नई दिल्ली। सौरमंडल में एक छोटा सा ग्नह है. इसे क्षुद्रग्रह भी कहा जाता है. ये सोने यानि गोल्ड से भरा पड़ा है. बल्कि कहा तो ये जाता है कि ये पूरा ग्रह ही सोने से बना हुआ है. केवल यही नहीं इसमें बहुत ही कीमती धातुओं का भी खजाना है. ये ग्रह सोने की तरह पीला पीला चमचमाता रहता है. नासा ने अपना एक यान भी इस छोटे से ग्रह की ओर भेजा हुआ है. ये एक बड़ा सवाल है कि क्या वहां से प्रचुर सोना धरती पर लाया जा सकता है.
इस ग्रह का नाम 16साइचे है. इसे सबसे पहले इटली के खगोलविद एनिबेले डी गास्पेरिस ने खोजा था. चूंकि उस समय ये खोजा गया 16वां क्षुद्रग्रह था इसलिए इसे 16 साइचे नाम दिया गया. इसका आकार आलू की तरह का है, इसमें लोहे से लेकर सोने, प्लेटिनम, निकल जैसी बहुमूल्य धातुएं शामिल हैं.
कितनी दूर है हमसे
साइचे क्षुद्रग्रह पृथ्वी से 3.5 अरब किलोमीटर की दूरी पर है जहां प्रकाश को पहुंचने में 31 मिनट लगते हैं. नासा का साइचे अभियान इसके पास छह साल में पहुंचेगा. आंकलन के मुताबिक साइचे की सतह का क्षेत्रफल करीब 165 800 वर्ग किलोमीटर है जो तमिलनाडु राज्य से करीब 35000 वर्ग किलोमीटर अधिक है. यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से
अगर ये सोना धरती पर आ जाए
इस विषय पर काफी कुछ लिखा गया है कि साइचे पर कितनी सोना की धातु मौजूद है. उसकी कीमत क्या है. जितना सोना इस पर है, उसका मूल्य पृथ्वी की पूरी अर्थव्यवस्था से कहीं ज्यादा होगा. माना जाता है कहीं बताया गया है कि इसका सोना अगर धरती पर आ जाए तो हर किसी को सोने से लादा जा सकता है.
नासा की क्यों है रुचि?
रोचक बात यह है कि नासा का इस क्षुद्रग्रह के लिए अभियान भेजने के फैसले के पीछे यहां की धातुओं की कीमत नही बल्कि उपस्थिति ज्यादा है. सामान्य तौर पर क्षुद्रग्रह में कार्बन और पानी और अन्य पदार्थ होते हैं जो सौरमंडल के समय ग्रह बनने के समय बने थे. इनमें धातुएं नहीं होती हैं. ऐसे में धातु इस तरह के क्षुद्रग्रह कहां से आई, यह कई रहस्य खोलने वाली पड़ताल हो सकती है. हो सकता है कि इसके बाद नासा फिर कोई ऐसा अभियान चलाए कि यहां से सोने को कैसे धरती पर लाया जा सकता है.
इस क्षुद्रग्रह के सोने समेत कई धातु से युक्त होने के कारण ही इसमें खगोलविदों की खासी दिलचस्पी है. वैज्ञानिकों को लगता है कि यह ग्रहों के बनने की शुरुआती अवस्था में उनके क्रोड़ से निकली धातु से बना होना चाहिए.
क्या धरती पर ला सकते हैं वहां से गोल्ड
कुछ अनुमानों के अनुसार, 140 मील चौड़े क्षुद्रग्रह 16 साइकी में 10,000 क्वाड्रिलियन डॉलर मूल्य का लोहा, निकल और सोना है. वैज्ञानिकों का मानना है कि साइचे किसी ग्रह का खुला धात्विक कोर हो सकता है जिसने हमारे सौर मंडल के प्रारंभिक गठन के दौरान टकराव के कारण अपनी चट्टानी बाहरी परत खो दी थी. नासा के अनुसार, साइचे संभवतः चट्टान और धातु के मिश्रण से बना है, जिसमें धातु इसकी मात्रा का 30% से 60% है.
हालांकि ये भी कहा गया है कि ये सोचना केवल कल्पना होगी कि इस क्षुद्र ग्रह से सोना कभी पृथ्वी पर लाया जा सकेगा. वैसे भी अगर बड़ी मात्रा में ये सोना धरती पर आ भी जाए तो सोने का महत्व भी खत्म हो जाएगा.
16 साइचे ग्रह क्या है
यह एक विशाल क्षुद्रग्रह है, जो मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित एस्टेकरायड बेल्ट में घूम रहा है. हालांकि ये पूरी तरह सोने से तो नहीं बना है लेकिन इसकी रासायनिक संरचना में भारी मात्रा में धातुएं हैं, जिनमें सोना और प्लैटिनम जैसी धातुएं प्रचुर मात्रा में शामिल हैं. अनुमान है कि इसमें अरबों टन सोना और प्लैटिनम समूह की धातुएं हैं. इसी वजह से इसका आर्थिक मूल्य लगभग 10 क्विंटिलियन अमेरिकी डॉलर (10,000,000,000,000,000,000 डॉलर) आंका गया है यानी पूरी पृथ्वी की अर्थव्यवस्था का लाखों गुना.
कैसे इस छोटे ग्रह पर आईं इतनी धातुएं
लगभग 4.5 अरब साल पहले, जब ग्रह बन रहे थे, तो छोटे-छोटे ठोस कण टकराकर बड़े प्लेनेटरी एंब्रोएस बने. साइचे कभी एक छोटे ग्रह का कोर हुआ करता था, ठीक पृथ्वी की तरह, जिसमें भारी धातुएं नीचे की ओर चली गईं. बाद में जब वह ग्रह किसी बड़े टकराव में टूट गया, तो उसका बाहरी भाग उड़ गया और उसका धातु-प्रधान कोर खुला रह गया. इसलिए साइचे हमें यह समझने का एक दुर्लभ मौका देता है कि पृथ्वी जैसे ग्रहों के कोर अंदर से कैसे दिखते होंगे.
नासा का साइचे मिशन क्या है
नासा ने वर्ष 2023 में साइचे मिशन लांच किया, जो इस क्षुद्रग्रह का गहराई से अध्ययन करेगा. ये साइचे की संरचना, घनत्व और सतह की धातु संरचना का पता लगाएगा. ये भी देखेगा कि क्या वहां से धातुओं को खोदकर पृथ्वी पर लाया जा सकता है या नहीं. ये यान 13 अक्टूबर 2023 में धरती से चला था. इसे वहां तक पहुंचने में करीब 6 साल लगेंगे.







