प्रकाश मेहरा
एक्जीक्यूटिव एडिटर
पटना। नीतीश कुमार के इकलौते बेटे निशांत कुमार की बिहार की सियासत में चर्चा कई कारणों से तेज हुई है, खासकर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही।
निशांत कुमार का जन्म 20 जुलाई 1975 को हुआ था और वे बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा से इंजीनियरिंग स्नातक हैं। उनकी स्कूली शिक्षा पटना और मसूरी में हुई और बाद में उन्होंने रांची से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। निशांत शांत स्वभाव और आध्यात्मिक रुचि के लिए जाने जाते हैं, और उन्होंने लंबे समय तक राजनीति से दूरी बनाए रखी, जिसके कारण उनकी छवि साफ-सुथरी और विवादमुक्त रही है।
निशांत ने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा कि वे राजनीति में रुचि नहीं रखते और आध्यात्मिक जीवन को प्राथमिकता देते हैं। उदाहरण के लिए, 2024 में पटना में स्पीकर खरीदते समय उन्होंने कहा कि वे “हरे रामा हरे कृष्णा” सुनने के लिए स्पीकर ले रहे हैं और राजनीति में आने की संभावना को खारिज किया।
राजनीति में प्रवेश की अटकलें जेडीयू नेताओं की मांग
जनता दल (यूनाइटेड) के कई नेताओं ने निशांत को सक्रिय राजनीति में लाने की मांग की है। जेडीयू के महासचिव परम हंस कुमार ने 2024 में कहा कि निशांत को पार्टी और राज्य के हित में राजनीति में आना चाहिए। इसी तरह, नालंदा के सांसद कौशलेंद्र ने उन्हें अस्थावां से विधानसभा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया। हाल के महीनों में निशांत की सार्वजनिक उपस्थिति बढ़ी है। 2025 में उनके जन्मदिन पर पटना में जेडीयू कार्यकर्ताओं ने पोस्टर लगाए, जिनमें लिखा था, “बिहार की मांग, सुन लिए निशांत, बहुत-बहुत धन्यवाद।” उन्होंने अपने पिता नीतीश कुमार के विकास कार्यों की तारीफ की और जेडीयू को जिताने की अपील की, जिससे उनके राजनीतिक डेब्यू की अटकलें तेज हुईं।
2025 में पटना में होली समारोह के दौरान निशांत को जेडीयू के वरिष्ठ नेताओं जैसे विजय कुमार चौधरी और संजय कुमार झा के साथ देखा गया, जिसे उनकी राजनीतिक सक्रियता का संकेत माना गया।
विपक्ष और सहयोगियों का रुख
विपक्षी नेताओं ने भी निशांत की चर्चा को हवा दी है। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने नीतीश से बिहार की बिगड़ती कानून-व्यवस्था का हवाला देकर निशांत को मुख्यमंत्री बनाने की सलाह दी। तेजस्वी यादव ने निशांत को “जेडीयू को लुप्त होने से बचाने वाला” कहकर उनकी तारीफ की।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा के नेता उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश को सलाह दी कि वे पार्टी की कमान निशांत को सौंप दें। केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले और जीतन राम मांझी ने भी निशांत के राजनीति में आने का स्वागत किया। तेजप्रताप यादव ने निशांत को आरजेडी में शामिल होने का ऑफर दिया, जिसका निशांत ने जवाब दिया कि “जनता तय करेगी कि क्या करना है।”
नीतीश के बाद उत्तराधिकारी का सवाल
नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन उनकी उम्र और स्वास्थ्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। जेडीयू में नीतीश के बाद कोई मजबूत चेहरा नहीं उभरा है, जिसके कारण निशांत को संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखा जा रहा है। जेडीयू वर्तमान में बिहार की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है और नीतीश की स्थिति कमजोर होने के कारण निशांत को पार्टी को मजबूत करने के लिए एक युवा चेहरा माना जा रहा है। नालंदा जिले की हरनौत विधानसभा सीट, जहां से नीतीश ने 1995 में जीत हासिल की थी, से निशांत के चुनाव लड़ने की अटकलें हैं।
चर्चा के कारण चुनावी साल का प्रभाव
2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं, और इस समय निशांत की सक्रियता को जेडीयू के लिए रणनीतिक कदम माना जा रहा है। आरजेडी और अन्य विपक्षी दल नीतीश को कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर घेर रहे हैं। निशांत को सामने लाकर जेडीयू एक नया चेहरा पेश कर सकती है।
पार्टी कार्यकर्ताओं का दबाव
जेडीयू कार्यकर्ताओं ने निशांत को सक्रिय राजनीति में लाने के लिए पोस्टर और नारे लगाए हैं, जैसे “बिहार का युवा नेता कैसा हो, निशांत कुमार जैसा हो।” नीतीश कुमार ने निशांत के राजनीतिक प्रवेश पर कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है, जिससे अटकलों को और बल मिला है।
निशांत की स्थिति राजनीति से इनकार
निशांत ने 2017 और 2024 में स्पष्ट रूप से राजनीति में न आने की बात कही थी, लेकिन उनकी हालिया गतिविधियों, जैसे जेडीयू के लिए प्रचार और नीतीश के विकास कार्यों की तारीफ, ने उनके रुख में बदलाव की संभावना को जन्म दिया है। सूत्रों के अनुसार, निशांत विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे और न ही उन्हें एमएलसी बनाया जाएगा, लेकिन अंतिम फैसला नीतीश के पास है।
विश्लेषण और सियासी चुनौतियां
वरिष्ठ पत्रकार माधुरी कुमार के अनुसार, निशांत की चर्चा केवल इसलिए है क्योंकि वे नीतीश के बेटे हैं। उन्हें राजनीति में स्थापित होने के लिए अभी बहुत कुछ सीखना होगा। नीतीश ने हमेशा परिवारवाद से दूरी बनाई है, लेकिन निशांत के आने से उन पर भी यह आरोप लग सकता है, जैसा कि जीतन राम मांझी ने संकेत दिया। तेजस्वी यादव जैसे युवा नेताओं के सामने निशांत को एक मजबूत चेहरा बनाना जेडीयू के लिए चुनौती होगा।
निशांत कुमार की चर्चा बिहार की सियासत में इसलिए तेज है क्योंकि वे नीतीश कुमार की राजनीतिक विरासत के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में देखे जा रहे हैं। जेडीयू के नेताओं, सहयोगी दलों, और विपक्ष की टिप्पणियों ने इस चर्चा को हवा दी है। हालांकि, निशांत का आध्यात्मिक झुकाव और नीतीश की चुप्पी इस मामले में अनिश्चितता बरकरार रखती है। अगर निशांत राजनीति में आते हैं, तो उनके लिए बिहार की जटिल सियासत में खुद को स्थापित करना आसान नहीं होगा।