देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस और ऐसे विपक्षी नेता, जो किसी समय भाजपा के साथ रह हैं वे एक नई बहस बनवा रहे हैं। यह बहस है अटल बिहारी वाजपेयी बनाम नरेंद्र मोदी की। राहुल गांधी सोमवार को अटल बिहारी वाजपेयी की समाधि पर गए, जिसे लेकर भाजपा के नेता हतप्रभ हैं। उन्होंने सोचा नहीं था कि नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य कभी किसी भाजपा नेता को श्रद्धांजलि देने उसकी समाधि पर जाएगा। भाजपा अभी इसके मायने निकाल रही है और इसी बीच वाजपेयी का नाम लेकर नीतीश कुमार और यशवंत सिन्हा ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा।
यशवंत सिन्हा ने अंग्रेजी के एक अखबार में लेख कर लिख कर हर बात का ढिंढोरा पीटने की इस सरकार की नीति पर सवाल उठाया और वाजपेयी राज से तुलना की। वाजपेयी की सरकार में यशवंत सिन्हा वित्त और विदेश जैसे दो अहम मंत्रालयों के मंत्री रहे। उन्होंने जी-20 की अध्यक्षता को लेकर सरकार की ओर से मचाए जा रहे शोर पर कहा कि वे विदेश मंत्री रहते 1999 में जी-20 के अध्यक्ष बने थे और उसी समय विश्व बैंक की विकास समिति की अध्यक्षता भी भारत को मिली थी। लेकिन तब इसका कोई शोर नहीं मचाया गया था। उन्होंने लिखा है कि वाजपेयी की सरकार में सारे लोग चुपचाप विकास के काम करने में लगे रहते थे। अब काम कम हो रहा है और हल्ला ज्यादा मचाया जा रहा है।
इसी तरह 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनको बड़े लगाव और सम्मान के साथ याद किया और कहा कि वाजपेयी की सरकार के समय देश का बहुत तीव्र गति से विकास हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि वाजपेयी ने उनको तीन अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी और विकास परियोजनाओं के जितने भी प्रस्ताव उनकी ओर से प्रधानमंत्री को भेजे गए, सबको तुरंत मंजूरी दी गई। ध्यान रहे वाजपेयी की सरकार में नीतीश कुमार कृषि, सडक़ परिवहन और रेल मंत्री रहे थे।
नीतीश ने बिहार के विकास में भी वाजपेयी के योगदान को याद किया। इतना ही नहीं भाजपा के भी एक बड़े नेता ने नीतीश का समर्थन करते हुए कहा कि बिहार के बाढ़ में एनटीपीसी की परियोजना लगानी हो या कोई और परियोजना हो वाजपेयी की सरकार में ज्यादा काम हुआ था। सो, यह एक नया विमर्श है। पता नहीं बहुत कोऑर्डिनेटेड है या नहीं लेकिन यह नैरेटिव बदलने वाला विमर्श होगा। ध्यान रहे प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार के तमाम मंत्री दावा करते हैं कि जो 70 साल में नहीं हुआ वह अब हो रहा है। उस 70 साल में वाजपेयी सरकार के छह साल भी शामिल होते हैं। विपक्ष अब उन छह सालों का तुलना मोदी के आठ साल से बनवा रहा है और दावा कर रहा है कि वाजपेयी राज के छह साल में देश में विकास का ज्यादा काम हुआ था और दुनिया में भारत का नाम भी ज्यादा हुआ था।