Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

विश्व पर्यावरण दिवस: खाद्यान्न और भोजन की बर्बादी भी बढ़ा रही है पर्यावरण प्रदूषण

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
June 3, 2024
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
जलवायु रिकॉर्ड
17
SHARES
575
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

गौरव अवस्थी। राजस्थान को छोड़कर उत्तर भारत के विभिन्न प्रदेशों में अब औसत तापमान 45-46 डिग्री पहुंच चुका है। इस साल कुछ क्षेत्रों में यह 48-49 डिग्री तक रिकार्ड किया गया। तापमान बढ़ने के पीछे का कारण पर्यावरण प्रदूषण ही है। आमतौर पर पर्यावरण को बिगाड़ने में धुआं उगलने वाले कारखानों, वाहनों, ईंट-भट्ठों आदि धुआं उगलने वाले कारकों का ही अहम रोल माना जाता है। इससे बढ़ने वाली कार्बन डाइऑक्साइड ही ग्लोबल वार्मिंग बढ़ा रही है। इसके लिए सरकारी प्रयत्न चलते रहते हैं लेकिन जागरूकता की कमी से समाज अभी उतना सचेत नहीं है, जितनी तेजी से पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है।

बहुत कम लोग इस तथ्य से अवगत होंगे कि खाद्यान्न और भोजन की बर्बादी भी प्रदूषण बढ़ाने की एक महत्वपूर्ण वजह है। आप पूछ सकते हैं कि वह कैसे? इसे जानने के पहले कुछ तथ्यों पर गौर करते हैं। अनाज उत्पादन में भारत वर्ष प्रतिवर्ष तरक्की कर रहा है। वर्ष 2020-21 में रिकार्ड अनाज उत्पादन 315 मिलियन टन हुआ था। 140 करोड़ की आबादी में अनाज उत्पादन का यह रिकॉर्ड अपने आप में उपलब्धि है। सरकारी प्रयासों के चलते इसे बढ़ना ही बढ़ना है लेकिन खाद्यान्न और पके हुए भोजन की बर्बादी भी कम नहीं है। इस बर्बादी में भी भारत काफी आगे है। वैश्विक भूख से सूचकांक में शामिल दुनिया के 125 देश में भारत का भोजन की बर्बादी में 111वां स्थान है।

इन्हें भी पढ़े

adi kailash

22KM कम हो जाएगी आदि कैलाश की यात्रा, 1600 करोड़ होंगे खर्च

November 1, 2025

ट्रंप के बेतुके बयान दरकिनार कर भारत-US ने किया 10 साल का रक्षा समझौता

October 31, 2025
REC

REC और SMFCL ने समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

October 30, 2025
sonika yadav

‘जहां चाह, वहां राह !’ प्रेग्नेंसी के बीच सोनिका यादव ने 145 किलो वज़न उठाकर देश को किया गौरवान्वित

October 30, 2025
Load More

संयुक्त राष्ट्रीय पर्यावरण कार्यक्रम की खाद्य अपव्यय रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय घरों में प्रतिवर्ष 68 मिलियन टन भोजन बर्बाद होता है। दूसरे शब्दों में प्रति व्यक्ति करीब 55 किलोग्राम खाद्यान्न और भोजन प्रति वर्ष बर्बाद हो रहा है। भोजन अपव्यय के मामले में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। इसमें भारत में होने वाले खर्चीले विवाह समारोहों की प्रमुख भूमिका है। एक रिपोर्ट के अनुसार, शादी समारोह में बना 40% खाना बर्बाद होता है। शादी खत्म होने के बाद बचा हुआ खाना कूड़े में फेंक दिया जाता है। माना जाता है कि भारत में प्रतिवर्ष बर्बाद होने वाले खाद्यान्न और भोजन से बिहार राज्य को 1 वर्ष तक फ्री में खाना खिलाया जा सकता है।

खाद्यान्न और भोजन के अपव्यय के मामले एक और आंकड़ा जानना जरूरी है। एक स्टडी बताती है कि दिल्ली के 400 सफल रेस्टोरेंट से प्रतिदिन 7.5 टन भोजन प्रतिदिन फेंक दिया जाता है। प्रति आउटलेट यह औसत 18.7 किलोग्राम है। एक शहर के सफल रेस्टोरेंट में अतिरिक्त भोजन का 85% कूड़े में फेंका जाता है। शेष या तो गरीबों को या फिर जानवरों को खिलाया जाता है।

अब चर्चा करते हैं भोजन की यह बर्बादी पर्यावरण को बिगड़ने में किस तरह सहायक है? एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में यह अतिरिक्त खाद्य अपशिष्ट लैंडफिल में समाप्त हो जाता है। इससे शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैसें उत्पन्न होती हैं और उनके पर्यावरण पर भयंकर प्रभाव होते हैं। रिपोर्ट कहती है कि अगर यह बचा हुआ खाना भूखे लोगों को खाना खिलाने वाले गैर सरकारी संगठन को दे दिया जाए तो रोज हजारों लोगों का पेट भर सकता है और ग्रीन हाउस गैस पैदा होने से रोकी भी जा सकती है। खाद्य अपशिष्ट में कमी से 2050 तक करीब 90 गीगाटन कार्बन डाइऑक्साइड के समतुल्य उत्सर्जन से भी बचा जा सकता है।

एक दूसरे महत्वपूर्ण कारण पर जापान की चीबा यूनिवर्सिटी में प्रोजेक्ट वैज्ञानिक के रूप में कार्य कर रहे भारतीय मौसम वैज्ञानिक डॉ गौरव तिवारी ध्यान आकृष्ट करते हैं। उनका कहना है कि अनाज उत्पादन में मीठे जल का उपयोग होता है। इसके अलावा डीजल चालित विभिन्न उपकरण खेती में उपयोग में लाए जाते हैं। डीजल पंप से निकलने वाला धुआं कार्बन डाई आक्साइड पैदा करता है।एक किलोग्राम गेहूं की पैदावार में 80 से 90 लीटर पानी उपयोग होता है। यह पानी पीने योग्य होता है। जब किसी शादी समारोह में 10 किलो आटा फेंका जाता है, तब केवल आटा ही बर्बाद नहीं होता। 800 लीटर पानी भी बर्बाद होता है। अब प्रतिवर्ष बर्बाद होने वाले 78 मिलियन टन खाद्यान्न एवं भोजन में पानी की बर्बादी के बारे में जरा सोच कर देखिए!

अब आप सोचिए, भारत में अनाज उत्पादन 315 मिलियन टन है और भोजन खाद्यान्न की बर्बादी करीब 70 मिलियन टन। इस बर्बादी में केवल भोजन की बर्बादी ही नहीं है। अनाज के उत्पादन में खर्च हुए पानी डीजल और अन्य साधनों की बर्बादी भी शामिल है। उनके मुताबिक भोजन की बर्बादी रोकने पर पानी का स्तर भी सुधरेगा। भुखमरी पर भी रोक लगेगी। इसके अलावा ग्लोबल वार्मिंग पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा। इसलिए अगर हम पर्यावरण को शुद्ध रखना चाहते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करने वाले जाहिरा कारणों पर ही केंद्रित न रहें। खाना फेंकना ‘अन्न देवता’ का अपमान तो है ही पर्यावरण प्रदूषण का कारक भी है। इसलिए जरूरी है कि किसी भी रेस्टोरेंट या शादी समारोह में जाए तो थाली में उतना ही खाना परोसें जो हम खा सकते हैं।

डॉ गौरव तिवारी की इस बात में दम है कि थाली में खाना न बचाना एक बड़ा टास्क है। कभी इस टास्क को हाथ में लेकर तो देखिए। हमारे पूर्वजों का थाली में एक भी अन्न का दाना न छोड़ना अन्न देवता का सम्मान तो था ही उसमें पर्यावरण बचाए रखने का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी समाहित था। 21वीं सदी में तरक्की करते हुए आज हम धार्मिक रहे न वैज्ञानिक! अगर हम वास्तव में पर्यावरण को बचना चाहते हैं तो विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून) से ही यह संकल्प लें कि भोजन की बर्बादी न करेंगे न करने देंगे। पर्यावरण प्रदूषण रोकने में यह हमारा छोटा सा कदम महत्वपूर्ण साबित होगा।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल
pakistan vs india weapons

पाकिस्तानी फौज में बैठा भारत का खौफ, कह रहे- बॉर्डर पर भेजा तो इस्तीफा तैयार !

May 7, 2025
NDA and opposition

‘INDIA’ को क्यों इनती गंभीरता से ले रही बीजेपी?

July 28, 2023
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा

धर्म राजनीति के आगे राहुल का जाति गणना कार्ड?

April 26, 2023
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • 8 सालों में सबसे अच्छा रहा दिल्ली में इस बार का AQI
  • 22KM कम हो जाएगी आदि कैलाश की यात्रा, 1600 करोड़ होंगे खर्च
  • कभी नहीं लौटाने होंगे 10 हजार रुपये, 1.50 करोड़ महिलाओं को मिली मदद

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.