प्रकाश मेहरा
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के पांच फरवरी से शुरू होने जा रहे सत्र में सरकार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश कर सकती है। इसके साथ ही राज्य आंदोलनकारी आरक्षण पर प्रवर समिति की रिपोर्ट भी सदन में रखी जाएगी।
विधानसभा के उपसचिव हेमचंद्र पंत के अनुसार, यह सत्र पिछले साल आठ सितंबर 2023 को स्थगित सत्र ही विस्तारित भांग होगा। सूत्रों के अनुसार, समान नागरिक संहिता का खाका तैयार करने के लिए गठित पांच सदस्यीय कमेटी अपना काम करीब करीब पूरा कर चुकी है। दूसरे राज्यों की व्यवस्थाओं और राज्य में लोगों से संवाद के जरिए मिले सुझावों को कमेटी ने अपनी रिपोर्ट का आधार बनाया है। दो ‘फरवरी को कमेटी के सरकार को रिपोर्ट सौंपने की संभावना है।
अपना वादा निभाने की ओर बढ़ी सरकार
विधानसभा चुनाव के दौरान वर्ष 2022 में सीएम पुष्कर धामी ने सत्ता में लौटने पर समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। चुनाव में जनता ने भाजपा को एक बार फिर बहुमत के साथ सत्ता सौंपी तो धामी ने कुछ ही समय बाद संहिता बनाने के लिए कमेटी का गठन कर दिया था।
नगर निकायों में ओबीसी कोटा बढ़ाने की सिफारिश
उत्तराखंड में नगर निकाय चुनावों से पहले निकायवार ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए गठित जस्टिस बीएस वर्मा आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। आयोग ने मेयर और अध्यक्षों के साथ ही वार्ड सदस्यों तक सभी स्तर पर ओबीसी आबादी के अनुपात में आरक्षण बढ़ाने की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गठित एक सदस्यीय समर्पित आयोग ने शुक्रवार देर शाम मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को रिपोर्ट सौंपी।
मौजूदा सीमा 14 प्रतिशत से बढ़ाई जाए
आयोग ने सभी स्तर पर ओबीसी आरक्षण मौजूदा सीमा 14 प्रतिशत से बढ़ाने की सिफारिश की है, रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में ओबीसी मतदाताओं की संख्या 27 प्रतिशत के करीब है। इसी आधार पर आयोग ने मेयर की नो में से दो सीट ओबीसी के लिए आरक्षित करने की सिफारिश की है।