कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जब फरीदाबाद पहुंची थी उससे पहले राहुल गांधी ने सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं को चि_ी लिखी थी और उनको यात्रा में शामिल होने का न्योता दिया था। राहुल ने विपक्षी नेताओं को लिखा था कि भारत जोड़ो यात्रा 24 दिसंबर को दिल्ली पहुंच रही है, जिसमें शामिल होने के लिए वे आमंत्रित हैं। बताया जा रहा है कि राहुल ने कुल 15 पार्टियों के नेताओं को चिट्ठी लिखी थी। लेकिन दिल्ली में किसी विपक्षी पार्टी का नेता यात्रा में शामिल नहीं हुआ। दिल्ली पहुंचने से एक दिन पहले 23 दिसंबर को डीएमके सांसद कनिमोझी जरूर फरीदाबाद पहुंच कर यात्रा में शामिल हुईं, लेकिन राहुल के बुलावे पर 24 दिसंबर को कोई विपक्षी नेता नहीं पहुंचा।
कांग्रेस की तरह से कहा जा रहा है कि सरकार राहुल की यात्रा से घबरा गई और इसलिए उसने संसद का सत्र समय से पहले समाप्त कर दिया। कहा जा रहा है कि चूंकि संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को दोपहर में ही समाप्त हो गया इसलिए ज्यादातर पार्टियों के नेता अपने अपने क्षेत्र में चले गए और इस वजह से शनिवार को यात्रा में शामिल नहीं हुए। लेकिन यह बात तर्कसंगत नहीं लगती है। अगर विपक्षी पार्टियों को यात्रा में शामिल होना होता तो प्रतीकात्मक रूप से किसी भी नेता को उसमें शामिल होने के लिए भेजा जा सकता था।
विपक्षी पार्टियों की दूरी से हैरानी इस कारण भी है कि संसद की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस की बुलाई बैठकों में विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हुए। मल्लिकार्जुन खडग़े की बुलाई बैठक में एक बार 17 विपक्षी पार्टियां शामिल हुईं तो दूसरी बार 12 पार्टियों के नेता पहुंचें। लेकिन राहुल के बुलावे पर 24 दिसंबर को एक भी पार्टी का नेता नहीं पहुंचा। तभी सवाल है कि क्या विपक्षी पार्टियां संसद के अंदर और बाहर अलग अलग रणनीति पर काम कर रही हैं? संसद के अंदर सरकार को घेरने के लिए उनको कांग्रेस की जरूरत है क्योंकि कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन संसद के बाहर सभी पार्टियों की अपनी राजनीति है और वे कांग्रेस के साथ नहीं दिखना चाहती हैं।
यह भी कहा जा रहा है कि सबको पता था कि शुक्रवार को संसद का सत्र खत्म हो जाएगा और शनिवार को सबको अपने क्षेत्र में जाना है इसलिए वे यात्रा से नहीं जुड़ सकेंगे तो जिस तरह से कनिमोझी शुक्रवार को ही यात्रा में शामिल होने पहुंच गईं उस तरह से बाकी पार्टियों के नेता शुक्रवार को ही यात्रा में क्यों नहीं शामिल हो गए? विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ कांग्रेस के समन्वय बनाने का सवाल भी उठ रहा है। कहा जा रहा है कि अगर विपक्षी पार्टियों को बुलाना था तो पहले उनसे बात होती और उसके बाद चिट्ठी लिखी जाती।