हेल्थ डेस्क
नई दिल्ली: कोरोना वायरस का JN.1 वैरिएंट, जो ओमिक्रॉन (BA.2.86) का एक उप-वंशज है, हाल ही में भारत और अन्य देशों में चर्चा में है। यह वैरिएंट अगस्त 2023 में पहली बार सामने आया और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे दिसंबर 2023 में “वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट” (VOI) के रूप में वर्गीकृत किया। भारत में JN.1 से जुड़े मामलों में हाल के महीनों में वृद्धि देखी गई है, खासकर कुछ राज्यों में। आइए पूरी स्थिति को विस्तार से एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
भारत में JN.1 वैरिएंट की स्थिति
19 मई 2025 तक, भारत में 257 सक्रिय कोविड-19 मामले दर्ज किए गए, जो पिछले एक साल में सबसे अधिक हैं। इनमें से अधिकांश मामले केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु से हैं। भारत में अभी तक JN.1 वैरिएंट के व्यापक प्रसार की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि, इसके उप-वंशज LF.7 और NB.1.8, जो JN.1 से निकले हैं, सिंगापुर और हांगकांग में मामलों की वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं। भारत में स्वास्थ्य अधिकारियों ने निगरानी बढ़ा दी है। जनवरी 2024 तक, भारत में JN.1 के 682 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें सबसे अधिक मामले कर्नाटक (199), केरल (148), और महाराष्ट्र (139) से थे।
JN.1 वैरिएंट की विशेषताएं
JN.1 में एक अतिरिक्त स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन है, जो इसे अपने मूल वैरिएंट BA.2.86 की तुलना में अधिक संक्रामक बनाता है। इसमें लगभग 30 म्यूटेशन हैं, जो इसे प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में मदद करते हैं।
क्या हैं इसके लक्षण ?
JN.1 के लक्षण अन्य ओमिक्रॉन उप-वैरिएंट्स के समान हैं, जिनमें शामिल हैं: बुखार, गले में खराश, सूखी खांसी, नाक बहना या बंद नाक, थकान, सिरदर्द, स्वाद या गंध की हानि कुछ मामलों में दस्त (जो पहले के वैरिएंट्स की तुलना में अधिक देखा गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, “JN.1 से होने वाली बीमारी ज्यादातर हल्की है, और अधिकांश मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ती। हालांकि, बुजुर्गों और सह-रोगों (comorbidities) वाले लोगों में जटिलताओं का जोखिम हो सकता है।”
क्या डरने की ज़रूरत है ?
भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों का कहना है कि “स्थिति नियंत्रण में है। 257 सक्रिय मामलों में से अधिकांश हल्के हैं और घर पर ही ठीक हो रहे हैं। अस्पताल में भर्ती की दर बहुत कम है।” WHO ने JN.1 को “कम जोखिम” वाला वैरिएंट माना है, क्योंकि यह गंभीर बीमारी या मृत्यु दर में वृद्धि का कारण नहीं बन रहा।
सिंगापुर में मई 2025 की शुरुआत में साप्ताहिक मामले 11,100 से बढ़कर 14,200 हो गए और हांगकांग में एक सप्ताह में 31 मौतें दर्ज की गईं। इन वृद्धियों को LF.7 और NB.1.8 उप-वैरिएंट्स से जोड़ा गया है। भारत में ऐसी स्थिति की आशंका कम है, लेकिन सतर्कता बरती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि “टीकाकरण या पिछले संक्रमण से मिली प्रतिरक्षा समय के साथ कम हो रही है, जिससे मामलों में वृद्धि हो सकती है। बूस्टर खुराकों की कमी भी एक कारण हो सकता है।”
सावधानियां और सुझाव
स्वास्थ्य विशेषज्ञ और सरकार निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह दे रहे हैं भीड़भाड़ वाले या कम हवादार स्थानों पर मास्क पहनें। नियमित रूप से साबुन से हाथ धोएं। मौजूदा टीके JN.1 के खिलाफ गंभीर बीमारी से बचाव में प्रभावी हैं। बूस्टर डोज लेने की सलाह दी जाती है, खासकर बुजुर्गों और सह-रोगों वाले लोगों के लिए। बुखार, खांसी, या सांस लेने में तकलीफ होने पर तुरंत टेस्ट करवाएं और घर पर आइसोलेट हों। भारत में इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) और ICMR के माध्यम से सतत निगरानी की जा रही है।
क्या भारत को चिंता करने की ज़रूरत है?
वर्तमान में, भारत में JN.1 वैरिएंट के कारण कोई बड़ा खतरा नहीं है। 257 सक्रिय मामले देश की विशाल आबादी की तुलना में बहुत कम हैं, और अधिकांश मामले हल्के हैं। हालांकि, सिंगापुर और हांगकांग जैसे देशों में मामलों की वृद्धि को देखते हुए, भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय सतर्क है और निगरानी बढ़ा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 अब एक स्थानिक (endemic) बीमारी की तरह व्यवहार कर रहा है, जिसमें समय-समय पर स्थानीय या क्षेत्रीय प्रकोप हो सकते हैं।
सावधानी बरतना और बूस्टर खुराक !
JN.1 वैरिएंट के कारण भारत में मामलों में मामूली वृद्धि देखी गई है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है। डरने की बजाय सावधानी बरतना और बूस्टर खुराक लेना महत्वपूर्ण है। स्वास्थ्य अधिकारियों की सलाह और नियमित निगरानी से इस स्थिति को नियंत्रित रखा जा सकता है। यदि आपके पास लक्षण हैं, तो तुरंत टेस्ट करवाएं और आइसोलेशन का पालन करें।