नई दिल्ली : आपने ठगी या जबरन उगाही के कई मामलों के बारे में सुना होगा, लेकिन जो मामला हम आपको बताने जा रहे हैं वो हैरान करने वाला है और दिल्ले से सटे गुरुग्राम का है. यहां आईएएस अधिकारी अनीता यादव को कॉल कर पांच करोड़ रुपये की रंगदारी मांगी गई. आरोपी के दिमाग में रंगदारी मांगने का यह आइडिया अखबार पढ़कर आया जिसमें अनीता यादव को लेकर खबर छपी थी कि उनके खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो में जांच चल रही है.
पुलिस ने आरोपी को किया गिरफ्तार
अनीता ने रंगदारी की इस कॉल के बारे में पुलिस को सूचित किया था और कॉल रिकार्डिंग भी सुनवाई थी. पुलिस ने मामले की जांच की तो आरोपी का सुराग मिल गया और बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी शख्स की पहचान 43 वर्षीय ऋषि शर्मा के रूप में हुई है, जो मूल रूप से राजस्थान के जोधपुर का निवासी है. आरोपी फिलहाल उदयपुर के केशव नगर में रहा था और उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया है.
मीडिया के जरिए पता चली खबर
पुलिस के मुताबिक, आरोपी एक बीमा एजेंट के रूप में काम करता है. आरोपी शर्मा ने खुलासा किया कि उसने अनीता यादव और अन्य अधिकारियों के खिलाफ चल रही जांच के बारे में खबर पढ़ी थी. विज ने डिप्टी कमिश्नर (ईस्ट) वीरेंद्र विज ने बताया, ‘इंटरनेट पर अनीता यादव का नंबर खोजने के बाद ऋषि शर्मा ने अधिकारी को फोन किया और उन्हें मामले में क्लीन चिट दिलाने के बहाने पैसे की मांग की. आरोपी शराब का आदी है और उसने लालच में ऐसा किया.’ वीरेंद्र विज ने फिर से कहा कि अनीता यादव द्वारा दी गई रिकॉर्डिंग में 5 करोड़ रुपये का जिक्र नहीं है. विज ने कहा कि जब महिला अधिकारी ने आरोपी से पैसों के बारे में पूछा तो उसे ‘5’ कहते हुए सुना गया.
पांच करोड़ रुपये की मांग?
वहीं अनीता यादव ने सेक्टर-50 थाना में सोमवार रात इस कॉल को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई. अनीता यादव ने कहा कि 3 मार्च को उन्हें एक नंबर से कॉल आई और आरोपी ने खुद का नाम ऋषि बताया और मुझे एक राजनेता ने आपसे संपर्क करने को कहा. एंटी करप्शन ब्यूरो की जांच का हवाला देते हुए आरोपी ने मुझे क्लीन चिट दिलवाने की बात कही और इसके लिए 5 करोड़ रुपये की मांग की. पुलिस ने इसके बाद मामला दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी थी.
200 करोड़ का है घोटाला
आपको बता दें कि हरियाणा सरकार ने हाल ही में फरीदाबाद में एक कथित घोटाले के सिलसिले में अनीता यादव, एक अन्य आईएएस अधिकारी सहित सात अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) को अनुमति दी है. मामला नगर निगम में 200 करोड़ रुपये के घोटाले का है. इस मामले में कुछ पार्षदों की शिकायत पर हुई जांच के बाद ठेकेदार सहित नगर निगम के तीन अधिकारी गिरफ्तार हो चुके हैं.