स्पेशल डेस्क/पहलगाम : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। इस हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे, और इसे 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे घातक आतंकी घटनाओं में से एक माना जा रहा है। हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। इस घटना ने न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को चुनौती दी है, बल्कि वैश्विक शक्तियों, विशेष रूप से अमेरिका, के रुख पर भी सवाल उठाए हैं। यदि तनाव और बढ़ता है, तो अमेरिका भारत या पाकिस्तान में से किसके साथ खड़ा होगा? एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा की विशेष रिपोर्ट इस सवाल का विश्लेषण करती है।
आतंकियों को “कड़ी से कड़ी सजा”: पीएम मोदी
पहलगाम हमले को कई मायनों में असाधारण माना जा रहा है। हमले का तरीका हमास द्वारा 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर किए गए हमले से मिलता-जुलता है, जिसने अंतरराष्ट्रीय आतंकी गठजोड़ की आशंकाओं को बढ़ा दिया है। हमले में आतंकियों ने पर्यटकों को चुन-चुनकर निशाना बनाया, और शुरुआती जांच में संकेत मिले हैं कि हमलावरों ने धार्मिक पहचान की पुष्टि के बाद गोलीबारी की।
भारत ने इस हमले के जवाब में कड़े कदम उठाए हैं, जिसमें पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना और अटारी बॉर्डर के जरिए उन्हें वापस भेजना शामिल है। दूसरी ओर, पाकिस्तान ने भारतीय सीमा पर हथियार और दो अतिरिक्त सैन्य डिवीजनों की तैनाती शुरू कर दी है, जिससे सैन्य तनाव बढ़ रहा है। इस बीच, भारत में आक्रोश चरम पर है। भाजपा नेता रमेश बिधूड़ी ने “हमास जैसा हमला, इजरायल जैसा बदला” की बात कही।
"अगर हमास जैसा हमला होता है, तो इजराइल जैसा बदला लिया जाएगा।अगर आतंकवादियों और जिहादियों का कोई धर्म नहीं है, तो वे लोगों का धर्म पूछकर उन्हें क्यों मार रहे हैं ? भारतीय यह सवाल सेक्युलरवादियों से पूछना चाहते हैं।" वरिष्ठ भाजपा नेता : @rameshbidhuri जी ! pic.twitter.com/RH2Ut94OyO
— चौधरी मनीष चन्देला (@CHmanishh) April 26, 2025
जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकियों को “कड़ी से कड़ी सजा” देने का वादा किया है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने भारत की आत्मा पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी। pic.twitter.com/TMwL58HVTc
— Narendra Modi (@narendramodi) April 24, 2025
हमले को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा ?
अमेरिका ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे “बहुत बुरा हमला” करार देते हुए कहा, “मैं भारत और पाकिस्तान दोनों के करीब हूं, लेकिन मुझे यकीन है कि वे इसका हल निकाल लेंगे।” व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने इसे “सभ्यता पर हमला” बताया और कहा कि अमेरिका भारत के साथ खड़ा है। अमेरिका ने अपने नागरिकों के लिए जम्मू-कश्मीर की यात्रा के खिलाफ एडवाइजरी भी जारी की है।
पहलगाम हमले पर पीएम मोदी के प्रिय मित्र डोनाल्ड ट्रंप का बयान –
"मैं भारत के बहुत करीब हूं और मैं पाकिस्तान के भी बहुत करीब हूं और कश्मीर में वे एक हजार साल से लड़ रहे हैं।
मुझे यकीन है कि वे इसे किसी न किसी तरह से सुलझा लेंगे। pic.twitter.com/wr1zsrldIQ
— Lutyens Media (@LutyensMediaIN) April 26, 2025
हालांकि, पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठने पर अमेरिकी प्रवक्ता ने सीधा जवाब देने से परहेज किया। यह संकेत देता है कि अमेरिका अपनी स्थिति को संतुलित रखने की कोशिश कर रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह बदलते हालात पर नजर रखे हुए है।
भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत !
पिछले कुछ वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत हुई है। भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण साझेदार माना जाता है। क्वाड (QUAD) गठबंधन, जिसमें अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, इसका प्रमाण है। इसके अलावा, रक्षा सहयोग, जैसे कि COMCASA और BECA समझौते, दोनों देशों के बीच गहरे भरोसे को दर्शाते हैं। पहलगाम हमले के संदर्भ में, अमेरिका ने भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों का समर्थन किया है। 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा का हालिया प्रत्यर्पण भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत है, जिसमें अमेरिका का सहयोग महत्वपूर्ण था। यह दर्शाता है कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ अमेरिका का सहयोग ठोस है।
पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंध जटिल !
पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंध जटिल और हितों पर आधारित हैं। 9/11 के बाद अफगानिस्तान युद्ध में पाकिस्तान अमेरिका का सहयोगी रहा, लेकिन तालिबान और अन्य आतंकी संगठनों को पनाह देने के आरोपों ने इन संबंधों को तनावपूर्ण बनाया। हाल के वर्षों में, पाकिस्तान की “खनिज कूटनीति” ने अमेरिका का ध्यान खींचा है, क्योंकि अमेरिकी विदेश नीति में क्रिटिकल मिनरल्स की मांग बढ़ी है। पहलगाम हमले में M4 राइफल्स का इस्तेमाल, जो तालिबान को छोड़े गए अमेरिकी हथियारों से जुड़ा है, ने पाकिस्तान की दोहरी नीति पर सवाल उठाए हैं। फिर भी, अमेरिका ने पाकिस्तान पर प्रत्यक्ष आरोप लगाने से परहेज किया है, जो उसकी रणनीतिक हितों को संतुलित करने की कोशिश को दर्शाता है।
तनाव सैन्य संघर्ष में बदलता !
यदि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव सैन्य संघर्ष में बदलता है, तो अमेरिका का रुख निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करेगा अमेरिका आतंकवाद को वैश्विक खतरे के रूप में देखता है। पहलगाम हमले में लश्कर-ए-तैयबा और संभावित हमास कनेक्शन ने इसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया है। इस संदर्भ में, अमेरिका भारत के आतंकवाद विरोधी कदमों का समर्थन करने की संभावना है, खासकर यदि भारत सर्जिकल स्ट्राइक या सीमित सैन्य कार्रवाई करता है। अमेरिका दक्षिण एशिया में पूर्ण युद्ध को टालना चाहेगा, क्योंकि यह अफगानिस्तान और मध्य पूर्व में उसके हितों को प्रभावित कर सकता है। संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है, और अमेरिका भी बैक-चैनल कूटनीति के जरिए तनाव कम करने की कोशिश कर सकता है।
दोनों देशों के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी !
अमेरिका के साथ देने को लेकर विशेषज्ञ के तौर पर प्रकाश मेहरा कहते हैं “अमेरिका की यह नीति भारत के साथ रक्षा और तकनीकी साझेदारी को और गहरा करने की दिशा में है, हालांकि कोई औपचारिक सैन्य गठबंधन नहीं है। “कंधे से कंधा” का संदेश दोनों देशों के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी को दर्शाता है, जो वैश्विक और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन इसमें कुछ चुनौतियां और संवेदनशील मुद्दे भी शामिल हैं।”
चीन के खिलाफ रणनीतिक साझेदार !
भारत को इंडो-पैसिफिक में चीन के खिलाफ एक रणनीतिक साझेदार के रूप में देखते हुए, अमेरिका भारत के साथ अपनी साझेदारी को प्राथमिकता दे सकता है। पाकिस्तान के चीन के साथ गहरे संबंध, विशेष रूप से CPEC (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा), अमेरिका के लिए चिंता का विषय हैं। हालांकि पाकिस्तान की रणनीतिक उपयोगिता कम हुई है, लेकिन अफगानिस्तान और क्रिटिकल मिनरल्स के संदर्भ में अमेरिका उसे पूरी तरह नजरअंदाज नहीं कर सकता। अमेरिका संभवतः पाकिस्तान पर दबाव डालेगा कि वह आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करे, लेकिन प्रत्यक्ष सैन्य समर्थन की संभावना कम है।
अमेरिका भारत के साथ खड़ा है : ट्रंप
अमेरिका भारत को खुफिया जानकारी, हथियार, और कूटनीतिक समर्थन दे सकता है, जैसा कि 2019 के बालाकोट हमले के दौरान देखा गया था। ट्रंप का बयान, “अमेरिका भारत के साथ खड़ा है,” इसकी पुष्टि करता है। यदि तनाव युद्ध के कगार पर पहुंचता है, तो अमेरिका मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है, जैसा कि 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान हुआ था। ट्रंप का बयान, “मैं दोनों के करीब हूं,” इस संभावना को बल देता है। अमेरिका पाकिस्तान से आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की मांग कर सकता है, जैसा कि 2011 में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद हुआ था। हालांकि, पाकिस्तान की आर्थिक कमजोरी और अमेरिका पर निर्भरता इसे प्रभावी बना सकती है।
#WATCH | #PahalgamTerroristAttack | अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा, "…जैसा कि राष्ट्रपति ट्रम्प और सचिव रुबियो ने स्पष्ट किया है, संयुक्त राज्य अमेरिका भारत के साथ खड़ा है, आतंकवाद के सभी कृत्यों की कड़ी निंदा करता है। हम मारे गए लोगों के लिए और घायलों के ठीक… pic.twitter.com/vv2yuwLh1m
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 24, 2025
अमेरिका भारत के प्रति अधिक झुकाव !
पहलगाम हमले के बाद बढ़ते तनाव में अमेरिका भारत के प्रति अधिक झुकाव दिखा सकता है, क्योंकि भारत उसका रणनीतिक साझेदार है और आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई वैश्विक हितों से मेल खाती है। हालांकि, क्षेत्रीय स्थिरता और पाकिस्तान के साथ सीमित हितों को देखते हुए, अमेरिका पूरी तरह एकतरफा रुख अपनाने से बच सकता है। वह कूटनीतिक दबाव और मध्यस्थता के जरिए दोनों देशों को संयम बरतने के लिए प्रेरित करेगा।