नई दिल्ली। आज के दौर में स्मार्टफोन हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। लेकिन अक्सर लोग अपने फोन की सुरक्षा को नजरअंदाज कर देते हैं। ऐसे ही लोगों को सावधान करने के लिए सरकारी एजेंसी Consumer Affairs (Jago Grahak Jago) ने अपने X (Twitter) अकाउंट पर एक पोस्ट जारी की है, जिसमें लोगों को गलत या सस्ते चार्जर के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी गई है।
गलत चार्जर से हो सकता है बड़ा नुकसान
कंज्यूमर अफेयर्स की पोस्ट के अनुसार, कई लोग पैसे बचाने के चक्कर में सस्ते और सब-स्टैंडर्ड चार्जर खरीद लेते हैं। ये चार्जर न तो किसी सुरक्षा मानक को फॉलो करते हैं और न ही इन पर किसी प्रमाणन का निशान होता है। ऐसे चार्जर आपके फोन की बैटरी, मदरबोर्ड और यहां तक कि आपकी सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकते हैं।
कौन सा चार्जर खरीदें?
- सरकारी एजेंसी ने सलाह दी है कि उपभोक्ताओं को हमेशा CRS (Compulsory Registration Scheme) मार्क वाला चार्जर ही खरीदना चाहिए।
- CRS मार्क यह दर्शाता है कि चार्जर सुरक्षा मानकों पर खरा उतरा है।
- बिना CRS मार्क वाले चार्जर का इस्तेमाल फोन को नुकसान पहुंचा सकता है या इलेक्ट्रिक शॉक जैसी दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।
सब-स्टैंडर्ड चार्जर कैसे पहचानें?
ऐसे चार्जर जो —
- नकली ब्रांड नाम से बेचे जा रहे हों,
- सर्टिफिकेशन मार्क (जैसे CRS) न हो,
- खराब क्वालिटी के कंपोनेंट्स से बनाए गए हों,
- या असली चार्जर की कॉपी हों,
- वे सब-स्टैंडर्ड कैटेगरी में आते हैं।
सब-स्टैंडर्ड चार्जर के खतरे
- बैटरी डैमेज: तेज चार्जिंग से बैटरी की लाइफ कम हो जाती है या फोन पूरी तरह खराब हो सकता है।
- मदरबोर्ड फेल: गलत चार्जर से फोन के इंटरनल सर्किट जल सकते हैं, जिसकी मरम्मत काफी महंगी होती है।
- इलेक्ट्रिक शॉक या स्पार्किंग: कम गुणवत्ता वाले चार्जर से शॉर्ट सर्किट या झटका लग सकता है।
- आग लगने का खतरा: कई मामलों में सस्ते चार्जर से फोन में आग तक लग चुकी है.







