प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 16 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक संयुक्त पत्र लिखकर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने और लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की। यह पत्र संसद के आगामी मॉनसून सत्र (21 जुलाई से 21 अगस्त 2025) से पहले लिखा गया, जिसमें उन्होंने सरकार से इस मुद्दे पर विधेयक लाने का आग्रह किया।
क्या है पत्र का उद्देश्य !
राहुल गांधी और खरगे ने पत्र में कहा कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में विभाजित करने के बाद से, जम्मू-कश्मीर के लोग लगातार पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने इस मांग को संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों पर आधारित बताया।
पत्र में यह उल्लेख किया गया कि “स्वतंत्र भारत में पहली बार किसी पूर्ण राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदला गया, जो ऐतिहासिक रूप से अभूतपूर्व है। उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए आश्वासन का हवाला दिया, जिसमें सरकार ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को जल्द से जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, पत्र में पीएम मोदी के पिछले बयानों का जिक्र किया गया, जैसे कि 19 मई 2024 को भुवनेश्वर में एक साक्षात्कार और 19 सितंबर 2024 को श्रीनगर में एक रैली में उनके द्वारा राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रतिबद्धता।
लद्दाख के लिए मांग
पत्र में लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग भी शामिल है, जिससे वहां के स्थानीय लोगों को अधिक स्वायत्तता और संवैधानिक सुरक्षा मिल सके। यह मांग लद्दाख के निवासियों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को दर्शाती है। राहुल गांधी ने पत्र में हाल के आतंकी हमलों, जैसे कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए हमले (जिसमें 26 लोगों की मौत हुई) का जिक्र करते हुए क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने इसे पूर्ण राज्य दर्जे की मांग को प्रभावित करने वाला कारक बताया। राजनीतिक गलियारों में इस पत्र को मोदी सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, खासकर आगामी विधानसभा चुनावों और जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति को देखते हुए।
केंद्र सरकार का रुख
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार की मॉनसून सत्र में जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने वाला कोई विधेयक लाने की योजना नहीं है। इसके बजाय, सरकार अन्य विधेयकों जैसे मणिपुर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (संशोधन) बिल, 2025 और टैक्सेशन लॉ (संशोधन) बिल, 2025 पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
हालांकि, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह आश्वासन दिया है कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा यथाशीघ्र बहाल किया जाएगा, लेकिन इसकी कोई निश्चित समयसीमा नहीं दी गई है।
*पिछले बयानों और रैलियों में राहुल गांधी!
राहुल गांधी ने पहले भी जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य दर्जे की मांग को जोरदार तरीके से उठाया है। 4 सितंबर 2024 को रामबन और अनंतनाग में चुनावी रैलियों में उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीना गया और इसे “राजतंत्र” की तरह चलाया जा रहा है, जहां स्थानीय लोगों के बजाय बाहरी लोगों को संसाधन और अवसर दिए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी वादा किया था कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी, तो जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा।
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे का यह पत्र जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य दर्जे की मांग को फिर से सुर्खियों में लाने का प्रयास है। यह मांग न केवल संवैधानिक और लोकतांत्रिक आधार पर उठाई गई है, बल्कि यह क्षेत्र की सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता से भी जुड़ी है। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से अभी तक कोई स्पष्ट समयसीमा या ठोस कदम का संकेत नहीं मिला है, जिससे यह मुद्दा संसद के मॉनसून सत्र और आगामी विधानसभा चुनावों में चर्चा का केंद्र बना रहेगा।