नई दिल्ली: अमेरिका ने ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों पर जोरदार हमला बोला है. इनमें फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट, नतांज और इस्फहान शामिल हैं. इस हमले में अमेरिका ने अपने सबसे खतरनाक B-2 स्टील्थ बॉम्बर का इस्तेमाल किया, जिसने अपनी गुप्त रहने की ताकत भी दिखाई. फोर्डो साइट, जो पहाड़ के नीचे बनी है और रूस के S-300 जैसे एयर डिफेंस सिस्टम से लैस थी.
रूसी एयर डिफेंस सिस्टम भी इस हमले को रोकने में नाकाम साबित हुए. रडार पर यह किसी छोटे पक्षी की तरह दिखाई देते हैं. यही कारण था कि कोई भी मिसाइल इन्हें हिट करने के लिए फायर नहीं हुई. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इस हमले की पुष्टि की. उन्होंने कहा, ‘हमने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बहुत कामयाब हमला किया. सभी विमान अब ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर हैं. फोर्डो पर भारी बम गिराए गए. हमारे सारे विमान सुरक्षित घर लौट रहे हैं.’
फोर्डो पर क्यों था निशाना?
फोर्डो ईरान का सबसे गुप्त और सुरक्षित परमाणु ठिकाना है, जो तेहरान से 100 किमी दूर पहाड़ के अंदर बना है. ये साइट यूरेनियम को एनरिच करने का काम करती थी, जिसका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने में हो सकता है. इसकी सुरक्षा के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें थीं, लेकिन B-2 के हमले ने इस साइट को ध्वस्त कर दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक 6 B-2 स्टील्थ बॉम्बर ने 12 बंकर बस्टर बम इस्तेमाल किए, जो खास तौर पर गहरे बंकरों को तोड़ने के लिए बनाए गए हैं.
B-2 बॉम्बर की खासियत
B-2 स्टील्थ बॉम्बर दुनिया का सबसे महंगा सैन्य विमान है, जिसकी कीमत करीब 2 बिलियन डॉलर है. इसे रडार से बचने के लिए खास तकनीक से बनाया गया है, जिससे ये दुश्मन के लिए लगभग ‘अदृश्य’ हो जाता है. ये 11,000 किमी तक बिना रुके उड़ सकता है और हवा में ईंधन भरकर दुनिया में कहीं भी हमला कर सकता है. इसकी सबसे बड़ी ताकत है टमैसिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटरट (MOP) बम, जो 13600 किग्रा का होता है और 200 फीट मोटी कंक्रीट की दीवार को भी तोड़ सकता है.
हमले का मकसद
ये हमला इजरायल-ईरान तनाव के बीच हुआ है. पिछले हफ्ते इजरायल ने ईरान के हवाई रक्षा सिस्टम और मिसाइल ठिकानों पर हमले किए थे. अब अमेरिका ने सीधे तौर पर इजरायल का साथ देते हुए ईरान की परमाणु ताकत को कमजोर करने की कोशिश की है. हालांकि, हमले के बाद से ईरान और इजरायल ने एक दूसरे पर फिर से बम बरसाना शुरू कर दिया है.