नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार (2 नवंबर) को पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) के सामने पेश होने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें भेजा गया नोटिस ‘‘अस्पष्ट, (राजनीति से) प्रेरित और कानून के मुताबिक विचारणीय नहीं’’ है। केजरीवाल को दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले की जांच के सिलसिले में तलब किया गया। इस साल अप्रैल में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने इसी नीति से जुड़े मामले में केजरीवाल से पूछताछ की थी। अब केजरीवाल ने ईडी को पत्र लिखकर उन्हें भेजे गए समन को ‘‘वापस लेने’’ की मांग की है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि क्या कोई व्यक्ति केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा बुलाए जाने पर पेश होने से इनकार कर सकता है? आज इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे।
किस कानून के तहत समन जारी
पहले तो जान लेते हैं कि केजरीवाल को किस कानून के तहत ईडी ने समन जारी किया था। ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 50 के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री को तलब किया। अधिनियम की धारा 50 कहती है कि जिस किसी को भी बुलाया जाएगा वह व्यक्तिगत रूप से या अधिकृत एजेंटों के माध्यम से उपस्थित होने के लिए बाध्य होगा। वह व्यक्ति जिस विषय पर उनकी जांच की जा रही है, उससे संबंधित किसी भी विषय पर सच्चाई बताने या बयान देने और आवश्यकता पड़ने पर ऐसे दस्तावेज पेश करने के लिए बाध्य होगा।
ईडी क्या करेगी?
चूंकि अब केजरीवाल ने जांच में शामिल होने से इनकार कर दिया है तो ऐसे में ईडी क्या करेगी? केजरीवाल ने जांच अधिकारी से ”अस्पष्ट और (राजनीति से) प्रेरित समन” वापस लेने को कहा है। उन्होंने कहा कि यह ”कानून की दृष्टि से टिकाऊ” नहीं हैं। ईडी के सहमत होने की संभावना नहीं है और आने वाले दिनों में केजरीवाल को नया नोटिस जारी किया जाएगा। ईडी जांच में शामिल होने तक केजरीवाल को नोटिस भेजना जारी रख सकती है।
अगर कई नोटिस के बाद भी सीएम जांच में शामिल नहीं हुए तो ईडी और भी बड़ा कदम उठा सकती है। उस स्थिति में, ईडी दो में से कोई भी कार्रवाई कर सकती है। वे संबंधित अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर कर सकते हैं और केजरीवाल के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी करवा सकते हैं। या ईडी केजरीवाल के घर पर जा सकती है और उनसे पूछताछ कर सकती है। अगर उनके पास ठोस सबूत हैं, तो पूछताछ के बाद केजरीवाल को गिरफ्तारी भी किया जा सकता है।
जवाब की समीक्षा कर रहे CM
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ईडी मुख्यमंत्री के जवाब की समीक्षा कर रहा है। ईडी से जुड़े सूत्रों ने संकेत दिया कि केजरीवाल को नयी तारीख दी जा सकती है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने हाल में अभियोजन पक्ष की ओर से दिए गए आश्वासन का संज्ञान लिया है कि मामले की सुनवाई अगले 6-8 महीनों के भीतर समाप्त हो जाएगी। केंद्रीय एजेंसी ने केजरीवाल को कथित दिल्ली आबकारी नीति मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था और वह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उनका बयान दर्ज करने वाली थी। इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं।