स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली: ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच, 14 जून 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच लगभग 50 मिनट की टेलीफोनिक बातचीत हुई। इस बातचीत में पश्चिम एशिया (मध्य पूर्व) में बढ़ते तनाव, विशेष रूप से इज़रायल-ईरान संघर्ष, और रूस-यूक्रेन शांति वार्ता पर चर्चा हुई। यह बातचीत ऐसे समय में हुई जब इज़रायल और ईरान पिछले 48 घंटों से एक-दूसरे पर मिसाइल हमले कर रहे हैं, जिससे क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर युद्ध की आशंका बढ़ गई है। आइए इस बातचीत को विशेष विश्लेषण में एक्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से समझते हैं।
इज़रायल-ईरान संघर्ष !
13 जून 2025 से इज़रायल और ईरान के बीच सैन्य तनाव चरम पर पहुंच गया। इज़रायल ने “ऑपरेशन राइज़िंग लायन” के तहत ईरान के परमाणु ठिकानों, मिसाइल भंडारों, और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हवाई हमले शुरू किए। जवाब में, ईरान ने इज़रायल पर 80 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और 100 से ज्यादा ड्रोन हमले किए, जिनमें यरुशलम, हाइफा, और तेल अवीव जैसे शहरों को निशाना बनाया गया। इन हमलों में दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ, जिसमें इज़रायल में 10 नागरिकों की मौत और 200 से अधिक घायल, जबकि ईरान में 130 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें परमाणु वैज्ञानिक और सैन्य कमांडर शामिल हैं।
रूस और अमेरिका की भूमिका
रूस, ईरान का सहयोगी है, जबकि इज़रायल को अमेरिका का समर्थन प्राप्त है। इस कारण दोनों देश अप्रत्यक्ष रूप से इस संघर्ष में शामिल हैं, जिससे वैश्विक तनाव बढ़ा है। ट्रंप ने एक ओर इज़रायल के हमलों का समर्थन किया और कहा कि उन्हें हमलों की पहले से जानकारी थी, लेकिन साथ ही कूटनीतिक समाधान की वकालत की। उन्होंने ईरान को परमाणु समझौते के लिए 60 दिन का समय दिया था।
पुतिन ने इज़रायल के हमलों की निंदा की और मध्यस्थता के लिए रूस की तत्परता जताई। उन्होंने ईरानी परमाणु मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर समाधान की बात दोहराई।
इज़रायल-ईरान युद्ध पर चर्चा !
पुतिन ने ट्रंप को इज़रायल और ईरान के नेताओं के साथ अपनी हालिया बातचीत का ब्योरा दिया। उन्होंने इज़रायल के सैन्य अभियानों की निंदा की और कहा कि यह युद्ध पूरे मध्य पूर्व के लिए खतरनाक है। ट्रंप ने क्षेत्रीय स्थिति को “बहुत चिंताजनक” बताया और दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि युद्ध को समाप्त करना आवश्यक है। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “पुतिन को लगता है, और मुझे भी, कि इज़रायल-ईरान में यह युद्ध समाप्त होना चाहिए।”
दोनों नेताओं ने ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत की संभावना को खारिज नहीं किया। ट्रंप ने कहा कि उनकी कूटनीतिक टीम ईरान के साथ संवाद बहाल करने के लिए तैयार है।
क्या है ईरानी परमाणु मुद्दा
पुतिन ने ईरानी परमाणु मुद्दे पर परस्पर स्वीकार्य समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया और रूस के प्रस्ताव को दोहराया। ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी कि यदि वह परमाणु समझौते पर सहमत नहीं होता, तो सैन्य कार्रवाई संभव है। उन्होंने कहा, “ईरान को परमाणु हथियार नहीं रखने दिए जाएंगे।”
दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि कूटनीति के माध्यम से तनाव कम करना संभव है, और रूस ने मध्यस्थता के लिए मंच प्रदान करने की पेशकश की।
रूस-यूक्रेन शांति वार्ता
पुतिन ने ट्रंप को 2 जून 2025 को इस्तांबुल में रूस और यूक्रेन के बीच हुए समझौतों की जानकारी दी, जिसमें युद्धबंदियों के आदान-प्रदान जैसे मुद्दे शामिल थे। उन्होंने 22 जून के बाद यूक्रेन के साथ फिर से बातचीत की इच्छा जताई। ट्रंप ने कहा कि युद्ध के बजाय वार्ता ही समाधान है और अमेरिका यूक्रेन की संप्रभुता का समर्थन करता रहेगा, लेकिन सभी पक्षों को लचीलापन दिखाना होगा।
बातचीत के दौरान पुतिन ने ट्रंप को उनके 79वें जन्मदिन की बधाई दी, जिसे ट्रंप ने सोशल मीडिया पर साझा किया। ट्रंप ने पुतिन को यूक्रेन युद्ध समाप्त करने की याद दिलाई, जबकि पुतिन ने इज़रायल-ईरान युद्ध पर ध्यान केंद्रित किया।
बातचीत का परिणाम और प्रभाव
क्रेमलिन के अधिकारी यूरी उशाकोव ने बातचीत को “सार्थक और स्पष्ट” बताया। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। पुतिन ने इज़रायल-ईरान युद्ध को रोकने के लिए रूस की मध्यस्थता की इच्छा जताई, जिसे ट्रंप ने खारिज नहीं किया।
ट्रंप ने बातचीत के बाद दावा किया कि “इज़रायल-ईरान युद्ध समाप्त होना चाहिए, जिससे सीज़फायर की उम्मीद बढ़ी है। हालांकि, अभी तक कोई ठोस समझौता नहीं हुआ है।”
वर्तमान स्थिति और चुनौतियां
15 जून 2025 तक इज़रायल और ईरान के बीच हमले जारी हैं। इज़रायल ने ईरान की सबसे बड़ी गैस फील्ड साइट पर हमला किया, जिससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हुई। ईरान ने जवाब में इज़रायल के शहरों पर मिसाइलें दागीं।
ट्रंप एक ओर कूटनीति की वकालत कर रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर इज़रायल का समर्थन और ईरान को सैन्य चेतावनी दे रहे हैं। रूस ने इज़रायल की कार्रवाइयों की निंदा की और ईरान के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची के साथ बातचीत में मध्यस्थता की पेशकश की। इस युद्ध के कारण तेल की कीमतों में 9% की वृद्धि हुई और सोने की कीमतें 1 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम से अधिक हो गईं।
व्यापक युद्ध की आशंका
ट्रंप और पुतिन की बातचीत ने इज़रायल-ईरान तनाव को कम करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाया, लेकिन युद्ध अभी भी जारी है। दोनों नेताओं ने कूटनीति और बातचीत पर जोर दिया, और रूस ने मध्यस्थता की पेशकश की। हालांकि, इज़रायल और ईरान की आक्रामक कार्रवाइयों, साथ ही अमेरिका और रूस के अपने-अपने हितों के कारण, शांति स्थापना में कई चुनौतियां बनी हुई हैं। वैश्विक समुदाय की निगाहें अब इस क्षेत्र पर टिकी हैं, जहां किसी भी गलत कदम से व्यापक युद्ध की आशंका बढ़ सकती है।