Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

कचरा प्रबंधन का राजनीतिक अर्थशास्त्र और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
May 31, 2023
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
कचरा प्रबंधन
24
SHARES
784
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

इन्हें भी पढ़े

rajnath singh

रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं से कहा, नए तरह के खतरों के लिए तैयार रहें

September 16, 2025
india-pakistan

पाक ने खोली पोल, भारत ने नहीं माना था अमेरिकी मध्यस्थता का प्रस्ताव

September 16, 2025
वक्फ कानून

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर आंशिक रोक, वक्फ बाय यूजर सुरक्षित, कानून लागू।

September 16, 2025
Supreme Court

बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने की सुनवाई, जानिए क्या की बड़ी टिप्पणी

September 15, 2025
Load More

 

कौशल किशोर


एक ऐसे दौर में जब यूरोप और अमरीका में ब्लाइथ पेपिनो जैसी चर्चित महिलाओं ने जलवायु परिवर्तन के संकट से भविष्य की पीढ़ी को बचाने के लिए बर्थ स्ट्राइक शुरु किया है तो दूसरी ओर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) राज्यों में अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने का प्रयास करती। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली पीठ द्वारा बिहार सरकार को इसके लिए सुरक्षित खाते में 4000 करोड़ रुपये जमा करने को कहा गया। इससे नगरों की सीमा शुरु होते ही खड़े कूड़े के पहाड़ और सीवर लाइन बने नदी नालों को राहत मिल सकती है। परंतु क्या ग्रीन ट्रिब्यूनल के इस फरमान और ग्रीन एक्टिविस्ट के हड़ताल से पर्यावरण का संकट दूर हो जाएगा? ये इन दोनों की पड़ताल से ही पता चलेगा।

मई के पहले सप्ताह में एनजीटी ने बिहार सरकार हेतु निर्देश जारी किया और दूसरे सप्ताह उत्तराखंड सरकार से दो सौ करोड़ रूपए इसी मद में अलग करने को कहा है और ठीक इसी बीच बुडको (बिहार अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) की ओर से एक स्पष्टीकरण भी दिया गया। इसका उद्देश्य स्थिति में सुधार के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित करने तक सीमित नहीं है। बल्कि सुरक्षित खाते में धन जमा करने को जुर्माना नहीं मानने की पैरवी है। सब जगह यह कोष राज्य के मुख्य सचिव के अधीन अपशिष्ट प्रबंधन के लिए नौकरशाही की सहमति से तय किया गया है। दरअसल इसे मीडिया रिपोर्ट्स में जुर्माना (पेनल्टी) माना गया। सजा बनाम सहयोग की इस जंग में बुडको की सफाई से एनजीटी के निर्देशों की व्याख्या हुई है। साथ ही बदलती हुई स्थिति का प्रमाण पत्र भी बाजार में है।

हिमालयी प्रांत के बाबुओं ने शीघ्र ही इसके लिए सुरक्षित खाते में पैसे जमा करने की बात मान लिया। पिछले साल इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु 12000 करोड़ रुपए महाराष्ट्र सरकार के जिम्मे रहा। यह प्रक्रिया जारी है। एक के बाद एक राज्य निशाने पर हैं। एनजीटी स्वच्छ भारत मिशन का सपना साकार कर ही चैन की सांस लेगी। इसके लिए बेहतर कचरा प्रबंधन की सराहना की जा रही है। सिक्किम, सूरत और इंदौर ही नहीं बल्कि तेलंगाना का सूर्यापेट और तमिलनाडु का नामक्कल भी इस सूची में शामिल है। बिहार से जुड़े इस फैसले में जस्टिस गोयल की पीठ ने नामक्कल और सूर्यापेट का जिक्र कर जुर्माना के समर्थन में आधार खड़ा किया है।

कचरा प्रबंधन के मामले में राज्यों की दशा सुधारने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट ने 2014 और 2017 में ग्रीन ट्रिब्यूनल से कहा था। बिहार की निगरानी से जुड़े मामले में प्रदेश की ओर से मुख्य सचिव अमीर सुबहानी, शहरी विकास और आवास विभाग के सचिव अरुणिश चावला और बुडको के प्रबंध निदेशक, धर्मेंद्र सिंह जैसे अधिकारी शामिल होते हैं। कचरा प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक न्यूनतम राशि को अलग करने से सीवर लाइन का विकास तेजी से होगा। जाहिर है कि यह व्यवस्था नगर निगम ही नहीं बल्कि राज्य सरकार की भी छुट्टी कर देती है। बाबुओं ने झटके में बड़ी सफलता अर्जित कर लिया है।

ठोस हो अथवा तरल। कचरा कोई भी हो। अब जिम्मेदारी बाबुओं की हुई। यह उत्तर प्रदेश के उस विभागीय मंत्री की पीड़ा याद करने को विवश करता है, जिनकी गाड़ी में जल निगम के बाबुओं की मेहरबानी बिना तेल तक नहीं डाला जाता था। सही मायनों में यह कोई दंड नहीं है। किसी लोक सेवक के स्थानांतरण की तरह कभी सजा साबित होने वाला वरदान भी नहीं है। भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में यह चुने हुए जन प्रतिनिधियों की ऐतिहासिक फजीहत है। हाकिमों और बाबुओं का सामना करते हुए चुनी हुई सरकारें हांफ रही हैं। यह दिल्ली सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश को पलटने वाले अध्यादेश से बीच की खाई भी छिपी नहीं रहती। हैरत होती है कि नौकरशाही की महान उपलब्धि को सजा के तौर पर पेश किया जा रहा है।

पोल्ट्री फार्म के लिए विख्यात नामक्कल में भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रत्येक दस सीएनजी टैंकों में से छह का उत्पादन होता है। राज्य और केंद्र की मदद के बगैर अपने कचरे के कुशल प्रबंधन की वजह से कुल पचास हजार लोगों का यह शहर चर्चा में है। तेलंगाना की सूर्यपेट नगर पालिका में प्लास्टिक कचरे से बनी ईंट से सड़क का निर्माण हो रहा है। प्लास्टिक कचरे की यह अप-साइक्लिंग है। ऐसी व्यवस्था न होने और अपने उचित स्थान से हटने का नाम कचरा होना होता है। ठोस अपशिष्ट और सीवर के प्रबंधन में प्रयोग की जाने वाली तकनीकी का इस्तेमाल कर दक्षिणी छोर पर स्थित इन शहरों का काम सराहनीय है। इसे मॉडल मान कर कूड़े कचरे का प्रबंधन करने की पैरवी ग्रीन ट्रिब्यूनल कर रही है। निश्चय ही यह असर डालता है पर जड़ में मौजूद दोष को दूर नहीं करता। अलबत्ता इसे ढकने में कोई कसर शेष नहीं रखता।

तकनीकी की आधुनिक सभ्यता ने मिश्रित (कॉम्प्लेक्स) सिस्टम के नाम पर ये जटिल (कॉम्प्लिकेटेड) व्यवस्था थोंप दी है। इसमें सीवर लाइन का जंजाल व ट्रीटमेंट प्लांट का व्यापार विकसित होता। धरती को मां मान कर पूजाने वालों को पता नहीं चला और धरती दूषित भी हो गई। गंगा जल की पवित्रता के नाम पर कसमे-वादे गाने वाले देखते रह गए और नदी-नाले सीवर लाइन में तब्दील हो गए। सफाई का यह व्यापार स्वस्थ धरती और स्वच्छ जल को रुग्ण कर डालती है। इस व्यवस्था से धरती माता की संतानों की आत्म चेतना पर आघात पड़ा। इस रोग के इलाज के बगैर भारत माता की आराधना और राष्ट्रवाद का परचम लहराने काम अधूरा ही रहेगा।

सृष्टि सस्टेनेबल डेवलपमेंट फाउंडेशन के थिंक टैंक्स इस दोष निवारण की दशा में सच्चाई को स्वीकार कर ‘प्रयास’ के प्रणेता शिव रत्न अग्रवाल जैसे मनीषियों की बात मानने की पैरवी करते हैं। उन्होंने छोटे-बड़े आकार के ऐसे एसटीपी बनाए, जो सीवर लाइन का व्यापार कम कर धरती एवं जल के प्रदूषण निवारण में मदद करती है। यह अपशिष्ट ढोने के बदले इसके शोधन की व्यवस्था सृजन स्थल के पास ही करती है। घरेलू और औद्योगिक सेक्टर के ठोस और तरल अपशिष्ट के प्रबंधन का उनका प्रयोग बेहतर है। सृष्टि के अध्यक्ष सीए सुखविंदर सिंह ऑटोमोबाइल सेक्टर और तेल के खेल से इसके राजनीतिक अर्थशास्त्र की तुलना करते हैं। साथ ही हाइड्रोजन सेल और इलेक्ट्रिक कार की तरह सीवर लाईन और ट्रीटमेंट प्लांट के व्यापार में परिवर्तन की संभावना भी व्यक्त करते हैं।

अनेक लोगों के साथ सहमति से संबंधों के लिए चर्चित ब्रिटिश पॉप स्टार पेपिनो बर्थ स्ट्राइक से एक्सटिंक्शन रिबिलियन नामक समूह की प्रवक्ता साबित होती हैं। कोख से जन्म देने के मामले में हड़ताल का समर्थन उन्हें बड़ी सामाजिक कार्यकर्ता बनाती है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने की इस मुहिम से जलवायु परिवर्तन के संबंध को खारिज करने वाले भी उनके खिलाफ मैदान में हैं, जो इसके लिए जिम्मेदार मुट्ठी भर लोगों को बचाने का ही अभियान इसे मानते हैं।

जनता की नब्ज पर सही पकड़ का दावा करने के बदले जन प्रतिनिधियों को अपनी सिकुड़ती जमीन पुनः प्राप्त करना होगा। सहकारिता और तकनीकी के योग से गांव और मोहल्ले के अनुकूल मॉडल विकसित करना चाहिए। इसके लिए लोकशक्ति का जागरण भी आवश्यक है। धरती माता के संतानों की रक्षा इसके बिना संभव नहीं है। इस समस्या को दूर करने में एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस गोयल ही नहीं, केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह और दूसरे नायक भी अहम योगदान दे सकते हैं।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

खतरा अभी टला नहीं है, भीषण भूकंप यहां दे सकता है दस्तक!

November 5, 2023
millionaires will leave India

इस साल कम करोड़पति छोड़ेंगे भारत

June 15, 2023
जंतर मंतर पहुंची शिक्षा शव यात्रा

एक देश एक शिक्षा को लेकर जंतर मंतर पहुंची शिक्षा शव यात्रा

September 21, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • झंकार महिला मंडल ने की एंटी-ड्रग्स कैम्पेन
  • इन लोगों को हर महीने 6 हजार रुपये देगी दिल्ली सरकार?
  • मोबाइल इंटरनेट चालू, वाई-फाई पर प्रतिबंध; इस देश में लिया गया अनोखा फैसला

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.