प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 25वें शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को शांति और विकास की राह में सबसे बड़ा खतरा बताते हुए वैश्विक स्तर पर एकजुट कार्रवाई का आह्वान किया। उन्होंने पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते हुए “कुछ देशों” द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन देने की आलोचना की, जो पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की मौजूदगी में एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक संदेश था।
यह बयान जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के संदर्भ में आया, जिसमें 26 निर्दोष लोग मारे गए थे। पीएम मोदी ने SCO को सुरक्षा, कनेक्टिविटी और अवसर के तीन स्तंभों पर आधारित अपनी दृष्टि भी साझा की। सम्मेलन के अंत में जारी तियानजिन घोषणापत्र ने भी पहलगाम हमले की निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता पर जोर दिया।
पीएम मोदी का भाषण
पीएम मोदी ने SCO सदस्य सत्र को संबोधित करते हुए हिंदी में अपने भाषण में आतंकवाद को “पूरी मानवता के लिए साझा चुनौती” बताया। उन्होंने कहा कि कोई भी देश, समाज या नागरिक खुद को इससे सुरक्षित नहीं मान सकता। भारत के SCO के प्रति दृष्टिकोण को तीन मुख्य स्तंभों पर आधारित बताया सुरक्षा (Security) शांति और स्थिरता विकास का आधार हैं, लेकिन आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद बड़ी बाधाएं हैं। कनेक्टिविटी (Connectivity) कनेक्टिविटी में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान अनिवार्य है; SCO चार्टर के अनुसार, संप्रभुता को नजरअंदाज करने वाली कनेक्टिविटी का कोई महत्व नहीं। अवसर (Opportunity) स्टार्टअप, नवाचार, युवा सशक्तिकरण और साझा सांस्कृतिक विरासत जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना।
पीएम मोदी का आतंकवाद पर प्रहार
पीएम मोदी ने कहा, “आतंकवाद सिर्फ किसी एक देश की सुरक्षा के लिए चुनौती नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए साझा खतरा है। भारत पिछले चार दशकों से इसकी मार झेल रहा है। हाल ही में पहलगाम में हमने इसका सबसे घिनौना रूप देखा। इस दुख की घड़ी में मित्र राष्ट्रों का साथ देने के लिए धन्यवाद। यह हमला न सिर्फ भारत की अंतरात्मा पर प्रहार था, बल्कि मानवता में विश्वास रखने वाले हर देश और व्यक्ति के लिए चुनौती था।”
उन्होंने सवाल उठाया “क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन स्वीकार्य हो सकता है? हमें स्पष्ट और एकजुट होकर कहना होगा कि आतंकवाद पर कोई दोहरा मापदंड स्वीकार्य नहीं।” भारत की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने अल-कायदा और इससे जुड़े संगठनों के खिलाफ संयुक्त सूचना अभियान का नेतृत्व किया, आतंक वित्तपोषण का विरोध किया और कट्टरपंथीकरण के खिलाफ समन्वित कार्रवाई का प्रस्ताव रखा। SCO-RATS (क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना) की भूमिका की सराहना की और कहा कि सभी सदस्य देशों को आतंकवाद के हर रूप का विरोध करना चाहिए।
बहुपक्षीय संस्थानों में बदलाव
पीएम मोदी ने SCO के तहत “सभ्यतागत संवाद मंच” (Civilizational Dialogue Forum) शुरू करने का प्रस्ताव दिया, जो सदस्य देशों की प्राचीन सभ्यताओं, संस्कृति, परंपराओं और साहित्य को वैश्विक मंच प्रदान करेगा। भारत के सुधारों (Reform, Perform, Transform) का जिक्र करते हुए सभी को भारत के विकास यात्रा में शामिल होने का निमंत्रण दिया। चाबहार बंदरगाह और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसे परियोजनाओं का समर्थन किया, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाएंगे। वैश्विक शासन सुधारों का समर्थन किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संस्थानों में बदलाव शामिल है।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
यह बयान अप्रैल 2025 के पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के संदर्भ में आया, जिसमें पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों पर हमले किए गए। इससे चार दिनों तक तनाव चला, लेकिन पाकिस्तान ने युद्धविराम की मांग की। SCO घोषणापत्र ने हमले की निंदा की: “सदस्य राष्ट्र पहलगाम (22 अप्रैल 2025) के आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं। हमलावरों, आयोजकों और प्रायोजकों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।” यह घोषणापत्र पाकिस्तान में हुए जाफर एक्सप्रेस हमले की भी निंदा करता है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ
पीएम मोदी ने सीमा पर शांति और क्रॉस-बॉर्डर आतंकवाद पर चर्चा की। दोनों ने सहमति जताई कि भारत-चीन साझेदार हैं, न कि प्रतिद्वंद्वी। शी ने चार सुझाव दिए: संचार मजबूत करना, सहयोग बढ़ाना, पारस्परिक लाभ और बहुपक्षीय मंचों पर एकजुटता। मोदी ने BRICS 2026 के लिए शी को आमंत्रित किया।
यूक्रेन संकट समाप्त करने और वैश्विक शांति पर चर्चा। मोदी ने कहा, “भारत-रूस का सहयोग न सिर्फ दोनों देशों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण है।” म्यांमार, मालदीव और किर्गिस्तान के नेताओं से मुलाकात।
SCO का महत्व और परिणाम
SCO (10 सदस्य देश भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, ईरान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, बेलारूस) क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और आतंकवाद विरोध पर केंद्रित है। इसकी दुनिया की 40% आबादी और 30% जीडीपी को कवर करता है। सम्मेलन में वैश्विक शासन सुधार, आतंकवाद-विरोध, आर्थिक सहयोग और सतत विकास पर चर्चा हुई। तियानजिन घोषणापत्र ने “आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ दृढ़ प्रतिबद्धता” दोहराई और संयुक्त राष्ट्र में व्यापक आतंकवाद विरोधी संधि (CCIT) का समर्थन किया।
पीएम मोदी ने कहा कि SCO बहुपक्षीयता और समावेशी विश्व व्यवस्था का मार्गदर्शक बन सकता है। यह भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” और “एक्ट ईस्ट” नीतियों को मजबूत करता है। सम्मेलन के बाद पीएम मोदी भारत लौट आए, जहां उन्होंने कहा, “SCO में विभिन्न विश्व नेताओं से मुलाकात की और वैश्विक मुद्दों पर भारत का रुख स्पष्ट किया।”
आतंकवाद पर क्या बोले प्रधानमंत्री सुनिए