चमोली। उत्तराखंड राज्य में जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रस्तवित पिंडर नदी के पानी को कुमाऊं के कोसी नदी में जोड़ने के सरकार के प्रस्ताव का पिंडर घाटी में विरोध होना शुरू हो गया हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को थराली में पिण्डर घाटी के सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धजीवियों, अधिवक्ताओं, जनप्रतिनिधियों ने उपजिलाधिकारी थराली के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को संबोधित एक संयुक्त हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन भेजा हैं। मुख्यमंत्री को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया हैं कि सदियों से पिडारी ग्लेशियर से पिंडर नदी निकल कर पिंडर घाटी के देवाल,थराली, नारायणबगड़ होते हुए कर्णप्रयाग ब्लाक के एक बड़े हिस्से से गुजर कर कर्णप्रयाग में अलकनंदा में मिलती हैं। पिंडारी ग्लेशियर से लेकर कर्णप्रयाग तक पिंडर नदी की वजह से ही दर्जनों गांव बसें हुए हैं। इस नदी की आद्र्रता पर इन गांवों की फसलों का उत्पादन निर्भर करता हैं,तथा नदी से ही यहां का पर्यावरण एवं जैवविविधता बनी हुई है।
अब जल जीवन मिशन के तहत राज्य सरकार के द्वारा पिंडर नदी को दूसरी ओर कोसी नदी में मिलाने का एक प्रस्ताव पारित किया गया हैं। इसके तहत देवाल ब्लाक के मोपाटा गांव के पास से एक सुरंग के जरिए पिंडर के पानी को कोसी नदी तक लें जाने की बात कही गई हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि पिंडर का पानी कोसी लें जाने का विपरीत प्रभाव सम्पूर्ण पिण्डर घाटी पर पड़ेगा। मुख्यमंत्री से इस प्रस्ताव को तत्काल प्रभाव से नामंजूर करने का आग्रह करते हुए चेतावनी दी गई है कि यदि ऐसा प्रयास किया गया तों पिंडर क्षेत्र की जनता को मजबूरन लामबंद हो कर जनांदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा। ज्ञापन में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी भुपाल सिंह गुसाईं, थराली के पूर्व जेष्ठ प्रमुख जयसिंह बिष्ट, पूर्व कनिष्ठ प्रमुख नवीन मिश्रा, प्रधान मंजू देवी, अधिवक्ता विक्रम रावत,पूरन फर्स्वाण, वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारिका प्रसाद थपलियाल, महिपाल नेगी, जयराम,भुवन हटवाल,मदन मोहन सिंह, देवेंद्र नेगी, विरेंद्र नेगी आदि के हस्ताक्षर मौजूद हैं।