प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत द्वारा 6-7 मई की रात को अंजाम दिया गया एक सैन्य अभियान था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। भारतीय वायु सेना, सेना और नौसेना ने संयुक्त रूप से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें राफेल जेट्स, आत्मघाती ड्रोन और स्कैल्प मिसाइलों का उपयोग कर 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया, जिनमें जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के शिविर शामिल थे। भारत ने दावा किया कि इस ऑपरेशन में 70-100 आतंकवादी मारे गए।
शहबाज शरीफ की फिर गीदड़ भभकी !
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस हमले को “युद्ध की कार्रवाई” करार दिया और कहा कि “पाकिस्तान को इसका “मुंहतोड़ जवाब” देने का अधिकार है। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान की जनता और सेना एकजुट हैं, और देश का मनोबल ऊंचा है।” हालांकि, उनकी बयानबाजी को कई लोग “गीदड़ भभकी” के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान की आर्थिक और सैन्य स्थिति कमजोर है।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर पर दबाव बढ़ गया है। ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तानी सेना की तैयारियों की पोल खोल दी, क्योंकि हमले से पहले पाकिस्तान को इसकी भनक तक नहीं लगी। इमरान खान के समर्थकों का दावा है कि मुनीर की “अहंकारी नीतियों” ने भारत के साथ तनाव बढ़ाया, जिसका खामियाजा देश भुगत रहा है।
कई इलाकों में अफरा-तफरी मची !
पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट, महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। एक अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, जनता रोटी-रोजगार जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए परेशान है और सरकार व सेना के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई इलाकों में अफरा-तफरी मची, लोग सड़कों पर भागते दिखे और अस्पतालों में जगह की कमी हो गई। पंजाब प्रांत में शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए गए, और देश को हाई अलर्ट पर रखा गया।
भारत के हमलों ने बहावलपुर, कोटली, और मुजफ्फराबाद जैसे क्षेत्रों में आतंकी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचाया। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि 8-26 लोग मारे गए और 33-35 घायल हुए, लेकिन भारत का कहना है कि केवल आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, न कि सैन्य प्रतिष्ठानों को।
पाकिस्तान की हालत क्यों खराब ?
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कर्ज और महंगाई के बोझ तले दबी है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद सैन्य जवाबी कार्रवाई की तैयारी और नुकसान की भरपाई के लिए अतिरिक्त खर्च ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।
जनता में सरकार और सेना के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है। लोग रोजमर्रा की समस्याओं से त्रस्त हैं और ऑपरेशन सिंदूर ने इस गुस्से को और भड़काया। भारत की सटीक और त्वरित कार्रवाई ने पाकिस्तानी सेना की रक्षा तैयारियों की कमी को उजागर किया। सीजफायर उल्लंघन के बावजूद पाकिस्तान भारत के खिलाफ प्रभावी जवाबी कार्रवाई करने में असमर्थ दिख रहा है। भारत ने ऑपरेशन के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों को अपनी कार्रवाई की जानकारी दी, जिससे पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने का दबाव बढ़ गया है।
पाकिस्तान की कमजोर स्थिति-आंतरिक संकट !
ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को सैन्य, आर्थिक, और मनोवैज्ञानिक रूप से झकझोर दिया है। शहबाज शरीफ और असीम मुनीर की बयानबाजी के बावजूद, पाकिस्तान की कमजोर स्थिति और आंतरिक संकट ने उनकी जवाबी कार्रवाई की क्षमता को सीमित कर दिया है। भारत ने इस ऑपरेशन के जरिए आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को स्पष्ट किया लेकिन क्षेत्रीय तनाव बढ़ने की आशंका बनी हुई है।