प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: पहलगाम हमले (22 अप्रैल) के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक और संबंधित रिपोर्ट्स के आधार पर, यह दावा किया गया है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) की संलिप्तता थी और यह हमला बिना पाकिस्तान की मदद के संभव नहीं था। नीचे इस मामले की पूरी जानकारी और UNSC की प्रतिक्रिया का सारांश दिया गया है।
पहलगाम हमले का विवरण घटना
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बायसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 26-28 लोग मारे गए, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। हमलावरों ने कथित तौर पर धर्म पूछकर लोगों को निशाना बनाया, जिससे यह हमला सांप्रदायिक दंगे भड़काने की मंशा से प्रेरित माना गया।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने दावा किया कि “हमले के पीछे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) का हाथ था, जो लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन है। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस में आतंकियों के सिग्नल पाकिस्तान के दो ठिकानों से जुड़े पाए गए। इंटेलिजेंस सूत्रों के अनुसार, हमले का मास्टरमाइंड पाकिस्तान का पूर्व SSG कमांडर हाशिम मूसा था, जो वर्तमान में लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम कर रहा है।
UNSC की बैठक और पाकिस्तान पर सवाल
पाकिस्तान के अनुरोध पर 5 मई को UNSC ने एक बंद कमरे की बैठक की, जिसमें पहलगाम हमले और भारत-पाकिस्तान तनाव पर चर्चा हुई। UNSC के सदस्यों (अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन) ने पाकिस्तान से पूछा कि क्या इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा शामिल था। पाकिस्तान के दावे, जिसमें उसने भारत पर हमले को स्वयं कराने का आरोप लगाया, को खारिज कर दिया गया।
पाकिस्तान की फजीहत
UNSC ने पाकिस्तान के “False Flag” नैरेटिव को पूरी तरह खारिज किया, जिसमें वह भारत पर हमले का आरोप लगाकर खुद को पीड़ित दिखाने की कोशिश कर रहा था। इसके बजाय, UNSC ने हमले की निंदा की और जवाबदेही तय करने की मांग की।
हैरानी की बात यह रही कि पाकिस्तान का पारंपरिक सहयोगी चीन भी इस बैठक में उसका साथ नहीं दे सका, जिससे पाकिस्तान की कूटनीतिक हार हुई। UNSC ने 25 अप्रैल, 2025 को एक प्रेस वक्तव्य जारी किया, जिसमें हमले के अपराधियों, आयोजकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। हालांकि, UNSC ने स्पष्ट रूप से TRF या लश्कर-ए-तैयबा का नाम नहीं लिया।
भारत का रुख और कार्रवाई
भारत ने हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए, जिनमें शामिल हैं सिंधु जल भारत ने इस समझौते को स्थगित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान में चिनाब नदी का जल प्रवाह 35,000 क्यूसेक से घटकर 3,100 क्यूसेक हो गया, जिससे वहां की सिंचाई प्रणाली प्रभावित हुई।
भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा निलंबित किए और उन्हें देश छोड़ने को कहा। भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी आयात-निर्यात, डाक और पार्सल सेवाएं बंद कर दीं। भारत ने अपने हवाई क्षेत्र और बंदरगाहों को पाकिस्तानी जहाजों और विमानों के लिए बंद कर दिया। पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ और कई अन्य हस्तियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स भारत में ब्लॉक कर दिए गए। पीएम नरेंद्र मोदी ने सेना को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए खुली छूट दी। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान की आतंकी और सैन्य ठिकानों को नष्ट किया।
भारत ने वैश्विक मंचों पर अपनी बात रखी। विदेश सचिव विनय मिसरी ने UN में कहा कि यह हमला जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति को बाधित करने और सांप्रदायिक दंगे भड़काने के उद्देश्य से किया गया। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और अन्य वैश्विक नेताओं ने हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता दिखाई।
पाकिस्तान का खंडन और प्रतिक्रिया
पाकिस्तान ने हमले में अपनी या लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता से इनकार किया और अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की, जिसमें रूस और चीन को शामिल करने की बात कही। पाकिस्तान ने दावा किया कि “भारत ने स्वयं यह हमला कराया, लेकिन UNSC ने इसे खारिज कर दिया। पाकिस्तान ने खाड़ी देशों से समर्थन मांगा और भारत पर दबाव डालने की अपील की। साथ ही, उसने मिसाइल परीक्षण और परमाणु बयानबाजी कर तनाव बढ़ाने की कोशिश की।
पाकिस्तान में भारत के संभावित सैन्य हमले का डर था। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि “भारत 24-36 घंटों में हमला कर सकता है, जिसके जवाब में पाकिस्तान परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।
लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका
भारतीय एजेंसियों ने पुष्टि की कि हमले में लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका थी। इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और अन्य सबूतों से पता चला कि आतंकी सिग्नल पाकिस्तान से जुड़े थे। जांच एजेंसियों का मानना है कि “हमला बिना स्थानीय ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) की मदद के संभव नहीं था। OGW ने आतंकियों को खाना, ठिकाना और सुरक्षा बलों की जानकारी मुहैया कराई।
भारत ने पहले भी UN में बताया था कि लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन TRF जैसे छोटे समूहों के जरिए काम करते हैं। पाकिस्तान इन संगठनों को पनाह देता है और वैश्विक मंचों पर गुमराह करता है, जैसे साजिद मीर के मामले में, जिसे उसने मृत घोषित किया था, लेकिन बाद में वह जीवित पाया गया।
दोनों देशों के बीच युद्ध का खतरा
UNSC की बैठक और भारतीय खुफिया एजेंसियों की जानकारी से स्पष्ट है कि पहलगाम हमले में लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका थी, और पाकिस्तान का इसमें प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन होने की संभावना है। UNSC ने पाकिस्तान के दावों को खारिज करते हुए आतंकवाद के खिलाफ जवाबदेही की मांग की, लेकिन कोई औपचारिक बयान या प्रस्ताव जारी नहीं किया। भारत ने कूटनीतिक, आर्थिक और सैन्य मोर्चों पर कड़े कदम उठाए, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा है। हालांकि, तनाव बढ़ने से दोनों देशों के बीच युद्ध का खतरा बना हुआ है, और वैश्विक समुदाय इस स्थिति पर नजर रखे हुए है।