प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक सरकारी अस्पताल में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। मुरैना निवासी 19 वर्षीय कृष्णा श्रीवास की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद उनके परिजनों से पोस्टमार्टम हाउस में नीली पन्नी वाले कफन के लिए 500 रुपये मांगे गए। इस घटना ने सरकारी सिस्टम की लापरवाही और संवेदनहीनता को उजागर किया है।
क्या है पूरा मामला ?
कृष्णा श्रीवास अपनी चाची को बाइक पर ले जा रहे थे, तभी एक वाहन की टक्कर से दोनों घायल हो गए। चाची की 1 सितंबर को इलाज के दौरान मृत्यु हो गई, जबकि कृष्णा को गंभीर हालत में ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल (हजार बिस्तर अस्पताल) में रेफर किया गया। उनके पैर में फ्रैक्चर था, लेकिन परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में लापरवाही के कारण उनकी स्थिति बिगड़ती गई। दो दिन बाद भी प्लास्टर नहीं चढ़ाया गया और सीनियर डॉक्टरों की अनुपस्थिति में जूनियर डॉक्टरों ने इलाज किया। 3 सितंबर को कृष्णा की मृत्यु हो गई। पोस्टमार्टम हाउस में, कर्मचारियों ने शव को नीली पन्नी में लपेटने के लिए परिजनों से 500 रुपये की मांग की। यह राशि देने के बाद ही शव परिजनों को सौंपा गया।
परिजनों की शिकायत और फेसबुक पोस्ट
मृतक के मामा और बीजेपी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के प्रदेश मीडिया प्रभारी पवन सेन ने इस घटना पर आक्रोश जताते हुए फेसबुक पर मुख्यमंत्री मोहन यादव को टैग कर एक पोस्ट लिखी। उन्होंने लिखा:”सड़क दुर्घटना में मृतक से कफन के पैसे मत मांगो सरकार। मुख्यमंत्री मोहन यादव जी, ध्यान दीजिए। सरकारी डॉक्टरों की बंगलों पर दुकान बंद करवाइए। ग्वालियर ट्रॉमा सेंटर का भगवान मालिक है। होटल, फैक्ट्री से पहले अस्पताल सुधारने पर ध्यान दीजिए।”
पवन सेन ने आरोप लगाया कि उनके भांजे की मौत सरकारी सिस्टम की लापरवाही के कारण हुई। उन्होंने अस्पताल में सीनियर डॉक्टरों की अनुपस्थिति और जूनियर डॉक्टरों द्वारा इलाज किए जाने की बात भी उठाई।
सोशल मीडिया पर लोगों में गुस्सा
इस फेसबुक पोस्ट और घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों में गुस्सा देखा गया। यह मामला सरकारी अस्पतालों में व्याप्त भ्रष्टाचार और संवेदनहीनता को दर्शाता है। हालांकि, खबरों में अभी तक इस मामले में प्रशासन या अस्पताल की ओर से कोई आधिकारिक कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आई है। यह घटना अकेली नहीं है। उत्तर प्रदेश के कौशांबी (2023) और बिहार के सीतामढ़ी (2025) में भी पोस्टमार्टम के लिए परिजनों से पैसे मांगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन मामलों में भी कर्मचारियों ने 1,500 से 10,000 रुपये तक की मांग की थी, और वीडियो वायरल होने के बाद कार्रवाई की गई थी।
यह घटना मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सुधार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पहले ही शव वाहन की मुफ्त व्यवस्था की घोषणा की थी, लेकिन इस तरह की घटनाएं सिस्टम में गहरी खामियों को दर्शाती हैं। परिजनों की मांग है कि अस्पताल प्रशासन और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी अमानवीय घटनाएं न हों।