प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: पाकिस्तान ने 1 जुलाई को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक महीने की अध्यक्षता संभाली, जो इसका 2025-26 के लिए गैर-स्थायी सदस्य के रूप में आठवां कार्यकाल है। यह अध्यक्षता रोटेशनल और प्रतीकात्मक है, जो UNSC के 15 सदस्यों के बीच वर्णमाला क्रम में हर महीने बदलती है। हालांकि, भारत ने इस अवसर पर पाकिस्तान की सीमा पार आतंकवाद में संलिप्तता को उजागर किया, विशेष रूप से हाल के पहलगाम आतंकी हमले (22 अप्रैल) का हवाला देते हुए, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। भारत ने इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों का कार्य बताया और इसके जवाब में “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू किया।
पाकिस्तान की चाल और भारत का जवाब !
कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश पाकिस्तान ने UNSC की बैठक में भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दे को उठाने का प्रयास किया, इसे क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण बताकर। उसने भारत पर “आक्रामक कार्रवाइयों” और इंडस वाटर ट्रीटी को निलंबित करने का आरोप लगाया।
भारत ने इस कदम को पाकिस्तान का “नापाक एजेंडा” करार देते हुए खारिज किया। भारतीय राजदूत ने कहा कि पाकिस्तान UNSC मंच का दुरुपयोग अपने मानवाधिकार उल्लंघनों और राज्य प्रायोजित आतंकवाद से ध्यान भटकाने के लिए कर रहा है।
UNSC की एक बंद कमरे की बैठक (5 मई 2025) में पाकिस्तान के दावों को कोई समर्थन नहीं मिला। सदस्यों ने पहलगाम हमले की निंदा की और आतंकवाद के लिए जवाबदेही की मांग की, जिसमें संदिग्ध रूप से पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका पर सवाल उठे।
आतंकवाद पर भारत का पलटवार
पाकिस्तान की अध्यक्षता शुरू होने से एक दिन पहले, भारत ने UN मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर “The Human Cost of Terrorism” प्रदर्शनी आयोजित की, जिसमें पाकिस्तान की आतंकवाद में भूमिका, जैसे 9/11 हमले में ओसामा बिन लादेन को शरण देना, को उजागर किया गया।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहलगाम हमले के दोषियों को बेनकाब करने का वादा किया और UN महासचिव एंटोनियो गुतरेस सहित कई देशों (अल्जीरिया, ग्रीस, गुयाना, पनामा, सिएरा लियोन, स्लोवेनिया, सोमालिया) के विदेश मंत्रियों से बात की, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत का समर्थन किया।
पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति
पाकिस्तान ने UNSC में अपने “सर्व-मौसम मित्र” चीन और रूस के साथ मिलकर काम किया। उसने इजराइल-हमास संघर्ष में फिलिस्तीन का समर्थन किया और कश्मीर को इससे जोड़ने की कोशिश की, लेकिन इसमें उसे कोई खास समर्थन नहीं मिला। पाकिस्तान ने UNSC में ईरान पर अमेरिका और इजराइल के हमलों की निंदा करने वाला एक मसौदा प्रस्ताव भी पेश किया, जो आगे नहीं बढ़ सका।
UNSC की अध्यक्षता में पाकिस्तान की शक्ति सीमित है। उसे नियमों और कूटनीतिक परंपराओं का पालन करना होगा, जिसमें सभी सदस्यों को बोलने का अवसर देना और सर्वसम्मति से एजेंडा तय करना शामिल है।
पाकिस्तान की जिम्मेदारियां !
पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार जुलाई में दो प्रमुख बैठकों की अध्यक्षता करेंगे, जिनमें 23 जुलाई को फिलिस्तीन प्रश्न पर त्रैमासिक खुली बहस शामिल है। पाकिस्तान को 2025 के लिए तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष और काउंटर-टेररिज्म समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया। भारत और विपक्षी नेताओं (मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका चतुर्वेदी) ने इसे “अस्वीकार्य” और “हास्यास्पद” बताया, क्योंकि पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप है।
भारत की चिंताएँ और रणनीति !
भारत को आशंका है कि पाकिस्तान अपनी अध्यक्षता का उपयोग कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने और भारत की वैश्विक दक्षिण के नेता की छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए कर सकता है। भारत ने अन्य गैर-स्थायी सदस्यों (जैसे अल्जीरिया, ग्रीस, गुयाना) के साथ मिलकर पाकिस्तान के कदमों को नाकाम किया और आतंकवाद के खिलाफ जवाबदेही पर जोर दिया। भारत ने UNSC में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सक्रिय कूटनीति अपनाई, जिसमें पहलगाम हमले के बाद वैश्विक समुदाय से समर्थन जुटाना शामिल है।
पाकिस्तान की फिर बेनकाब !
पाकिस्तान की UNSC अध्यक्षता एक रुटीन रोटेशन है, लेकिन उसने इसे भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दा उठाने और अपनी कूटनीतिक स्थिति मजबूत करने के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश की। हालांकि, भारत की सक्रिय कूटनीति और UNSC सदस्यों की आतंकवाद विरोधी रुख के कारण पाकिस्तान की ये चाल नाकाम रही। UNSC में कोई ठोस परिणाम नहीं निकला, और भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद के “दुष्ट राष्ट्र” के रूप में बेनकाब करने में सफलता पाई। यह स्थिति भारत-पाकिस्तान तनाव को और उजागर करती है, जिसमें भारत वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को मजबूत करने में सक्षम रहा।