स्पेशल डेस्क/ नई दिल्ली। देश में हर दिन पत्रकारिता पर तमाम सवाल उठाए जाते हैं हालांकि पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। इसी चौथे को लेकर जो सवाल जनता के बीच चर्चाओं में हमेशा है। पत्रकार निष्पक्ष क्यों नहीं ? पत्रकार सच्चाई क्यों नहीं दिखाना चाहते ? पत्रकार गोदी मीडिया हो गया है क्या ? पत्रकार क्यों है विवश ? आदि इस सभी सवालों के बीच प्रकाश मेहरा की पुस्तक “WAY TO JOURNALISM” का हिंदी पार्ट “पत्रकारिता का रास्ता” आने वाले कुछ सप्ताह में आपके बीच होगी जिसमें इन सवालों के जवाब मिलेंगे।
पुस्तक के लेखक मेहरा ने अपने पत्रकारिता की छोटी सी उम्र में इस पुस्तक को लिखना और हजारों लोगों की विचारधाराओं को रखकर काफ़ी सराहनीय और सीख देने का काम किया है हालांकि इनकी अंग्रेजी पुस्तक “WAY TO JOURNALISM” ने देश ही नहीं विदेशों में (कनाडा,लंदन,अमेरिका,ब्रिटेन) भी काफ़ी चर्चाओं में रही साथ ही पत्रकारिता में एक अच्छी छाप छोड़ने का काम किया। यही नहीं बल्कि इस पुस्तक को विदेशों में पत्रकारिता कर रहे बच्चों ने काफ़ी पसंद किया। लेखक के क़रीबी और एक निजी न्यूज़ चैनल में काम कर रहे वरिष्ठ पत्रकार सतीश शर्मा बताते हैं कि “मैंने प्रकाश को काफी करीब से समझा है वो एक अच्छे एडिटर, स्क्रिप्ट राइटर,एंकर, रिपोर्टर हैं उन्हें मैंने कहा था कि आप एक दिन किसी अच्छे मुकाम पर पहुंचोगे और आज मुझे बहुत खुशी है कि प्रकाश ने वो कर दिखाया जो मैं सोच रहा था इसलिए ईमानदारी के साथ काम करने का एक अलग ही खुशी देती है।”
पुस्तक के लिए शुभकामनाओं के साथ वरिष्ठ अर्थशास्त्री और राजनीतिक विशेषज्ञ एके मिश्रा कहते हैं “पत्रकारिता में एक नया रिकॉर्ड विश्वभर में प्रकाश मेहरा ने बनाया है और आज की पत्रकारिता पर लग रहे तमाम प्रश्नचिह्नों पर कहीं न कहीं विराम लगा दिया है जिस तरह से पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है उसी प्रकार से उम्मीद है कि प्रकाश मेहरा की इस पुस्तक से पत्रकारिता को एक नई दिशा के साथ ही एक नई छवि भी मिलेगी।”
पुस्तक के लेखक प्रकाश मेहरा बताते हैं कि “मैंने जिन संघर्षों के बीच पत्रकारिता की और कर रहा हूं उससे मैंने काफी कुछ सीखा कि आज भी हमें एक निष्पक्ष पत्रकारिता की आवश्यकता है भले ही हमें कितने भी संघर्ष करने पड़े हमें पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि जीवन का नाम ही संघर्ष है और आज हमारे देश की पत्रकारिता सबसे अलग है।”
“पुस्तक लिखने के पीछे का मकसद मेरा सिर्फ ये नहीं था कि एक निष्पक्ष पत्रकारिता क्या होती है बल्कि ये भी था कि संघर्षों के बिना कुछ भी संभव नहीं और जिसने मेहनत और संघर्ष किया है वहीं आगे बढ़ा है। पत्रकारिता से देश की जनता को कई उम्मीदें होती हैं जिस पर खरा उतरना हर किसी के बस की बात नहीं पर निष्पक्ष पत्रकारिता से हर किसी को न्याय जरूर मिल सकता है।”
हालांकि उम्मीद है कि पुस्तक देश में पत्रकारिता कर रहे बच्चों के लिए बहुत ही सहायता करने वाली साबित होगी जिससे पर पत्रकारिता पर निष्पक्षता का सवाल न उठे।