स्पेशल डेस्क/लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हाल के राजनीतिक घटनाक्रम ने सियासी हलचल को बढ़ा दिया है, खासकर किसान नेता राकेश टिकैत की उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से मुलाकात और उनकी ओर से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती की तारीफ ने कई अटकलों को जन्म दिया है। आइए, इस पूरे घटनाक्रम को एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से विस्तार में समझते हैं
राकेश टिकैत और बृजेश पाठक की मुलाकात
29 जुलाई को लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। दोनों नेताओं ने इसे “शिष्टाचार भेंट” बताया, जिसमें किसानों और जनहित से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई। टिकैत ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), गन्ना किसानों के बकाया भुगतान, खाद-बीज की उपलब्धता, सिंचाई व्यवस्था और मंडियों की स्थिति जैसे मुद्दों को उठाया। बृजेश पाठक ने आश्वासन दिया कि सरकार किसान हितैषी नीतियों पर काम कर रही है और सुझावों पर विचार किया जाएगा।
तीन कृषि कानून वापस लेने पड़े
हालांकि, इस मुलाकात को महज शिष्टाचार भेंट मानना राजनीतिक विश्लेषकों को गवारा नहीं है। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब उत्तर प्रदेश में 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। राकेश टिकैत, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय और किसानों के बीच मजबूत प्रभाव रखते हैं, 2020-21 के किसान आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक रहे हैं। उनके नेतृत्व में केंद्र सरकार को तीन कृषि कानून वापस लेने पड़े थे, जिसने उनकी सियासी ताकत को रेखांकित किया था।
इस मुलाकात को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय और किसानों के बीच अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है। 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकैत ने BJP के खिलाफ वोट देने की अपील की थी, जिसका असर कुछ सीटों पर दिखा। अब यह मुलाकात BJP और टिकैत के बीच संभावित सुलह या सहयोग की ओर इशारा कर रही है।
मायावती की तारीफ
उसी दिन, सुल्तानपुर में एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने के बाद राकेश टिकैत ने मीडिया से बातचीत में मायावती को “किसानों के लिए नंबर वन मुख्यमंत्री” बताया। उन्होंने कहा कि “मायावती ने अपने शासनकाल में गन्ना किसानों के लिए बेहतर काम किया था और योगी आदित्यनाथ को भी किसानों के लिए बेहतर काम करके “नंबर वन” बनने की सलाह दी। टिकैत ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का भी समर्थन किया।
टिकैत का मायावती की तारीफ करना सियासी हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। मायावती की बसपा, जो हाल के वर्षों में अपने कोर वोटबैंक (दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग) के खिसकने से जूझ रही है, 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति को मजबूत करने में जुटी है। टिकैत की तारीफ को बसपा के लिए सकारात्मक संदेश के रूप में देखा जा रहा है, खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जहां जाट और दलित समुदाय का गठजोड़ सियासी समीकरण बदल सकता है।
उत्तर प्रदेश में सियासी समीकरण
सत्ताधारी BJP 2027 में विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। इसके लिए वह नाराज नेताओं को साधने और प्रभावशाली हस्तियों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। राकेश टिकैत जैसे किसान नेताओं से संवाद और जयंत चौधरी (RLD) को केंद्र में मंत्री बनाना, जाट समुदाय को लुभाने की रणनीति का हिस्सा है।
पंचायत चुनाव का महत्व
2026 में होने वाले पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति की दिशा तय करेंगे। किसान मुद्दे, खासकर MSP और गन्ना भुगतान, इन चुनावों में अहम भूमिका निभा सकते हैं। टिकैत की मुलाकात को इस संदर्भ में भी देखा जा रहा है। मायावती की बसपा का वोट शेयर 2007 के 30.43% से घटकर 2023 के निकाय चुनाव में 8.81% पर आ गया है। टिकैत की तारीफ बसपा के लिए एक नई उम्मीद जगाती है, खासकर अगर वह जाट-दलित गठजोड़ को पुनर्जनन कर सके। हालांकि, मायावती ने हाल ही में BJP और कांग्रेस दोनों पर संविधान के दुरुपयोग का आरोप लगाया है, जिससे उनकी तटस्थ रणनीति का संकेत मिलता है।
टिकैत का रुख
राकेश टिकैत ने हमेशा दावा किया है कि वह किसी राजनीतिक दल के साथ नहीं हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने किसी गठबंधन (INDIA या NDA) को समर्थन नहीं दिया था। उनकी ताजा टिप्पणियां और मुलाकातें यह संकेत देती हैं कि वह किसानों के मुद्दों को उठाने के लिए सभी दलों के साथ संवाद को तैयार हैं, लेकिन किसी के साथ औपचारिक गठबंधन की संभावना कम है।
आखिर क्या चल रहा है?
टिकैत की बृजेश पाठक से मुलाकात और मायावती की तारीफ से यह साफ है कि “उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले नए समीकरण बन रहे हैं। BJP किसानों और जाट समुदाय को साधने की कोशिश में है, जबकि बसपा अपने खोए हुए आधार को पुनर्जनन करने की रणनीति बना रही है। MSP, गन्ना भुगतान और कृषि सुविधाओं जैसे मुद्दे एक बार फिर सुर्खियों में हैं। टिकैत की सक्रियता से किसान आंदोलन फिर से गति पकड़ सकता है, जो पंचायत और विधानसभा चुनावों को प्रभावित करेगा। टिकैत की मायावती की तारीफ से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-दलित गठजोड़ की चर्चा तेज हो गई है, जो BJP के लिए चुनौती बन सकता है।
किसान मुद्दों के इर्द-गिर्द सियासी हलचल
राकेश टिकैत की बृजेश पाठक से मुलाकात और मायावती की तारीफ उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरणों का संकेत दे रही है। यह मुलाकात BJP की रणनीति का हिस्सा हो सकती है, जिसका मकसद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी स्थिति को मजबूत करना है। दूसरी ओर टिकैत की मायावती की तारीफ बसपा को दलित-जाट गठजोड़ के जरिए नई ताकत दे सकती है। हालांकि, टिकैत का कहना है कि वह किसी दल के साथ नहीं हैं, और उनका फोकस किसानों के हितों पर है। आने वाले महीनों में पंचायत चुनाव और किसान मुद्दों के इर्द-गिर्द सियासी हलचल और तेज होने की संभावना है।