Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home विशेष

राजनीतिक नैतिकता के नए पैमाने

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
June 11, 2022
in विशेष
A A
Rajya Sabha
1
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

अजीत द्विवेदी

भारत में राजनीतिक नैतिकता का एक पैमाना लाल बहादुर शास्त्री ने गढ़ा था। उनके रेल मंत्री रहते एक दुर्घटना हुई थी और उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उसके बाद इस तरह इस्तीफा देना मुख्यधारा की राजनीतिक प्रवृत्ति नहीं बनी फिर भी नैतिकता का एक उच्च पैमाना बना रहा। नेता सही-गलत की जिम्मेदारी लेते थे। दुर्घटनाओं पर भले किसी ने इस्तीफा नहीं दिया हो पर आरोप लगने पर इस्तीफा देने का चलन तो हाल के दिन तक था।

इन्हें भी पढ़े

परियोजनाओं को पूंजीगत निवेश के लिए राज्यों को मिलेगी विशेष सहायता

October 10, 2025
yogi

उपद्रवियों को सीएम योगी की चेतावनी, बोले- जो ऐसा करेगा उसका जहन्नुम का टिकट कटवा दिया जाएगा!

September 28, 2025
CM Dhami

सीएम धामी की अध्यक्षता में राज्य दिव्यांग सलाहकार बोर्ड की बैठक सम्पन्न

September 26, 2025
President visited Braj

महामहिम राष्ट्रपति ने भगवान श्री कृष्ण की नगरी ब्रज का किया दौरा

September 26, 2025
Load More

लेकिन पिछले आठ साल में नैतिकता के पैमाने बदल गए हैं। आरोप लगने पर इस्तीफा देने का चलन थोड़ा पहले बंद हुआ था और अब गिरफ्तार होने पर भी इस्तीफा नहीं देने का चलन शुरू हो गया है। याद करें केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद उनके एक मंत्री के ऊपर बलात्कार का आरोप लगा था। लेकिन उनका इस्तीफा नहीं कराया गया था। बाद में उनको हटाया गया लेकिन आरोपों पर इस्तीफा नहीं हुआ। उसके बाद ऐसे अनेक मौके आए और भाजपा ने यह मैसेज बनवा दिया कि भाजपा की सरकारों में आरोपों पर इस्तीफे नहीं होते।
यह राजनीतिक नैतिकता के स्थापित और मान्य पैमाने से दूर हटने की शुरुआत थी। उससे कुछ दिन पहले तक आरोपों की वजह से इस्तीफे होते थे। आखिर मनमोहन सिंह की सरकार ने संचार घोटाले में केंद्रीय मंत्री ए राजा का इस्तीफा कराया था, यह अलग बात है कि मौजूदा सरकार के समय ए राजा सभी आरोपों से बरी हो गए। कांग्रेस ने आदर्श घोटाले में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का इस्तीफा कराया था। खुद भाजपा ने भी एक समय भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का इस्तीफा कराया था। मायावती की सरकार के अनेक मंत्रियों ने लोकायुक्त की रिपोर्ट में नाम आने के बाद इस्तीफा दिया था। लेकिन पिछले आठ साल में एक बड़ा बदलाव यह हुआ कि आरोप लगने पर इस्तीफा देने का चलन बंद हो गया है। सभी पार्टियों ने यह सार्वजनिक स्टैंड ले लिया है कि हमारा नेता भ्रष्ट नहीं है, जो भ्रष्ट है वह दूसरी पार्टी में है। इस तरह सबको यह सुविधा हो गई कि वह दूसरी पार्टी के आरोपी नेताओं को भ्रष्ट बताए और अपनी पार्टी के आरोपियों का खुल कर बचाव करे।

इस मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ट्रेंड सेटर हैं। उन्होंने आगे बढ़ कर रास्ता दिखाया और देश की दूसरी पार्टियां उस रास्ते पर चल पड़ी हैं। केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर आए अपने नेताओं के प्रति बिना शर्त समर्थन दिखाने का चलन ममता ने ही शुरू किया। उन्होंने सिर्फ समर्थन नहीं दिखाया, बल्कि सीबीआई से लडऩे के लिए उसके राज्य कार्यालय तक चली गई थीं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और राज्य के अधिकारियों से सीबीआई का विरोध कराया। घटना पिछले साल की है, जब सीबीआई ने उनकी सरकार के मंत्री फिरहाद हाकिम, मदन मित्रा आदि को गिरफ्तार किया था। तब ममता छह घंटे तक सीबीआई कार्यालय में बैठी रही थीं और गिरफ्तार होकर जेल जाने के बावजूद उन्होंने मंत्रियों को पद से नहीं हटाया। इससे पहले ऐसा नहीं होता था।

ममता बनर्जी ने पिछले साल अपने गिरफ्तार मंत्रियों को पद पर बनाए रख कर देश की बाकी पार्टियों को रास्ता दिखाया और अब कई पार्टियां उस रास्ते पर चल रही हैं। दिल्ली की ‘कट्टर ईमानदार’ सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया है। उनके ऊपर हवाला के जरिए पैसे का लेन-देन करने का आरोप है और उनको धन शोधन के बेहद सख्त कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है। लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उनको मंत्री पद से हटाने से इनकार कर दिया है। ममता के बताए रास्ते पर चलते हुए केजरीवाल ने उनको मंत्री बनाए रखा है और खुल कर उनका समर्थन भी किया है। उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस करके जैन को क्लीन चिट दी और कहा है कि वे इतने योग्य और ईमानदारी नेता हैं कि उनको पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाना चाहिए। पता नहीं केजरीवाल ने जैन के लिए देश का दूसरा सर्वोच्च सम्मान क्यों मांगा, वे सर्वोच्च सम्मान यानी भारत रत्न भी मांग सकते थे। आखिर उनकी नजर में सत्येंद्र जैन महान ‘देशभक्त’ हैं।

बहरहाल, केजरीवाल से पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी ममता के बताए रास्ते पर चल कर मिसाल बनाई है। उनकी सरकार के मंत्री नवाब मलिक गिरफ्तार हैं और महीनों से जेल में बंद हैं, लेकिन उद्धव ने उनको मंत्री पद से नहीं हटाया है। हालांकि उनके विभागों का प्रभार दूसरे मंत्री को दे दिया गया है लेकिन मलिक बिना विभाग के मंत्री के तौर पर जेल में बंद हैं। इससे पहले उद्धव ठाकरे ने ऐसा रवैया अनिल देशमुख के लिए नहीं दिखाया था। देशमुख उनकी सरकार के गृह मंत्री थे। उनके ऊपर भी कई किस्म के आरोप लगे और वे भी गिरफ्तार होकर जेल में हैं पर उद्धव ने उनको मंत्री पद से हटा दिया था। संभवत: उसके बाद उनको ममता बनर्जी के फॉर्मूले का ध्यान आया।
सोचें, इससे पहले कितने मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों ने भ्रष्टाचार के आरोप में फंसने या गिरफ्तार होने के बाद पद से इस्तीफ दिया था! लालू प्रसाद से लेकर अशोक चव्हाण और बीएस येदियुरप्पा से लेकर मदनलाल खुराना तक अनेक मुख्यमंत्रियों की मिसालें हैं, जिनको आरोप लगने के बाद हटना पड़ा था। लालकृष्ण आडवाणी और मदन लाल खुराना का नाम तो जैन हवाला डायरी में लिखा मिला था और इसी आधार पर आडवाणी ने लोकसभा से और खुराना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। लेकिन राजनीतिक नैतिकता के जो नए पैमाने गढ़े जा रहे हैं उनके मुताबिक गिरफ्तार होने के बाद भी पद से इस्तीफा नहीं देना स्वीकार्य हो गया है।

यह सिर्फ पक्ष और विपक्ष की पार्टियों के बीच टकराव का मुद्दा भर नहीं है। यह देश की राजनीतिक व्यवस्था और अपराध-न्याय प्रक्रिया से जुड़ी सभी एजेंसियों और संवैधानिक संस्थाओं की साख का मामला भी है। यह राज्यों की पुलिस, केंद्रीय जांच एजेंसियों और न्यायपालिका तीनों के लिए गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए। विपक्षी पार्टियां अगर केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के बावजूद अपने नेताओं का इस्तीफा नहीं करा रही हैं तो उसका आधार यही है कि एजेंसियां सत्तारूढ़ दल के इशारे पर विपक्षी नेताओं को परेशान कर रही हैं। इससे एजेंसियों की धाक और साख दोनों को धक्का लग रहा है। इससे एक तरफ यह धारणा बन रही है कि विपक्षी पार्टियों के नेता भ्रष्ट हैं इसलिए केंद्रीय एजेंसियां उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही हैं तो दूसरी ओर यह धारणा भी बन रही है कि केंद्रीय एजेंसियां सत्तारूढ़ दल के हाथ का खिलौना बन गई हैं और उनका इस्तेमाल राजनीतिक बदला निकालने के लिए किया जा रहा है। अगर इस धारणा को नहीं बदला गया तो जल्दी ही राजनीति के विशाल दलदल में पार्टियों के साथ साथ एजेंसियां और संवैधानिक संस्थाएं भी लथपथ दिखाई देंगी।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
जनजाति समाज

‘धरतीपुत्र’ जनजाति समाज का भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान

November 4, 2024
ECI

बिहार वोटर लिस्ट संशोधन : EC का दावा- संवैधानिक अधिकार, आधार नहीं है नागरिकता का प्रमाण!

July 10, 2025
Amit Shah

मिशन 24 के लिए अमित शाह ने सजा दी बिसात

December 24, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • अमेरिका-रूस या चीन…सबसे ज्यादा हाइपरसोनिक मिसाइल कौन बना रहा है?
  • बिहार चुनाव: सीट बंटवारे पर राजी हुए चिराग पासवान, जल्द होगा ऐलान
  • दिल्ली सरकार का ऐलान, प्रदूषण कम का तरीका बताने पर मिलेंगे 50 लाख

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.