नई दिल्ली। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश छोड़ने के बाद पहली बार चुप्पी तोड़ी है. शेख हसीना ने देश में छात्र आंदोलन के बाद हुए तख्तापलट के बाद बयान दिया है. शेख हसीना ने कहा उनके खिलाफ हुआ छात्र आंदोलन अमेरिका की ओर से रचा गया और पाकिस्तान की ओर से अंजाम दिया गया एक आतंकी हमला था.
द प्रिंट से बातचीत में हसीना ने कहा कि पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुई घटनाएं विदेशी साजिश का हिस्सा थीं, जिसका मकसद उन्हें सत्ता से हटाना था. शेख हसीना ने कहा, इसे क्रांति मत कहो! यह बांग्लादेश पर एक आतंकी हमला था, जिसे अमेरिका ने योजना बनाकर पाकिस्तान से अंजाम दिलवाया और छात्रों के विद्रोह के रूप में पेश किया गया. यह मुझे सत्ता से हटाने के लिए किया गया था. जिन हत्याओं का दोष मेरी सरकार पर डाला गया, वो पुलिस ने नहीं बल्कि आतंकियों ने की थीं, ताकि जनता को मेरे खिलाफ भड़काया जा सके.
मोहम्मद यूनुस पर लगाया आरोप
हसीना ने सीधे तौर पर नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस पर आरोप लगाया कि उन्होंने अमेरिकियों के इशारे पर उन्हें सत्ता से हटाने की साजिश रची. उन्होंने दावा किया कि अमेरिका बंगाल की खाड़ी में स्थित रणनीतिक क्षेत्र सेंट मार्टिन द्वीप पर नियंत्रण चाहता था.
हसीना ने कहा, तुम जानते हो, इस सबके पीछे असली व्यक्ति कौन है? वो यूनुस है. अमेरिकन मुझ से सेंट मार्टिन द्वीप चाहते थे. अगर मैं मान जाती, तो वो मुझे सत्ता से नहीं हटाते. लेकिन, मैंने अपना देश बेचने से इनकार कर दिया.
उन्होंने आगे कहा, यूनुस ने ही अमेरिकियों के कहने पर पिछले साल जुलाई-अगस्त में बांग्लादेश पर हुए आतंकी हमले की साजिश, फंडिंग और क्रियान्वयन किया. वो एक धोखेबाज़ है जिसने अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए अपने ही देश को बर्बाद कर दिया.
पाकिस्तान पर साधा निशाना
हसीना ने यह भी आरोप लगाया कि पाकिस्तान की कट्टरपंथी ताकतें लंबे समय से बांग्लादेश में चरमपंथी नेटवर्क को समर्थन देती रही हैं — यह हस्तक्षेप का वही पैटर्न है जो 1971 से जारी है.
अवामी लीग की बढ़ी मुश्किल
हसीना के देश छोड़ने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार ने अवामी लीग की गतिविधियां निलंबित कर दीं और मई में चुनाव आयोग ने पार्टी का पंजीकरण रद्द कर दिया. अवामी लीग — जो बांग्लादेश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टियों में से एक है और जिसका जनसमर्थन परिवारिक परंपरा से जुड़ा है. अब कई कानूनी लड़ाइयों का सामना कर रही है, जिनमें प्रदर्शनकारियों की मौतों से जुड़े कथित हत्या के मामलों में हसीना पर खुद भी आरोप शामिल हैं.
ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 में मुकदमे की सुनवाई पूरी हो चुकी है, जहां अभियोजन पक्ष ने हसीना के लिए मौत की सजा की मांग की है.
इस बीच, बांग्लादेश चुनाव आयोग के दिसंबर की शुरुआत में आम चुनाव की तारीख घोषित करने की उम्मीद है. यूनुस ने सेना और विपक्षी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के दबाव में अगले साल फरवरी तक चुनाव कराने का वादा किया है.
छात्र आंदोलन के बाद छोड़ना पड़ा था देश
हसीना को पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा, जब लगातार विरोध प्रदर्शनों में 1,400 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. यह आंदोलन शुरू में नौकरी कोटे की नीतियों के खिलाफ छात्रों के विरोध से शुरू हुआ था, लेकिन जल्द ही उनके इस्तीफे की मांग में राष्ट्रव्यापी आंदोलन में बदल गया.
15 साल से अधिक समय तक बांग्लादेश की सत्ता संभालने वाली हसीना ने सेना प्रमुख वाकर-उज-जमान की सलाह पर देश छोड़ा, जब प्रदर्शनकारी उनके ढाका स्थित आवास की ओर बढ़ रहे थे. तब से वो कथित रूप से दिल्ली में सरकारी सुरक्षा आवास में रह रही हैं.







