प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली : डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात) देशों को चेतावनी दी है कि यदि वे “अमेरिका विरोधी नीतियों” का समर्थन करते हैं, तो उन पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। यह धमकी 7 जुलाई को ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर दी थी। यह कदम BRICS समूह के रियो डी जनेरियो में हुए शिखर सम्मेलन के बाद आया, जहां सदस्य देशों ने अमेरिकी टैरिफ नीतियों की आलोचना की और वैश्विक व्यापार पर इसके नकारात्मक प्रभावों पर चिंता जताई।
ट्रंप का BRICS पर निशाना क्यों ?
ट्रंप का मानना है कि “BRICS देश अमेरिकी डॉलर की वैश्विक वित्तीय प्रभुता को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। खास तौर पर, रूस और चीन ने डॉलर के विकल्प के रूप में अपनी मुद्राओं (रूबल और रॅन्मिन्बी) को बढ़ावा देने की बात की है। ट्रंप ने पहले भी BRICS देशों को 100% टैरिफ की धमकी दी थी, अगर वे डॉलर को बदलने वाली मुद्रा बनाते हैं।
BRICS का बढ़ता प्रभाव !
BRICS समूह अब विश्व की आधी से अधिक आबादी और 40% आर्थिक उत्पादन का प्रतिनिधित्व करता है। यह समूह वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज को मजबूत करने और पश्चिमी वर्चस्व वाली संस्थाओं (जैसे IMF) को चुनौती देने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप इसे अमेरिकी हितों के खिलाफ मानते हैं। रियो शिखर सम्मेलन में BRICS नेताओं ने एक संयुक्त बयान में अमेरिका का नाम लिए बिना एकतरफा टैरिफ को वैश्विक व्यापार के लिए खतरा बताया और विश्व व्यापार संगठन (WTO) नियमों के उल्लंघन की बात कही। ट्रंप ने इसे “अमेरिका विरोधी” नीति के रूप में देखा।
BRICS में वर्तमान में 11 देश हैं, लेकिन कुछ स्रोतों में सऊदी अरब को पूर्ण सदस्यता से बाहर बताया गया है। नीचे 10 देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान, यूएई) पर टैरिफ के संभावित प्रभाव का विश्लेषण दिया गया है।
चीन अमेरिका का व्यापारिक साझेदार
चीन अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, और बैटरी जैसे क्षेत्रों में उसका दबदबा है। 10% अतिरिक्त टैरिफ से चीनी निर्यात महंगे होंगे, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को उच्च कीमतें चुकानी पड़ेंगी। PIIE की एक रिपोर्ट के अनुसार, 100% टैरिफ की स्थिति में चीन का जीडीपी सबसे अधिक प्रभावित होगा, और 10% टैरिफ भी इसका छोटा संस्करण होगा। चीन ने टैरिफ को “जबरदस्ती का हथियार” बताते हुए इसका विरोध किया है और व्यापार युद्ध की चेतावनी दी है।
भारत का अमेरिका के साथ बड़ा निर्यात
भारत का अमेरिका के साथ बड़ा निर्यात बाजार है, जिसमें फार्मास्यूटिकल्स, मशीनरी, और खनिज ईंधन शामिल हैं। Citi Research के अनुसार, भारत को प्रतिवर्ष $7 बिलियन का नुकसान हो सकता है। 87% भारतीय निर्यात ($66 बिलियन) प्रभावित हो सकते हैं। भारत 9 जुलाई की समय सीमा से पहले व्यापार समझौते के लिए बातचीत कर रहा है।
ब्राजील कॉफी और अन्य कृषि उत्पादों का बड़ा निर्यातक है। टैरिफ से अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कॉफी की कीमतें बढ़ सकती हैं। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने टैरिफ को “लापरवाही भरा” बताया और BRICS को गैर-प्रभुत्ववादी समूह के रूप में प्रस्तुत किया।
रूस का अमेरिका के साथ व्यापार
रूस का अमेरिका के साथ व्यापार पहले से ही सीमित है, लेकिन टैरिफ से खनिज और ऊर्जा निर्यात प्रभावित हो सकते हैं। रूस के पास जवाबी प्रतिबंध लगाने की क्षमता है। रूस ने डॉलर के उपयोग को मजबूर करने की कोशिश को “उल्टा पड़ने वाला” बताया।
दक्षिण अफ्रीका पर खनिज निर्यात प्रभावित होंगे, जिससे दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने टैरिफ को “निराशाजनक” बताया और कहा कि BRICS किसी देश के खिलाफ नहीं है।
टैरिफ से निर्यात लागत बढ़ेगी !
ये देश अमेरिका को विभिन्न उत्पाद (जैसे यूएई और मिस्र से तेल, इंडोनेशिया से इलेक्ट्रॉनिक्स) निर्यात करते हैं। टैरिफ से उनकी निर्यात लागत बढ़ेगी, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होगी। इथियोपिया जैसे कम विकसित देशों पर इसका असर अधिक गंभीर हो सकता है। इंडोनेशिया टैरिफ वार्ता के लिए अमेरिका जा रहा है, जबकि यूएई और मिस्र ने अभी तक स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है।
टैरिफ से BRICS देशों के निर्यात महंगे
10% टैरिफ से BRICS देशों के निर्यात महंगे होंगे, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को उच्च कीमतें चुकानी पड़ेंगी। इससे वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ेगी और आपूर्ति श्रृंखला बाधित होगी। PIIE की एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे अमेरिका और BRICS दोनों की जीडीपी पर नकारात्मक असर पड़ेगा, हालांकि चीन सबसे अधिक प्रभावित होगा। यह कदम BRICS को एकजुट करने और अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई को प्रोत्साहित कर सकता है। दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील जैसे देशों ने इसे वैश्विक सहयोग के खिलाफ देखा है।
BRICS नेताओं ने एकतरफा टैरिफ को WTO नियमों के खिलाफ बताया और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए खतरा माना। चीन ने इसे “जबरदस्ती” की नीति कहा, जबकि भारत और इंडोनेशिया जैसे देश समझौते के लिए बातचीत कर रहे हैं।
BRICS देशों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा
ट्रंप का 10% अतिरिक्त टैरिफ BRICS देशों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा से हतोत्साहित करने और डॉलर की प्रभुता बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है। हालांकि, यह टैरिफ वैश्विक व्यापार को बाधित कर सकता है, अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ डाल सकता है, और BRICS देशों को जवाबी कार्रवाई के लिए प्रेरित कर सकता है। भारत जैसे देशों के लिए यह विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है, जो अमेरिका के साथ बड़े व्यापारिक संबंध रखते हैं। स्थिति अभी अनिश्चित है, क्योंकि कई देश 1 अगस्त की समय सीमा से पहले समझौते की कोशिश कर रहे हैं।