प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कनाडा में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन को बीच में छोड़कर वॉशिंगटन लौटने और इजरायल-ईरान युद्ध को लेकर उनके बयानों ने वैश्विक स्तर पर सस्पेंस बढ़ा दिया है। मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच चल रहा तनाव चरम पर है और ट्रंप के हालिया कदमों ने इस संघर्ष में अमेरिका की भूमिका को लेकर अटकलों को हवा दी है।
ट्रंप की G7 से जल्दी वापसी
ट्रंप ने कनाडा में G7 शिखर सम्मेलन को एक दिन पहले छोड़कर वॉशिंगटन लौटने का फैसला किया। व्हाइट हाउस ने इसे मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव से जोड़ा, लेकिन स्पष्ट कारणों का खुलासा नहीं किया गया।
ट्रंप ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के उस बयान का खंडन किया, जिसमें मैक्रों ने कहा था कि ट्रंप इजरायल-ईरान के बीच सीजफायर के लिए लौट रहे हैं। ट्रंप ने कहा, “यह गलत है, मैं सीजफायर के लिए नहीं, बल्कि कुछ और बड़ा करने जा रहा हूं।”
इजरायल-ईरान युद्ध
इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों, सैन्य अड्डों और रिहायशी इलाकों पर हमले किए, जिन्हें ट्रंप ने “शानदार” करार दिया। ईरान ने जवाबी कार्रवाई में इजरायल पर 150 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन हमले किए, जिनमें तेल अवीव और यरुशलम जैसे शहर निशाना बने। इजरायल के आयरन डोम और ऐरो-3 रक्षा तंत्र इन हमलों को पूरी तरह रोक पाने में असफल रहे। ईरान ने इजरायल समर्थक देशों, खासकर अमेरिका को चेतावनी दी कि अगर वे हस्तक्षेप करेंगे, तो उनके क्षेत्रीय सैन्य ठिकानों पर हमला किया जाएगा।
ट्रंप का रुख और चेतावनी !
ट्रंप ने ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “ईरान को परमाणु हथियार नहीं बनाने दिए जाएंगे। सभी को तुरंत तेहरान खाली कर देना चाहिए।” ट्रंप ने दावा किया कि “उन्होंने दो महीने पहले ईरान को परमाणु समझौते के लिए 60 दिन का समय दिया था, लेकिन ईरान ने इसे ठुकरा दिया।
खबरें हैं कि ट्रंप इजरायल को एक ऐसा हथियार देने की तैयारी में हैं, जो ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई को निशाना बना सकता है।
अमेरिका की सैन्य तैनाती
अमेरिका ने मध्य पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी है, जिसमें B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स, बी-52 बॉम्बर, और एफ-15ई स्ट्राइक ईगल लड़ाकू विमान शामिल हैं। ट्रंप ने मध्य पूर्व से अपने राजनयिकों और सैन्य परिवारों को वापस बुला लिया है और डिएगो गार्सिया द्वीप पर सैन्य ताकत बढ़ाई है। अमेरिका ने इजरायल की ओर दागी गई ईरानी मिसाइलों को रोकने में भी मदद की, जिससे उसका इजरायल समर्थन स्पष्ट होता है।
G7 और वैश्विक प्रतिक्रिया
G7 देशों ने इजरायल का खुलकर समर्थन किया और ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने की चेतावनी दी। हालांकि, ट्रंप ने G7 के साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने इजरायल-ईरान युद्ध को “विनाशकारी” बताया और शरणार्थी संकट की चेतावनी दी। रूस और चीन ने इजरायल के हमलों की निंदा की, लेकिन व्यावहारिक समर्थन से दूरी बनाए रखी।
भारत ने इजरायल-ईरान युद्ध में फंसे अपने नागरिकों की सहायता के लिए दिल्ली में 24 घंटे का कंट्रोल रूम स्थापित किया है। G7 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी और ट्रंप की जल्दी वापसी ने भारत-अमेरिका संबंधों पर भी चर्चा को जन्म दिया है।
क्या है सस्पेंस और अटकलें !
ट्रंप की अचानक वापसी और उनके बयान कि वे “सीजफायर के लिए नहीं, बल्कि कुछ बड़ा करने जा रहे हैं,” ने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या अमेरिका इस युद्ध में सीधे तौर पर शामिल होने जा रहा है? क्या इजरायल को कोई नया हथियार दिया जाएगा? या क्या ट्रंप कोई नई कूटनीतिक रणनीति तैयार कर रहे हैं? इन सवालों के जवाब अभी अस्पष्ट हैं, लेकिन ट्रंप के कदम और बयान मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा रहे हैं।
इजरायल-ईरान युद्ध और ट्रंप की हालिया गतिविधियों ने वैश्विक भू-राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। अमेरिका की बढ़ती सैन्य तैनाती, G7 से ट्रंप की जल्दी वापसी, और तेहरान को खाली करने की चेतावनी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। अगले कुछ दिन इस संघर्ष के भविष्य और अमेरिका की भूमिका को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण हो सकते हैं।