प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा हाल ही में शुरू किया गया एक सैन्य अभियान है, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था। यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू की गई, जिसमें निर्दोष नागरिक मारे गए थे। भारतीय सशस्त्र बलों ने 6-7 मई 2025 की रात को इस ऑपरेशन को अंजाम दिया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के 21 ठिकानों को नष्ट किया गया। इस ऑपरेशन में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए, जिनमें कई हाई-प्रोफाइल आतंकी कमांडर शामिल थे, जैसे खालिद उर्फ अबू आकाशा, मुदस्सर खाद्यान और हाफिज मोहम्मद जमील।
मामले का सार और ‘टीम इंडिया’ !
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को वैश्विक मंच पर और मजबूत करने के लिए एक बड़ा कूटनीतिक कदम उठाया है। भारत सरकार ने सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को विश्व के प्रमुख देशों में भेजने का फैसला किया है, जिनमें शशि थरूर (कांग्रेस), सुप्रिया सुले (एनसीपी), रविशंकर प्रसाद (बीजेपी), संजय कुमार झा (जेडीयू), बैजयंत पांडा (बीजेपी), कनिमोझी (डीएमके) और श्रीकांत शिंदे (शिवसेना) जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं। इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, कतर, और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों में जाकर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उजागर करना और भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को स्पष्ट करना है। यह दौरा 22 मई 2025 के बाद शुरू होने की संभावना है।
संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया और कहा कि “यह कदम राजनीति और मतभेदों से ऊपर है। यह पहल पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करने और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को मजबूती से पेश करने के लिए उठाई गई है।
ऑपरेशन सिंदूर की मुख्य बातें ?
भारतीय वायुसेना ने स्वदेशी तकनीक और राफेल विमानों का उपयोग कर पाकिस्तान के नूर खान और रहीमयार खान एयरबेस सहित आतंकी ठिकानों को 23 मिनट में नष्ट किया। ऑपरेशन में 9 प्रमुख आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें मुरीदके (लश्कर-ए-तैयबा का गढ़) और बहावलपुर (जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय) शामिल थे। भारत ने सटीक हमले सुनिश्चित किए, ताकि नागरिकों को नुकसान न हो।
भारत परमाणु ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं करेगा: पीएम मोदी
12 मई 2025 को पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल आतंकवाद और PoK पर होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते” और भारत परमाणु ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं करेगा। पीएम ने ऑपरेशन सिंदूर को “न्याय की अखंड प्रतिज्ञा” बताया और इसे देश की भावनाओं का प्रतीक कहा।
अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, और इजरायल सहित कई देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया। ऑपरेशन की सफलता ने भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक, जैसे आकाश एयर डिफेंस सिस्टम, की ताकत को भी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने ऑपरेशन के बाद भारतीय नागरिक क्षेत्रों और सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने इन्हें नाकाम कर दिया। पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि के निलंबन पर पुनर्विचार की अपील की, क्योंकि इससे उनकी खरीफ फसलों को नुकसान हो रहा है।
आतंकवाद को ‘एक्सपोज’ करने की रणनीति
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान के आतंकवाद को प्रायोजित करने के सबूत पेश करेंगे, जैसे पहलगाम हमले में लश्कर-ए-तैयबा और टीआरएफ की भूमिका। संयुक्त राष्ट्र में सबूत भारत ने 2023 और 2024 में यूएन की 1267 कमिटी को लश्कर और जैश की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी थी, जो टीआरएफ जैसे छोटे समूहों के जरिए संचालित होती हैं। भारत का लक्ष्य पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कूटनीतिक रूप से अलग-थलग करना है, जैसा कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि “आतंक और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते।”
प्रमुख नेताओं की भूमिका
कांग्रेस नेता शशि थरूर को अमेरिका में पाकिस्तान की करतूतों को उजागर करने की जिम्मेदारी दी गई है। यह कदम विपक्ष और सत्तापक्ष की एकजुटता को दर्शाता है। सुप्रिया सुले, रविशंकर प्रसाद जैसे नेता अन्य देशों में भारत की नीति और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को स्पष्ट करेंगे। यह पहल भारत की राजनीतिक एकता को दर्शाती है, जहां सभी दल आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन !
ऑपरेशन सिंदूर न केवल भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन है, बल्कि यह आतंकवाद के खिलाफ एक नई रणनीति का प्रतीक है। सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के जरिए भारत अब वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर बेनकाब करने की तैयारी कर रहा है। यह कदम भारत की कूटनीतिक और सैन्य रणनीति को मजबूत करता है, साथ ही राष्ट्रीय एकता को भी प्रदर्शित करता है।