नई दिल्ली: बिहार में एसआईआर के बाद अब चुनाव आयोग पूरे देश में एसआईआर की तैयारी कर रहा है. अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारती जैन ने बताया कि संभवतः बिहार में हुए विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) की तर्ज पर एक पैन इंडिया एसआईआर प्रैक्टिस में शुरू हो जाएगा. निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने 10 सितंबर को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई है. इसी बैठक के बुलाए जाने से इस बात के संकेत मिलते हैं कि एसआईआर अब पूरे देश में करवाए जाने की तैयारी चल रही है.
चुनाव आयोग की इस बैठक में अखिल भारतीय एसआईआर अभ्यास की प्रक्रियाओं पर चर्चा होगी. मांगी गई जानकारी में वर्तमान मतदाता संख्या, पिछली एसआईआर के दौरान की मतदाता संख्या, पिछली एसआईआर की योग्यता तिथि और क्या पिछली एसआईआर की सूचियां डिजिटाइज होकर सीईओ की वेबसाइट पर अपलोड की गई हैं. ये सबकुछ शामिल हैं. इलेक्शन कमीशन ने मुख्य चुनाव अधिकारियों के सुझाव भी मांगे हैं जिसमें नागरिकता साबित करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज और मतदान केंद्रों का रैश्नालाइजेशन किया जा सके.
चुनाव आयोग मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के सुझाव भी सुनेगा, जिसमें नागरिकता साबित करने के लिए अतिरिक्त दस्तावेज और मतदान केंद्रों (पीएस) का रैश्नालाइजेशन करवा सकें ताकि प्रति पीएस मतदाताओं की संख्या 1,200 तक सीमित हो. इसके साथ ही निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ), अतिरिक्त ईआरओ और बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) की नियुक्ति और प्रशिक्षण की स्थिति भी शामिल है.
चुनाव आयोग तय करेगा मानक
अखिल भारतीय एसआईआर अभ्यास के लिए बिहार को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के मतदाताओं को गणना फॉर्म भरकर और हस्ताक्षर करके जमा करना होगा, जिसमें चुनाव आयोग ये तय करेगा कि इस महीने के अंत तक या अगले महीने की शुरुआत में जारी होने वाले मानकों के मुताबिक दस्तावेज शामिल हो सकेंगे या नहीं. चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 के अपने आदेश में मतदाता सूचियों की अखंडता को संरक्षित करने के लिए पूरे देश में एसआईआर आयोजित करने का निर्णय घोषित किया था. हालांकि, बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इस अभ्यास को बिहार से शुरू करने का फैसला किया गया था. साथ ही इस बात की घोषणा की गई कि शेष देश के लिए समय-सारिणी उचित समय पर अलग से जारी की जाएगी.
चुनाव आयोग समय नहीं बर्बाद करना चाहता
हालांकि यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अप्रैल 2026 में होने वाले चुनावों के लिए चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश – असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी – में अगला एसआईआर होगा. इसके साथ ही अब इस बात के पर्याप्त संकेत मिल रहे हैं कि चुनाव आयोग (ईसी) अपने संसाधनों को बर्बाद नहीं करना चाहता. या फिर दो फिर ये अक्टूबर से दिसंबर के बीच हर साल दो एसआईआर पूरे भारत में लागू करने के लिए आयोजित कर सकता है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव आयोग अन्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की मतदाता सूचियों के लिए कौन सी कटऑफ तिथि तय करता है, जिसके आधार पर बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं को पहले से भरे हुए गणना फॉर्म वितरित करेंगे. पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों ने पहले ही एसआईआर में स्वीकार किए जाने वाले दस्तावेजों के मुद्दे को तेज कर दिया है. पूरे देश में एसआईआर कार्यक्रम एक महीने तक चलेगा.
एसआईआर प्रक्रिया के बाद एक मसौदा मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी और अगले एक महीने में इस वोटर लिस्ट के खिलाफ लोगों के दावे और आपत्तियां स्वीकार की जाएंगी. इनका निपटारा अगले 25 दिनों में किया जाएगा और सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए अंतिम मतदाता सूचियां जनवरी 2026 की शुरुआत में प्रकाशित की जाएंगी. पिछले साल, 1 जनवरी 2025 के संदर्भ में मतदाता सूचियों का वार्षिक सारांश संशोधन 29 अक्टूबर 2024 को शुरू हुआ था. हालांकि, गणना चरण को समायोजित करने के लिए एसआईआर को एक महीने पहले शुरू करना होगा.
पात्र नागरिक शामिल हों और अपात्र बाहर होंः चुनाव आयोग
बिहार में एसआईआर के मामले की तरह 2003-04 में किए गए अंतिम गहन संशोधन के बाद प्रकाशित अपने-अपने राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की अंतिम मतदाता सूचियों में शामिल लोगों को नागरिक माना जाएगा और उन्हें केवल हस्ताक्षरित गणना फॉर्म जमा करने होंगे, बिना किसी दस्तावेज के. हालांकि, शेष मतदाताओं को संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार अपनी पात्रता साबित करने के लिए आयोग द्वारा निर्दिष्ट दस्तावेज संलग्न करने होंगे – अर्थात् कम से कम 18 वर्ष की आयु और भारत का नागरिक होना जरूरी है. चुनाव आयोग का कहना है कि एसआईआर का उद्देश्य मृत, स्थायी रूप से स्थानांतरित, कई स्थानों पर नामांकित या गैर-नागरिक मतदाताओं को हटाकर मतदाता सूचियों को शुद्ध करना है. चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, मतदाता सूची की तैयारी में यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी पात्र नागरिक शामिल हों और सभी अपात्र व्यक्ति बाहर हों