स्पेशल डेस्क/वाशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ एक निजी लंच की मेजबानी की। यह मुलाकात क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीति के संदर्भ में महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खासकर भारत-पाक तनाव और ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच। भारत ने इस मुलाकात से पहले अपनी स्थिति स्पष्ट की थी, लेकिन इस घटना ने भारतीय कूटनीति और विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं। आइए इस मुलाकात के मायने और भारत की स्थिति की पूरी रिपोर्ट एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से जानते हैं।
ट्रंप की बंद कमरे की बैठक
व्हाइट हाउस के कैबिनेट रूम में दोपहर 1 बजे (वाशिंगटन समयानुसार) निजी लंच। यह एक बंद कमरे की बैठक थी, जिसमें मीडिया को अनुमति नहीं थी। मुनीर की अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ से भी मुलाकात की संभावना है।
पश्चिम एशिया में ईरान और इजरायल के बीच युद्ध जैसे हालात हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप इस मुलाकात के जरिए पाकिस्तान को ईरान के खिलाफ रणनीतिक सहयोगी के रूप में उपयोग करना चाहते हैं। पाकिस्तान की भू-रणनीतिक स्थिति इसे क्षेत्रीय संकट में महत्वपूर्ण बनाती है। अमेरिका पाकिस्तान में सैन्य अड्डा स्थापित करने की संभावना तलाश सकता है, खासकर ईरान के खिलाफ अभियानों के लिए।
पाकिस्तान की चीन के साथ गहरी साझेदारी, खासकर चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर (CPEC), अमेरिका के लिए चिंता का विषय है। ट्रंप इस मुलाकात के जरिए पाकिस्तान को चीन से दूर लाने की कोशिश कर सकते हैं।
भारत-पाक तनाव और ऑपरेशन सिंदूर
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन के सैन्य संघर्ष (ऑपरेशन सिंदूर) के बाद डीजीएमओ स्तर की बातचीत से युद्धविराम हुआ। ट्रंप ने दावा किया कि “उन्होंने इस युद्धविराम में मध्यस्थता की, लेकिन भारत ने स्पष्ट किया कि यह फैसला बिना किसी मध्यस्थता या व्यापार समझौते के लिया गया।
मुनीर की मुलाकात को भारत के लिए एक संदेश के रूप में देखा जा रहा है, खासकर तब जब भारत ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है।
आतंकवाद और मुनीर की विवादास्पद छवि
मुनीर की भड़काऊ टिप्पणियां 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमलों से जुड़ी मानी जाती हैं।अमेरिका द्वारा ऐसे व्यक्ति को व्हाइट हाउस में आमंत्रित करने से भारत की कूटनीतिक स्थिति पर सवाल उठे हैं।
पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। अमेरिका इस मुलाकात के जरिए पाकिस्तान को आर्थिक सहायता या अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के माध्यम से कर्ज दिलाने का दबाव बना सकता है। यह मुलाकात पाकिस्तान को अमेरिकी प्रभाव क्षेत्र में बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा हो सकती है।
भारत की स्थिति और प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के साथ 35 मिनट की फोन कॉल में स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान युद्धविराम किसी मध्यस्थता या व्यापार समझौते का परिणाम नहीं था। यह भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ स्तर की बातचीत का नतीजा था। भारत ने अपनी आतंकवाद विरोधी नीति को वैश्विक मंच पर मजबूती से रखा है, जिसमें पाकिस्तान को अलग-थलग करने की रणनीति शामिल है।
POTUS @realDonaldTrump called PM @narendramodi.
🎥 Listen to Foreign Secretary Vikram Misri’s statement on the telephone conversation. pic.twitter.com/7TcZHDzXDd
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) June 18, 2025
जी-7 शिखर सम्मेलन
जी-7 शिखर सम्मेलन में मोदी और ट्रंप की मुलाकात तय थी, लेकिन ट्रंप ने इसे जल्दी छोड़ दिया। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि “ट्रंप को जल्दी अमेरिका लौटना पड़ा, जिससे मुलाकात नहीं हो सकी।”
आतंकवाद पर भारत का रुख
भारत ने बार-बार कहा है कि “उसका अभियान पाकिस्तान की सेना या नागरिकों के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ है।” मुनीर के अमेरिका पहुंचते ही उनके भारत-विरोधी बयानों (जैसे 1971 की हार का बदला लेने और भारत को तोड़ने की बात) ने भारत की चिंताएं बढ़ाईं।
मुनीर की व्हाइट हाउस में मौजूदगी को भारत की कूटनीति के लिए झटके के रूप में देखा जा रहा है, खासकर जब भारत ने पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करने की कोशिश की है।
अब क्या हैं अमेरिका-भारत संबंध?
ट्रंप और मोदी के बीच दोस्ती की बातें होती रही हैं, लेकिन यह मुलाकात भारत को संदेश दे सकती है कि अमेरिका क्षेत्रीय संतुलन के लिए पाकिस्तान को प्राथमिकता दे सकता है। भारत ने रूस के साथ अपनी निकटता बढ़ाई है, जिसे अमेरिका पसंद नहीं करता। मुनीर की मुलाकात को भारत को रूस से दूरी बनाने का संकेत माना जा सकता है।
अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद विरोधी लड़ाई में सहयोगी बताया है, लेकिन मुनीर के भड़काऊ बयानों और आतंकी हमलों से जुड़े आरोपों के बावजूद यह मुलाकात भारत के लिए चिंता का विषय है।
रणनीतिक संवाद बढ़ाने की जरूरत !
ट्रंप और मुनीर की व्हाइट हाउस में मुलाकात अमेरिका की रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाती है, जिसमें ईरान-इजरायल तनाव, चीन का प्रभाव कम करना, और दक्षिण एशिया में संतुलन बनाना शामिल है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद विरोधी नीति पर अपनी स्थिति स्पष्ट की, लेकिन इस मुलाकात ने भारतीय कूटनीति की चुनौतियों को उजागर किया। भारत को अपनी आतंकवाद-विरोधी नीति को और मजबूत करते हुए अमेरिका के साथ रणनीतिक संवाद बढ़ाने की जरूरत है, ताकि क्षेत्रीय संतुलन में उसकी स्थिति कमजोर न हो।