प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में भारत-नेपाल सीमा पर अवैध मदरसों और धार्मिक स्थलों के खिलाफ कार्रवाई योगी आदित्यनाथ सरकार के निर्देश पर चल रही है। यह अभियान मुख्य रूप से बहराइच, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, महाराजगंज और पीलीभीत जैसे सीमावर्ती जिलों में केंद्रित है। कार्रवाई के पीछे कुछ कारण और तथ्य सामने आए हैं।
अवैध निर्माण और अतिक्रमण
कई मदरसे और मस्जिदें बिना वैध दस्तावेजों या मान्यता के सरकारी या निजी जमीन पर बनाई गई हैं। उदाहरण के लिए, श्रावस्ती में एक मस्जिद और 102 मदरसों को अवैध घोषित कर सील किया गया, क्योंकि उनके पास उचित दस्तावेज नहीं थे। सरकार को शक है कि कुछ मदरसों में गैर-कानूनी गतिविधियाँ, जैसे जाली नोटों की छपाई हो रही थीं। इसके अलावा, भारत-नेपाल की खुली सीमा के कारण सुरक्षा जोखिम, जैसे तस्करी और घुसपैठ, भी एक बड़ा कारण है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इन मदरसों को विदेशी फंडिंग मिल रही थी, जिसका उपयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए हो सकता था। वक्फ कानून लागू होने के बाद अवैध धार्मिक संरचनाओं पर कार्रवाई तेज हुई है।
ग्राउंड रिपोर्ट क्या हो रहा है?
श्रावस्ती में 102 अवैध मदरसों को सील किया गया, जो सबसे अधिक है। बहराइच में 13 अवैध मदरसों में से 5 सील और 8 ध्वस्त किए गए। सिद्धार्थनगर में 3 मस्जिदों और 14 मदरसों सहित 22 अतिक्रमणों पर कार्रवाई हुई। बलरामपुर में 20 मदरसों को बंद किया गया, और 8 को नोटिस जारी हुआ। महाराजगंज में 28 अवैध मदरसों और 11 मस्जिदों/मजारों पर कार्रवाई हुई। कुल मिलाकर, 225 मदरसे, 30 मस्जिदें, 25 मजारें और 6 ईदगाह ध्वस्त किए गए।
प्रशासनिक कदम
राजस्व और पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीमें छापेमारी कर रही हैं। अवैध कब्जों को चिह्नित कर बुलडोजर से ध्वस्त किया जा रहा है या सील किया जा रहा है। उदहारण के तौर पर श्रावस्ती में 1974 से चल रहे तीन मदरसों को अवैध घोषित कर सील किया गया। बहराइच के मोतीपुर में दारुल उलूम अज़ीज़िया हदीक़तुल नोमान मदरसे को सील किया गया। नेपाल सीमा के 15 किमी दायरे में 139 अतिक्रमण हटाए गए।
यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि “केवल अवैध दस्तावेजों वाले मदरसों पर कार्रवाई हो रही है, और इसका मकसद शिक्षा को बढ़ावा देना है, न कि धार्मिक स्थलों को निशाना बनाना।”
विवाद और प्रतिक्रियाएँ
कुछ समुदायों और संगठनों ने इसे धार्मिक आधार पर कार्रवाई बताया है, लेकिन सरकार का दावा है कि यह केवल अवैध निर्माण और सुरक्षा के लिए है। नेपाल सीमा पर तनाव, जैसे 2023 में बांका जिला में सांप्रदायिक दंगे और सीमा बंदी ने भी इस अभियान को गति दी। यह अभियान अवैध निर्माण, सुरक्षा जोखिम, और गैर-कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिए चलाया जा रहा है। हालांकि, यह संवेदनशील मुद्दा है और स्थानीय समुदायों में इसके प्रति मिश्रित प्रतिक्रियाएँ हैं। सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई पारदर्शिता और सुरक्षा के लिए है, लेकिन इसे धार्मिक आधार पर निशाना बनाने का आरोप भी लग रहा है।