किसी ने पूछा कि मैडम आजकल तो लोग खुश नहीं हैं, लेकिन आप हमेशा खुश रहने की बात कर रही हैं, यह कैसे संभव है ? मैंने कहा बिल्कुल आसान है अगर आपको तरीका आ जाए तो। खुश रहना सिर्फ एक पल की बात नहीं है बल्कि यह एक कला है , एक विचारधारा है जिसके कुछ नियम है। उन नियमों का अभ्यास आपको प्रतिदिन करना होगा ,तभी आप खुश रहने के सिद्धांत को जान पाएंगे। हमेशा खुश रहने के सिद्धांत को हम एक उदाहरण से समझ सकते हैं, हमारे जीवन में सुख-दुख दोनों ही होते हैं, दुख का अपना महत्व है और सुख का अपना महत्व।
यदि दुख है तो जीवन में होने वाले सुख की अवहेलना नहीं की जा सकती क्योंकि सारा संसार सुखों के पीछे ही भाग रहा है। दुख को कम करने के तरीके पर काम किया जाए और सुख के लिए ईश्वर का धन्यवाद किया जाए तो जीवन में कुछ मुश्किल नहीं है। जब यह विचारधारा जीवन में अपना ली जाएगी ,तब खुश रहना अपने आप आ जाएगा क्योंकि यह एक जीवन शैली का अहम हिस्सा हो जाएगा।
टॉक थेरेपी हमारे जीवन में कितनी जरूरी है ,इस बात का अंदाजा हम आसानी से लगा सकते हैं। लांसेट के रिकार्ड्स बता रहे हैं कि भारत में 19.73 करोड़ लोग मानसिक बीमारियों से गुजर रहे हैं जिसमें 4.57 करोड़ लोग डिप्रेशन और 4.49 करोड़ लोग तनाव से जूझ रहे हैं।लोग तन से कम मन से अधिक परेशान है । सबसे पहले इंसान का दिमाग बीमार होता है जब दिमाग नहीं चीजों को नहीं संभाल पाता तब बीमारी के लक्षण शरीर पर दिखाई देने लगते हैं। जब तक बीमारी हमें समझ आती है ,तब तक बीमारी हमारे शरीर को पूरी तरह घेर चुकी होती है।
थोड़ा पीछे जाकर देखिए जब हमारे दादा दादी और नाना नानी जिंदा थे हम गर्मियों की छुट्टी में छुट्टियों में उनसे मिलने जाते थे तब आस पड़ोस के रिश्तेदार जैसी चाचा चाची, मामा मामी , हुआ मौसी हमसे बड़े चाव और मन से मिलने आते थे । हमसे बहुत सारी बातें करते थे ।दादी और नानी कहानियां सुनाया करती थी और उन कहानियों में ही जीवन के सबक समझा दिया करती थी ।उनकी कहानी सुनते-सुनते कब नींद आ जाती थी पता ही नहीं चलता था।
मां भले ही काम में व्यस्त रहती थी लेकिन दादी का ध्यान अपने पोती पोतों पर ही रहता था । अब समय बदल गया हम आधुनिक हो गए जीवन शैली बदल गई संयुक्त परिवार में एक आंगन में बैठकर घंटों बातें करते थे। एक साथ बैठकर खाना खाते थे। वो एक साथ बैठना परिवार को जोड़कर रखता था। लोग दुख में एक दूसरे के साथ दिल से खड़े होते थे। दिल से रिश्ते निभाते थे। उस समय प्रॉफिट पर परिवार नहीं चलते थे। अगर परिवार में प्रॉफिट देखा जाता तो लक्ष्मण श्री राम के साथ वन कभी न जाते।
भारत कभी श्री राम के सिंहासन पर नहीं बैठे क्योंकि वो जानते थे कि वो मेरा नहीं है। अब परिवार छोटे हो गए, परिवार छोटे होने के साथ-साथ हमारी भावनाएं भी सिकुड़ गई । तार वाले फोन तक सब ठीक था लेकिन जब मोबाइल हाथ में आया । तब से परिवार के लोग एक दूसरे से अनजान और बेगाने हो गए, एक साथ रहते हुए भी हम सब अकेले हैं किसी के पास इतना समय नहीं की बैठकर दो घड़ी बातें करें , हंसी मजाक कर ले। रिश्ते सिर्फ फायदे देखकर निभाए जा रहे हैं इन सब बातों को देखते और समझते हुए समझ आ जाना चाहिए कि टॉक थेरेपी जीवन को स्वस्थ रखने के लिए कितनी जरूरी है।
टॉप थेरेपी के लाभ :-
- बात करने से एक दूसरे को जानने का अवसर मिलता है.
- बातचीत करने से रिश्तों में समझ और प्रेम से बना रहता है ।
- बातचीत करने से मन में जमा हुआ तनाव और नकारात्मक विचार निकल जाते हैं
- बात करने से लोग अपने अनुभव दूसरों के साथ शेयर करते हैं जिससे एक का अनुभव दूसरे के लिए समाधान बन जाता है।
- बातचीत हमें परिवार और समाज से जोड़कर रखती है।
- हम इंसानों को सुख-दुख दोनों में ही एक दूसरे की जरूरत है ।
- व्यापारिक नीतियों में भी यही सिखाया जाता है कि पहले कस्टमर से जुड़े फिर उन्हें अपने प्रोडक्ट के बारे में समझाओ ।
- व्यवहार में अच्छा दुकानदार अक्सर महंगा सामान भी आसानी से बेच देता है।
- बातचीत में निपुण इंसान हर जगह जीतने की क्षमता रखता है ।
- बातचीत करना एक कला है जिसे यह कल आ गई ,कोई भला उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती इसलिए बातचीत करते रहो और तनाव को भागते रहो।