नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में बढ़ते जलवायु असंतुलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताते हुए राज्य सरकार को सख्त चेतावनी दी है. कोर्ट ने कहा अगर बेतरतीब विकास और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां नहीं रुकीं, तो “एक दिन पूरा हिमाचल नक्शे से गायब हो सकता है.” कोर्ट की सख्त टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब हिमाचल में बदलते पर्यावरण को लेकर लगातार चिंता जताई जा रही है. विकास के नाम पर अंधाधूंध पेड़ काटे जा रहे हैं.
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि राज्य में ग्रीन टैक्स के फंड की निगरानी जरूरी है ताकि इसका इस्तेमाल गलत उद्देश्यों में न हो. कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकारों का मकसद राजस्व बढ़ाना नहीं बल्कि पर्यावरण को बचाना होना चाहिए खासकर ऐसे संवेदनशील इलाकों में.
चार हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्तों में पर्यावरण और इकोलॉजी को सुधारने के लिए उठाए गए कदमों की रिपोर्ट पेश करने को कहा है. कोर्ट ने यह टिप्पणी एक होटल कंपनी, M/s Pristine Hotels और Resorts Pvt Ltd, की याचिका खारिज करते हुए की. यह कंपनी जून 2025 की उस अधिसूचना के खिलाफ थी, जिसमें श्री तारा माता हिल को ग्रीन एरिया घोषित कर नई प्राइवेट कंस्ट्रक्शन पर रोक लगा दी गई थी.
स्थिति बिगड़ चुकी है…
बेंच ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. इस साल भी बाढ़ और भूस्खलन में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घर तबाह हो गए. यह साफ है कि प्रकृति इंसानी गतिविधियों से नाराज है. कोर्ट ने आगे कहा कि केवल प्रकृति को दोष देना गलत है. हिमाचल में पहाड़ों का खिसकना, सड़कों पर लैंडस्लाइड, मकानों का गिरना और सड़क धंसना… ये सब इंसानों की छेड़छाड़ का नतीजा है.”
हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर भी सवाल
कोर्ट ने भाखड़ा और नाथपा झाकड़ी जैसे हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर सवाल उठाते हुए कहा कि बिना सही भूगर्भ जांच और पर्यावरण अध्ययन के ये प्रोजेक्ट्स पहाड़ों को कमजोर कर रहे हैं. न्यूनतम जल प्रवाह का पालन न होने से नदियों में जलीय जीवन खत्म हो रहा है. आज सतलुज नदी एक नाले जैसी हो गई है.”
कोर्ट का सख्त रुख
बेंच ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पर्यावरण सुरक्षा पर सुओ मोटू पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन शुरू किया है. कोर्ट ने साफ किया कि अब समय रहते सख्त कदम न उठाए गए तो हिमाचल का अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है.