नई दिल्ली: सड़क सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्देश जारी किए हैं. यह निर्देश पैदल यात्रियों की सुरक्षा, गलत दिशा में ड्राइविंग, हेलमेट के इस्तेमाल और हाई बीम हेड लाइट जैसे कई विषयों से जुड़े हैं. जस्टिस जे बी पारडीवाला और के वी विश्वनाथन की बेंच ने मंगलवार (7 अक्टूबर, 2025) को यह निर्देश ‘आर राजसीकरन बनाम भारत सरकार’ मामले में जारी किए हैं.
जजों ने अपने आदेश में 2023 की सड़क दुर्घटनाओं का उल्लेख किया है. उस साल देश भर में 35 हजार से अधिक पैदल यात्री मारे गए थे. हेलमेट न पहनने के कारण 54 हजार से अधिक दोपहिया वाहन सवारों की जान गई थी. कोर्ट ने कहा है कि यह आंकड़े सड़क सुरक्षा पर तुरंत ध्यान देने की गंभीर जरूरत को दिखाते हैं.
कोर्ट की तरफ से जारी अहम निर्देश
- पैदल यात्रियों और साइकिल/हाथगाड़ी पर नियम- सभी राज्य सरकारें और सरकारी ऑथोरिटी 6 महीने पैदल यात्रियों और गैर-यांत्रिक वाहनों (जैसे साइकिल और हाथगाड़ी) के सार्वजनिक सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर आवाजाही को लेकर नियम बनाएं.
- फुटपाथ- 50 प्रमुख शहरों में फुटपाथों का ऑडिट किया जाए. पहले भीड़-भाड़ वाले इलाकों जैसे बाजारों, स्टेशनों और संस्थानों के आसपास की सड़कों से शुरुआत हो. फुटपाथ की चौड़ाई और उसमें अतिक्रमण की समीक्षा हो.अतिक्रमण हटाने और नियमित निगरानी की व्यवस्था बने.
- पैदल क्रॉसिंग सुविधा- सभी पैदल पार पथों की जांच कर यह देखा जाए कि वह तय मानकों के मुताबिक हैं या नहीं. जहां जरूरी हो वहां फुट-ओवर ब्रिज और अंडरपास का रख-रखाव किया जाए. एक ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली भी बनाई जाए, जहां यात्री शिकायत कर सकें.
- हेलमेट- दोपहिया वाहन चालकों और यात्रियों के लिए हेलमेट पहनने का कानून सख्ती से लागू हो. कैमरों के जरिए उल्लंघन को पकड़ा जाए. चालान, जुर्माना और लाइसेंस निलंबन जैसी कार्रवाई की जाए.
- गलत दिशा और लेन में ड्राइविंग- गलत दिशा और गलत लेन में ड्राइविंग और असुरक्षित ओवरटेकिंग पर सख्ती हो. रंगीन लेन मार्किंग, रंबल स्ट्रिप और टायर-किलर जैसे उपायों से गलत दिशा में वाहन चलाने पर रोक लगाई जाए. कैमरा निगरानी और जुर्माना हो.
- अवैध रोशनी और हूटर पर रोक- हाई बीम वाली अवैध लाइट पर लगाम लगे. वाहनों की हेडलाइट के लिए अधिकतम रोशनी और बीम का एंगल तय किया जाएगा. अवैध लाल-नीली स्ट्रोब लाइट और हूटर के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो. फिटनेस और पीयूसी जांच के दौरान इन बातों की भी जांच की व्यवस्था बनाई जाए.
आगे भी चलेगी सुनवाई
कोर्ट ने साफ किया है कि वह मामले की सुनवाई बंद नहीं कर रहा है. 7 महीने बाद इसे दोबारा सुना जाएगा. तब तक राज्य सरकारें, NHAI समेत दूसरी संबंधित संस्थाएं इन निर्देशों के पालन की व्यवस्था बनाएं और कोर्ट को रिपोर्ट दें.