Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राज्य

उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल और चुनौतियां, रिपोर्ट में चौकाने वाला खुलासा !

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
May 3, 2025
in राज्य, विशेष
A A
उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था
18
SHARES
587
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

स्पेशल डेस्क/देहरादून : उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में इसकी शिक्षा व्यवस्था पर कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं। शिक्षा, जो किसी भी समाज के विकास की रीढ़ होती है, उत्तराखंड में कई चुनौतियों का सामना कर रही है। सरकारी स्कूलों में घटता नामांकन, शिक्षकों की कमी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव, और शहरी-ग्रामीण क्षेत्रों के बीच असमानता जैसे मुद्दे शिक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर कर रहे हैं। इस विशेष रिपोर्ट में हम इन सवालों की गहराई में जाएंगे और हाल के रिपोर्ट्स के आधार पर स्थिति का विश्लेषण एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझिए।

सरकारी स्कूलों में घटता नामांकन !

इन्हें भी पढ़े

CM Nitish

सीएम नीतीश ने बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप वैशाली का किया उद्घाटन

July 31, 2025
Brijesh Pathak of Rakesh Tikait

राकेश टिकैत की बृजेश पाठक से मुलाकात और मायावती की तारीफ, क्या UP में बन रहे हैं नए सियासी समीकरण ?

July 30, 2025
delhi cm shri school

दिल्ली के सीएम श्री स्कूल आधुनिक शिक्षा, स्मार्ट क्लासरूम और मेधावी भविष्य की नींव!

July 30, 2025

मुख्यमंत्री ने खटीमा में 26.23 करोड़ से निर्मित पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय का किया लोकार्पण

July 29, 2025
Load More

उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों में नामांकन की स्थिति चिंताजनक है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 146 सिंगल-चाइल्ड स्कूल हैं, जिनमें से 131 सरकारी स्कूल हैं और 1,379 स्कूलों में औसतन केवल तीन छात्र हैं। उत्तराखंड 20 से कम नामांकन वाले स्कूलों की संख्या के मामले में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा सबसे बड़ा राज्य है।

क्यों है यह स्थिति ?

पहाड़ी क्षेत्रों से मैदानी क्षेत्रों की ओर बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। लोग बेहतर रोजगार और सुविधाओं की तलाश में शहरों की ओर जा रहे हैं, जिससे ग्रामीण स्कूलों में छात्रों की संख्या तेजी से घटी है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला मिल रहा है, जिससे सरकारी स्कूलों में नामांकन और कम हो रहा है। कुछ स्कूलों का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक है। उदाहरण के लिए, नैनीताल के ओखलकांडा ब्लॉक के राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भद्रकोट में 2025 के उत्तराखंड बोर्ड के 10वीं के नतीजों में 0% रिजल्ट रहा, क्योंकि एकमात्र छात्र परीक्षा में असफल रहा।

उदाहरण के लिए 2021 में, उत्तराखंड को 255 प्राइमरी, 46 अपर प्राइमरी, और 23 माध्यमिक स्कूलों को जीरो नामांकन के कारण बंद करना पड़ा। यह स्थिति शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को दर्शाती है।

शिक्षकों की कमी और एकल-शिक्षक स्कूल !

शिक्षकों की कमी भी उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था का एक प्रमुख मुद्दा है। 1,740 स्कूलों में केवल एक शिक्षक है, और कई स्कूलों में शिक्षकों के पद वर्षों से रिक्त हैं। चमोली जिले के अटल उत्कृष्ट राजकीय इंटर कॉलेज देवाल में अभिभावकों को शिक्षकों की नियुक्ति के लिए जुलूस निकालना पड़ा।

क्या है शिक्षा मंत्री का दावा ?

उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने दावा किया है कि “राज्य में 11 बच्चों पर एक शिक्षक का अनुपात है, जो राष्ट्रीय औसत (30 बच्चों पर एक शिक्षक) से बेहतर है।” हालांकि, यह दावा ग्रामीण क्षेत्रों की वास्तविक स्थिति से मेल नहीं खाता, जहां एकल-शिक्षक स्कूलों की संख्या बढ़ रही है।

हाल ही में 900 शिक्षकों और कर्मचारियों का अटैचमेंट खत्म किया गया, लेकिन इससे शिक्षकों की तैनाती की समस्या का स्थायी समाधान नहीं हुआ। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत शिक्षकों के लिए 50 घंटे का सतत व्यावसायिक विकास प्रशिक्षण प्रस्तावित है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में देरी हो रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट्स के आधार पर व्यवस्थाएं क्या हैं ?

उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था और स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा की तमाम रिपोर्ट्स बताती हैं कि “सरकारें कई वादे (जैसे- केंद्रीय विद्यालय का निर्माण,स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था / कमी ,स्कूल तक सड़क निर्माण अन्य) तो करती है पर ग्राउंड रिपोर्ट्स के आधार पर व्यवस्थाएं नहीं हैं। उदहारण के तौर पर – चमोली के विधानसभा क्षेत्र थराली के सैनिक बाहुल्य सवाड़ गांव जहाँ कई वर्षो से (लगभग 6 -7 वर्षो से केंद्र और राज्य मंत्रियों द्वारा घोषणाएं) केंद्रीय विद्यालय की घोषणा हुई पर उसका परिणाम अब तक निर्माण नहीं हुआ। इस विधानसभा क्षेत्र में शिक्षकों की कमी से पलायन की समस्याएं लगातार बढ़ी हैं।

हालांकि शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने बीते 25 अप्रैल को सोशल मीडिया एक्स पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया और लिखा “प्रदेश की मजबूत हो रही शिक्षा व्यवस्था से प्राथमिक एवं राजकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों को हर सुविधा उपलब्ध हो रही है। शिक्षा, खेल, स्वच्छता और नैतिकता को विस्तार देने के साथ ही विद्यार्थियों को बेहतर भविष्य प्रदान करने का संकल्प लेकर हम कार्य कर रहे हैं।”

प्रदेश की मजबूत हो रही शिक्षा व्यवस्था से प्राथमिक एवं राजकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों को हर सुविधा उपलब्ध हो रही है। शिक्षा, खेल, स्वच्छता और नैतिकता को विस्तार देने के साथ ही विद्यार्थियों को बेहतर भविष्य प्रदान करने का संकल्प लेकर हम कार्य कर रहे हैं।@PMOIndia @BJP4India pic.twitter.com/nAr6IXDGH8

— Dr.Dhan Singh Rawat (@drdhansinghuk) April 24, 2025

बुनियादी सुविधाओं का अभाव !

उत्तराखंड के स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी एक गंभीर समस्या है। 2021 में स्कूलों को खोलने के निर्णय के दौरान यह सामने आया कि “994 स्कूलों में पेयजल कनेक्शन नहीं है, और 546 स्कूलों में पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त हैं। 2,000 से अधिक स्कूलों में शौचालय चालू स्थिति में नहीं हैं।

उदाहरण: देहरादून में आपदा के कारण टूटे स्कूल की मरम्मत एक साल बाद भी नहीं हुई, जिसके कारण छात्र छत पर पढ़ने को मजबूर हैं।

उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की कमी ?

उत्तराखंड में उच्च शिक्षा के संस्थानों की संख्या में तो वृद्धि हुई है, लेकिन गुणवत्ता एक बड़ा मुद्दा है। नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 650 कॉलेजों और संस्थानों में से कोई भी किसी श्रेणी में रैंक हासिल नहीं कर सका।

राज्य के 34 विश्वविद्यालयों में से केवल 10 ने ही नैक मूल्यांकन कराया है। मेडिकल, इंजीनियरिंग, और लॉ जैसे क्षेत्रों में संस्थानों के अपने प्रयास अपर्याप्त हैं, जिसके कारण वे राष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ रहे हैं। 2000 के बाद से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई, लेकिन गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया।

विवादास्पद घटनाएं और प्रबंधन की कमियां !

शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। उदाहरण के लिए नैनीताल का वायरल वीडियो: एक वायरल वीडियो में स्कूली बच्चे यूनिफॉर्म में पेड़ काटते नजर आए। विभाग ने शिक्षक का केवल तबादला किया, जिसे नाक माना गया।

हल्द्वानी और रामनगर के सरकारी स्कूलों में समुदाय विशेष के बच्चों को नमाज के लिए छुट्टी देने की खबरों ने विवाद खड़ा किया। उत्तराखंड बोर्ड के रिजल्ट्स में अनियमितताएं, जैसे भद्रकोट स्कूल का 0% रिजल्ट, परीक्षा प्रणाली की कमजोरियों को दर्शाता है।

सकारात्मक पहल और सुधार के प्रयास !

हालांकि चुनौतियां कई हैं, उत्तराखंड सरकार ने कुछ सकारात्मक कदम भी उठाए हैं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का कार्यान्वयन: प्राथमिक से उच्च माध्यमिक स्तर तक नए विषयों को शामिल किया गया है, जैसे मशरूम उत्पादन, बागवानी, और हेरिटेज टूर गाइड, ताकि शिक्षा रोजगारपरक हो। स्कूली बच्चों के लिए आधार की तरह एक स्थायी शिक्षा नंबर शुरू करने की योजना है।

हालांकि राजीव गांधी नवोदय विद्यालय से ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सात जिलों में ये विद्यालय शुरू किए गए हैं। वहीं उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि “उत्तराखंड जल्द ही 100% साक्षरता दर हासिल कर लेगा।” हालांकि, यह दावा कितना यथार्थवादी है, यह वर्तमान चुनौतियों पर निर्भर करता है।

हर विद्यार्थी को मेधावी एवं जीवन में सफल बनाने का संकल्प।@PMOIndia @dpradhanbjp @JPNadda @BJP4India @BJP4UK @pushkardhami pic.twitter.com/89oQ2VVwtZ

— Dr.Dhan Singh Rawat (@drdhansinghuk) April 22, 2025

सामाजिक और राजनीतिक असंतोष !

उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था की बदहाली को लेकर सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी असंतोष बढ़ रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि “प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की बदहाली के लिए भाजपा सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है। पलायन आयोग की रिपोर्ट में भी यह उजागर हुआ कि स्कूलों में या तो शिक्षक हैं और छात्र नहीं, या छात्र हैं और शिक्षक नहीं।”

इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्रों में शिक्षा, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण लोग अपनी अस्मिता और हक के लिए सड़कों पर उतर रहे हैं।

शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठना स्वाभाविक !

उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठना स्वाभाविक है, क्योंकि यह कई संरचनात्मक और प्रबंधकीय कमियों से जूझ रही है। सिंगल-चाइल्ड स्कूल, शिक्षकों की कमी और बुनियादी सुविधाओं का अभाव न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि राज्य के भविष्य को भी खतरे में डाल रहे हैं। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की कमी और राष्ट्रीय रैंकिंग में पिछड़ना भी चिंता का विषय है।

पलायन रोकने के लिए नीतियां ?

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और बुनियादी सुविधाएं बढ़ाकर पलायन को रोका जाए, ताकि स्कूलों में नामांकन बढ़े। रिक्त पदों को तुरंत भरा जाए और शिक्षकों के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए जाएं। स्कूलों में पेयजल, शौचालय, और सुरक्षा उपायों की व्यवस्था को प्राथमिकता दी जाए। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को नैक और NIRF रैंकिंग के लिए प्रोत्साहित किया जाए। अभिभावकों और समुदाय को सरकारी स्कूलों में बच्चों को भेजने के लिए प्रेरित किया जाए।

उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सरकार, शिक्षा विभाग, और समाज को मिलकर काम करना होगा। यदि इन चुनौतियों का समय रहते समाधान नहीं किया गया, तो यह न केवल शिक्षा के क्षेत्र में, बल्कि राज्य के समग्र विकास में भी बाधा बनेगा।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
Siddaramaiah DK Shivakumar

कर्नाटक : CM की रेस में सबसे आगे ये 5 नाम

May 14, 2023
trump and nato

तेल का खेल… ट्रंप और नाटो की धमकी, क्या रूस के बहाने ये भारत पर निशाना है?

July 16, 2025

वेकोलि के दो दिवसीय दौरे पर सह सचिव कोयला मंत्रालय श्री लखपत सिंह चौधरी

May 20, 2025
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • सीएम नीतीश ने बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप वैशाली का किया उद्घाटन
  • कलियुग में कब और कहां जन्म लेंगे भगवान कल्कि? जानिए पूरा रहस्य
  • NISAR : अब भूकंप-सुनामी से पहले बजेगा खतरे का सायरन!

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.