प्रकाश मेहरा
एक्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला समेत चार अंतरिक्ष यात्री एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन पूरा करने के बाद 15 जुलाई 2025 को धरती पर सुरक्षित लौट आए। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचने वाले पहले भारतीय और 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय बने।
मिशन का लॉन्च और अवधि
शुभांशु शुक्ला और उनके तीन अन्य साथी-कमांडर पैगी व्हिटसन (अमेरिका), मिशन विशेषज्ञ स्लावोज़ उज्नान्स्की-विस्नीवस्की (पोलैंड), और टिबोर कापू (हंगरी)- 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए ड्रैगन अंतरिक्ष यान ‘ग्रेस’ में ISS के लिए रवाना हुए थे। 28 घंटे की यात्रा के बाद 26 जून को यान ISS पर डॉक हुआ। अंतरिक्ष यात्रियों ने ISS पर 18 दिन बिताए।
क्या हुए वैज्ञानिक कार्य ?
इस मिशन के दौरान, चालक दल ने 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें भारत के सात स्वदेशी प्रयोग शामिल थे। ये प्रयोग जीवन विज्ञान, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, और पानी के व्यवहार जैसे विषयों पर केंद्रित थे। प्रयोगों के लिए उपयोग की गई किट भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग, IISc बेंगलुरु और IIT जैसे संस्थानों द्वारा विकसित की गई थीं। ड्रैगन अंतरिक्ष यान 580 पाउंड से अधिक कार्गो, जिसमें नासा का हार्डवेयर और प्रयोगों का डेटा शामिल था, लेकर लौटा। वापसी14 जुलाई 2025 को भारतीय समयानुसार शाम 4:45 बजे ड्रैगन अंतरिक्ष यान ISS से अलग हुआ। यह प्रक्रिया पूरी तरह स्वचालित थी।
कितने घंटे की यात्रा !
करीब 22.5 घंटे की यात्रा के बाद, 15 जुलाई 2025 को दोपहर 3:01 बजे (IST) यान ने कैलिफोर्निया के सैन डिएगो तट के पास प्रशांत महासागर में ‘स्प्लैशडाउन’ किया। इस दौरान यान की गति 28,000 किमी/घंटा थी, जो वायुमंडल में प्रवेश के समय धीमी हो गई। वायुमंडल में प्रवेश के दौरान यान ने 1,600 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहा। लैंडिंग के लिए दो चरणों में पैराशूट तैनात किए गए, पहले 5.7 किमी की ऊंचाई पर स्थिरीकरण पैराशूट और फिर 2 किमी की ऊंचाई पर मुख्य पैराशूट।
स्प्लैशडाउन के बाद, अंतरिक्ष यात्रियों को एक विशेष रिकवरी जहाज द्वारा निकाला गया और प्रारंभिक मेडिकल जांच की गई। इसके बाद उन्हें हेलिकॉप्टर से तट पर लाया गया। धरती पर लौटने के बाद, चारों अंतरिक्ष यात्रियों को सात दिन के पुनर्वास (रिहैबिलिटेशन) प्रक्रिया से गुजरना होगा ताकि वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल फिर से ढल सकें।
शुभांशु शुक्ला ने क्या कहा ?
13 जुलाई को ISS पर आयोजित विदाई समारोह में शुभांशु ने राकेश शर्मा के 1984 के प्रसिद्ध कथन को दोहराते हुए कहा, “भारत आज भी सारे जहां से अच्छा है।” उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष से भारत महत्वाकांक्षी, निडर, आत्मविश्वासी, और गर्व से भरा दिखता है। उन्होंने इस यात्रा को अविस्मरणीय बताया और कहा कि यह अनुभव उनके जीवन का हिस्सा बन गया।
शुभांशु की वापसी पर पीएम मोदी
पीएम मोदी ने शुभांशु की वापसी पर बधाई देते हुए कहा कि यह मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और यह देश के लिए गर्व का क्षण है।
I join the nation in welcoming Group Captain Shubhanshu Shukla as he returns to Earth from his historic mission to Space. As India’s first astronaut to have visited International Space Station, he has inspired a billion dreams through his dedication, courage and pioneering…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 15, 2025
क्या बोले शुभांशु के पिता ?
लखनऊ में शुभांशु के पिता शंभू दयाल शुक्ला ने उनकी सुरक्षित वापसी के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की और जनता व पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया। परिवार ने तालियां बजाकर उनकी वापसी का स्वागत किया।
एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के माता-पिता, शंभू दयाल शुक्ला और आशा शुक्ला का लखनऊ स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में भव्य स्वागत किया गया, जहां वे उनके पृथ्वी पर उतरने की पूरी घटना का सीधा प्रसारण देखेंगे।#ShubhanshuShukla | #AxiomMission4 | #Axiom pic.twitter.com/1EyEgKxEG6
— आकाशवाणी समाचार (@AIRNewsHindi) July 15, 2025
भारत के लिए मिशन का महत्व !
यह मिशन भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए चार दशकों बाद अंतरिक्ष में वापसी का प्रतीक है। शुभांशु का अनुभव भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ (2027 में प्रस्तावित) के लिए महत्वपूर्ण होगा। यह मिशन नासा, इसरो, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA), और निजी कंपनी एक्सिओम स्पेस के सहयोग से संचालित हुआ। इसकी लागत लगभग 550 करोड़ रुपये थी, जिसका भुगतान भारत सरकार ने किया।
क्या हैं चुनौतियां !
मौसम और तकनीकी कारणों से मिशन की वापसी में चार दिन की देरी हुई। प्रारंभ में 10 जुलाई को लौटने की योजना थी, लेकिन यह 14 जुलाई तक टल गई।
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक मील का पत्थर है, बल्कि यह लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। उनके प्रयोग और अनुभव भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन को मजबूती प्रदान करेंगे।