नई दिल्ली। दिल्ली में रह रहे अफगान शरणार्थियों के बच्चों के लिए चल रहा अफगानी स्कूल आज फंड न होने के कारण बंदी की कगार पर है। भोगल स्थित सैयद जमालुद्दीन अफगान हाई स्कूल के 280 बच्चों को अपने भविष्य का डर सता रहा है। अगस्त 2021 अफगानिस्तान में सत्ता के हस्तांतरण के बाद तालिबान सरकार ने लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगाते हुए आर्थिक सहायता देना बंद कर दिया था। तब भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे बंद होने से बचाया था, लेकिन अब तालिबान ने स्कूल की मान्यता रद्द कर दी है।
ऐसे में एक बार फिर से स्कूल का भविष्य अधर में लटका नजर आ रहा है। हालांकि, भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भारतीय बोर्डों द्वारा संचालित स्कूलों में शिफ्ट करने की योजना बनाई है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती भाषा की होगी।
स्कूल के पूर्व प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम न बताने के शर्त पर बताया कि हमे मई माह तक स्कूल के किराए के भवन को खाली करने को कहा गया है। हमें मदद की जरूरत है, यदि यहां के बच्चे भारतीय स्कूल में जाते हैं तो उनके लिए भाषा को समझना कठिन होगा। यहां उन्हें शुरू से अफगानी भाषा पढ़ाई गई है। अंग्रेजी एक विषय मात्र है, जिसे पढ़ना और अंग्रेजी माध्यम से अन्य विषयों को पढ़ना काफी अंतर है।
बच्चे व अभिभावक दोनों ही चितिंत
स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं का कहना है कि अभी तक तो उनकी शिक्षा चल रही है। उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं महसूस हुई, लेकिन स्कूल में आए दिन मीटिंग हो रही है। इसे देखकर वें भविष्य के प्रति चिंतित हैं।
वहीं, स्कूल के पास में रहने वाली अफगान शरणार्थी तबस्सुम बताती है कि उनकी बच्ची इसी स्कूल में पढ़ती है। अगर स्कूल बंद होता है तो उसे बाहर पढ़ने नहीं भेजेंगी।
1994 में स्थापित हुआ था स्कूल
1994 में स्थापित सैयद जमालुद्दीन अफगान हाई स्कूल में कक्षा एक से 12 तक के छात्र व छात्राएं हैं। यह 2008 में एक प्राथमिक विद्यालय और 2017 में उच्च विद्यालय बन गया। अफगानिस्तान में पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी भारत में रहने वाले अफगान शरणार्थियों के अनुरोध पर धन देना शुरू किया था और स्कूल को मान्यता दी थी, लेकिन अब तालिबान सरकार ने लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगाने के साथ ही स्कूल की मान्यता को भी रद्द कर दिया है। इसी कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है।