स्पेशल डेस्क/तेल अवीव: इजरायल और ईरान के बीच दशकों से चला आ रहा तनाव 13 जून 2025 को उस समय चरम पर पहुंच गया, जब इजरायल ने ईरान की नतांज परमाणु सुविधा पर बड़े पैमाने पर हवाई हमला किया। इस हमले, जिसे “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” नाम दिया गया, ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गंभीर नुकसान पहुंचाया, खासकर नतांज में स्थित यूरेनियम संवर्धन संयंत्र को, जहां लगभग 15,000 सेंट्रीफ्यूज के क्षतिग्रस्त होने की खबर है। यह हमला मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक तनाव को और बढ़ाने वाला साबित हुआ है। आइए एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से विस्तार में समझते हैं।
ईरान के परमाणु कार्यक्रम
नतांज, ईरान के परमाणु कार्यक्रम का “दिल” माना जाता है। यह तेहरान के दक्षिण में कोम शहर के पास पहाड़ों के किनारे स्थित है। नतांज में दो प्रमुख संयंत्र हैं फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (FEP) जमीन के नीचे बना यह संयंत्र बड़े पैमाने पर यूरेनियम संवर्धन करता है। इसमें लगभग 16,000 सेंट्रीफ्यूज हैं, जिनमें से 13,000 सक्रिय थे, जो 5% शुद्धता तक यूरेनियम का उत्पादन कर रहे थे। पायलट फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (PFEP) जमीन के ऊपर स्थित यह संयंत्र उच्च शुद्धता (60% तक) वाले यूरेनियम का उत्पादन करता था, जो परमाणु हथियार बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अनुसार, ईरान ने गुप्त रूप से परमाणु हथियार बनाने की दिशा में काम किया था, हालांकि 2003 में इसे रोक दिया गया था। हाल के वर्षों में, ईरान ने 60% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन किया, जो छह परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त माना जाता है।
इजरायल लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता रहा है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया कि ईरान नौ परमाणु बम बनाने लायक यूरेनियम जमा कर चुका है, और इस खतरे को रोकने के लिए “प्री-एम्प्टिव” हमला जरूरी था।
13 जून 2025 का हमला क्या हुआ ?
इजरायली वायुसेना ने सैकड़ों लड़ाकू विमानों, ड्रोनों और मिसाइलों का उपयोग कर नतांज सहित ईरान के कई परमाणु और सैन्य ठिकानों पर हमला किया। नतांज में PFEP के ऊपरी हिस्से को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया, जहां 60% शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन हो रहा था। IAEA के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने पुष्टि की कि हमले के बाद बिजली आपूर्ति बंद होने से लगभग 15,000 सेंट्रीफ्यूज गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। यह नुकसान अंडरग्राउंड हॉल में सीधे हमले के बिना, बिजली कट से हुआ। नतांज के आसपास की इमारतें, वाहन, और सड़कें भी तबाह हो गईं। मलबे और धुएं के दृश्य स्थानीय मीडिया में सामने आए।
कहां-कहां बने निशाने !
तेहरान, इस्फहान और तब में सैन्य और परमाणु ठिकानों पर भी हमले हुए। इस्फहान में चार इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं, लेकिन फोर्डो परमाणु संयंत्र को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। इजरायल ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम और सैन्य नेतृत्व को भी निशाना बनाया। ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी, रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर हुसैन सलामी, और मिसाइल कार्यक्रम के प्रमुख अमीर अली हाजीज़ादेह मारे गए।
परमाणु वैज्ञानिकों की हत्या
हमले में छह प्रमुख ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मारे गए, जिनमें डॉ. फेरेयदून अब्बासी (ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के पूर्व प्रमुख) और डॉ. मोहम्मद मेहदी तेहरांची शामिल हैं। इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद पर इन वैज्ञानिकों को निशाना बनाने का आरोप है, जो पहले भी 2010-2020 के बीच पांच ईरानी वैज्ञानिकों की हत्या में शामिल रही थी।
ईरान की प्रतिक्रिया
13 जून की रात को, ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस-3” के तहत इजरायल पर 150 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन दागे। तेल अवीव और यरुशलम में भारी नुकसान हुआ, जिसमें एक इजरायली की मौत और 70 से अधिक लोग घायल हुए। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने “कड़ी सजा” का वादा किया और इजरायल को “युद्ध की घोषणा” करार दिया।
ईरान ने अपने प्रॉक्सी नेटवर्क (हिजबुल्लाह, हूती, हमास, और इराकी शिया मिलिशिया) को सक्रिय करने की धमकी दी। यमन के हूतियों ने इजरायल पर हमले की तत्परता जताई। ईरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की और IAEA से इजरायली हमलों की निंदा करने का आग्रह किया। ईरान ने दावा किया कि “वह परमाणु हथियार नहीं बना रहा और इजरायल ने बिना सबूत के हमला किया।”
अमेरिका और ट्रंप की भूमिका
हमले से कुछ घंटे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि मध्य पूर्व में “भीषण संघर्ष” हो सकता है। उन्होंने अमेरिकी नागरिकों को क्षेत्र छोड़ने की सलाह दी। ट्रंप ने हमले के बाद कहा कि यह ईरान को परमाणु समझौते के लिए गंभीर बातचीत की ओर ले जा सकता है, हालांकि उन्होंने कूटनीतिक समाधान की उम्मीद भी जताई थी।
अमेरिका ने इजरायल की मिसाइल रक्षा प्रणाली (आयरन डोम और ऐरो-3) को समर्थन दिया और ईरानी मिसाइलों को रोकने में मदद की। अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ाई, जिसमें B-2 स्टील्थ बॉम्बर और नौसेना के जहाज शामिल हैं।
G7 और वैश्विक प्रतिक्रिया
G7 देशों ने इजरायल का समर्थन किया, लेकिन ट्रंप ने साझा बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने हमलों की निंदा की और संयम बरतने की अपील की। परमाणु कार्यक्रम पर असर 15,000 सेंट्रीफ्यूज के नष्ट होने से ईरान का यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम कई वर्षों पीछे चला गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि नतांज की क्षमता को बहाल करने में ईरान को कम से कम 2-3 साल लग सकते हैं। हालांकि, फोर्डो और अन्य गुप्त सुविधाओं में संवर्धन की संभावना बनी हुई है।
ईरान में हमलों से बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ, जिससे आर्थिक संकट और बढ़ सकता है। वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट आई, और कच्चे तेल की कीमतें $74 प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गईं। हमले ने मध्य पूर्व में व्यापक युद्ध की आशंका बढ़ा दी है। जॉर्डन ने अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया, और अन्य अरब देश तटस्थ रुख अपनाए हुए हैं। रूस और चीन ने इजरायल की निंदा की, लेकिन सैन्य समर्थन से दूरी बनाए रखी।
क्या है सस्पेंस ?
इजरायल का अगला कदम नेतन्याहू ने कहा कि “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन तब तक जारी रहेगा, जब तक ईरान का परमाणु खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता। क्या इजरायल फोर्डो या अन्य गुप्त सुविधाओं पर हमला करेगा ?। ईरान ने “कुचल देने वाली प्रतिक्रिया” की धमकी दी है। क्या वह अपने प्रॉक्सी नेटवर्क के जरिए इजरायल या उसके सहयोगियों पर हमला करेगा?
ट्रंप ने इजरायल का खुला समर्थन किया, लेकिन क्या अमेरिका सीधे युद्ध में शामिल होगा? ट्रंप का दावा कि वह “कुछ बड़ा” करने जा रहे हैं, ने अटकलों को जन्म दिया है। हमले ने अमेरिका-ईरान के बीच परमाणु समझौते की वार्ता को पटरी से उतार दिया है। क्या ईरान अब खुलकर परमाणु हथियार बनाने की कोशिश करेगा?
इजरायल की आक्रामक रणनीति !
इजरायल का नतांज पर हमला ईरान के परमाणु सपनों के लिए एक बड़ा झटका है, जिसने उसके यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को गंभीर रूप से प्रभावित किया। 15,000 सेंट्रीफ्यूज का नष्ट होना, प्रमुख वैज्ञानिकों और सैन्य नेताओं की मौत, और बुनियादी ढांचे की तबाही ने ईरान को कमजोर किया है। हालांकि, ईरान की जवाबी कार्रवाई और प्रॉक्सी नेटवर्क की ताकत क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ा सकती है। ट्रंप की रहस्यमयी टिप्पणियां और इजरायल की आक्रामक रणनीति ने मध्य पूर्व को युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है। अगले कुछ दिन इस संघर्ष की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण होंगे।