020 से 500 करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक राजस्व वाली कंपनियों के लिए और फिर 1 जनवरी 2021 से 100 करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक राजस्व वाली कंपनियों के लिए व्यापार-से-व्यवसाय (B2B) लेनदेन के लिए ई-चालान अनिवार्य कर दिया गया था।
जिन कंपनियों का टर्नओवर 50 करोड़ रुपये से अधिक था, उन्होंने 1 अप्रैल, 2021 से B2B ई-इनवॉइस बनाना शुरू कर दिया था। 1 अप्रैल, 2022 से इसको घटाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया था। 1 अक्टूबर, 2022 तक सीमा को और घटाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया। अब यह 5 करोड़ तक आ पहुंचा है।