Upgrade
पहल टाइम्स
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन
No Result
View All Result
पहल टाइम्स
No Result
View All Result
  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • ईमैगजीन
Home राष्ट्रीय

स्वागत है राहुल गांधी!

पहल टाइम्स डेस्क by पहल टाइम्स डेस्क
September 12, 2022
in राष्ट्रीय, विशेष
A A
(Rahul Gandhi)
21
SHARES
699
VIEWS
Share on FacebookShare on Whatsapp

अजीत द्विवेदी


राहुल गांधी पदयात्रा पर निकले हैं। भारत के ज्ञात इतिहास की यह सबसे लंबी पदयात्रा है। वे साढ़े तीन हजार किलोमीटर पैदल चलेंगे। उनकी यात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरेगी। भारत की एकता, अखंडता और विशालता को बताने के लिए आम बोलचाल में ‘कश्मीर से कन्याकुमारी’ का जुमला बोला जाता है। राहुल कश्मीर से कन्याकुमार की दूरी को अपने कदमों से नापने जा रहे हैं। यह बेहद महत्वाकांक्षी अभियान है। लेकिन जैसा कि खुद राहुल गांधी ने कहा कि उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा तो जनता के बीच जाने का विकल्प चुनना पड़ा। यह विकल्प उन्हें पहले चुनना चाहिए था। फिर भी देर आए दुरुस्त आए! देर से ही सही वे अपनी पार्टी की किस्मत बदलने और अपनी छवि पर लगे या लगा दिए गए दाग को धोने निकले हैं। यात्रा का घोषित मकसद चाहे जो हो पर उसका असली मकसद यह है कि कांग्रेस की किस्मत और राहुल के बारे में बनी धारणा बदले।

इन्हें भी पढ़े

सांसद रेणुका चौधरी

मालेगांव फैसले के बाद कांग्रेस सांसद के विवादित बोल- हिंदू आतंकवादी हो सकते हैं

July 31, 2025
पूर्व मुख्यमंत्री ज्योति बसु

इस नेता ने लगाया था देश का पहला मोबाइल फोन कॉल, हेलो कहने के लग गए थे इतने हजार

July 31, 2025

‘एक पेड़ मां के नाम’: दिल्ली के सरस्वती कैंप में वृक्षारोपण कार्यक्रम, समाज को दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश!

July 31, 2025
nisar satellite launch

NISAR : अब भूकंप-सुनामी से पहले बजेगा खतरे का सायरन!

July 30, 2025
Load More

इस यात्रा से ये दोनों मकसद हासिल हो सकते हैं। भारत में राजनीतिक यात्राओं के सफल होने का इतिहास रहा है। गांधी पैदल चले थे और एक चुटकी नमक बना कर उन्होंने अंग्रेजी राज की नींव हिला दी थी। आजाद भारत में जितने भी नेताओं ने पदयात्रा या रथयात्राएं कीं उनको कामयाबी मिली। चंद्रशेखर ने 1980 में जनता पार्टी के हारने और बिखर जाने के तीन साल बाद 1983 में कन्याकुमारी के उसी विवेकानंद स्मारक से अपनी भारत यात्रा शुरू की थी, जहां श्रद्धांजलि देकर राहुल ने अपनी यात्रा शुरू की है। चंद्रशेखर को उसके बाद सात साल लगे लेकिन वे देश के प्रधानमंत्री बने। आंध्र प्रदेश के तीन नेताओं ने यात्राएं कीं और तीनों को सत्ता हासिल करने में कामयाबी मिली। पहले एनटी रामाराव ने रथयात्रा की और उसके बहुत बाद में वाईएसआर रेड्डी और फिर उनके बेटे जगन मोहन रेड्डी ने पदयात्रा की। 1984 में लोकसभा की दो सीटों पर सिमट गई भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या की यात्रा की तो भाजपा को सत्ता मिली। तभी कह सकते हैं कि हारे हुए लोग जब हिम्मत करके चलना शुरू करते हैं तो उन्हें देर-सबेर मंजिल मिलती है।
हां, कुछ लोग ऐसे जरूर होते हैं, जिनको चलना शुरू करते ही मंजिल मिल जाती है।

ऐसे लोग भाग्यशाली होते हैं। लेकिन जो लोग चलते हुए ठोकर खाकर गिरते हैं और फिर उठ कर चलना शुरू करते हैं, ऐसे लोग प्रेरणास्रोत बनते हैं, अनुकरणीय होते हैं। यह भी विचित्र बात है कि दुनिया हारे हुए लोगों को हेय दृष्टि से देखती है लेकिन उसी हारे हुए व्यक्ति के संघर्ष का सम्मान करती है, उसे सलाम करती है। अगर हारे हुए व्यक्ति का संघर्ष सफल हो जाए तो वह समुद्र मंथन से मिले अमृत की तरह होता है और संघर्ष से तपा हुए व्यक्ति नया इतिहास लिखता है। दिनकर ने लिखा है- जब विघ्न सामने आते हैं, सोते से हमें जगाते हैं, मन को मरोड़ते हैं पल-पल, तन को झंझोरते हैं पल-पल, सत्पथ की ओर लगा कर ही, जाते हैं हमें जगा कर हीज्ज् जो लाक्षा गृह में जलते हैं, वे ही सूरमा निकलते हैं, बढ़ कर विपत्तियों पर छा जा, मेरे किशोर! मेरे ताज! जीवन का रस छन जाने दे, तन को पत्थर बन जाने दे, तू स्वंय तेज भयकारी है, क्या कर सकती चिनगारी है, बरसों तक वन में घूम घूम, बाधा विघ्नों को चूम चूम, सह धूप घाम पानी पत्थर, पांडव आए कुछ और निखर, सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें आगे क्या होता है!

राहुल को अपनी इस यात्रा से सोते हुए सौभाग्य को जगाना है। राहुल के लिए न हार नई है और न दुख नए हैं। उन्होंने किशोर उम्र में अपनी दादी को आतंकवादियों की गोली खाकर मरते देखा है। जवानी की दहलीज पर खड़े राहुल ने अपने पिता की वीभत्स मौत देखी है। अपनी मां के ऊपर बेहद अभद्र और अश्लील हमले देखे हैं। वे जब राजनीति में उतरे तो कांग्रेस को सत्ता मिली लेकिन खुद राहुल कभी उस सत्ता का हिस्सा नहीं बने। वे चाहते तो भारतीय राजनीति के शिखर पर पहुंचने यानी प्रधानमंत्री बनने का आसान रास्ता चुन सकते थे। उनके सामने प्रधानमंत्री बनने का मौका था। लेकिन उन्होंने मुश्किल रास्ता चुना। उस मुश्किल रास्ते पर वे लगातार हार का सामना कर रहे हैं। उनकी पार्टी दो बार से लोकसभा का चुनाव ऐसे हार रही है कि संसद के निचले सदन में कांग्रेस को मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा भी नहीं मिल पा रहा है। राज्यों में लगातार कांग्रेस हार रही है। उनकी पार्टी छोड़ कर गए गुलाम नबी आजाद ने बताया है कि कांग्रेस पिछले आठ साल में राज्यों के 39 चुनाव हारी है। लेकिन आजाद ने यह नहीं बताया कि कितनी जगहों पर जीतने के बाद राहुल को हराया गया? कितने राज्यों में चुनाव जीत कर या चुनाव बाद गठबंधन करके सरकार बनाने के बाद कांग्रेस की सरकार गिराई गई? इन असफलताओं और साजिशों ने निश्चित रूप से उनको निराश किया होगा इसके बावजूद वे फिर कमर कस कर निकले हैं तो उनका स्वागत होना चाहिए।

वे नेहरू-गांधी परिवार की विरासत और परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं। इतिहास के साथ, नियति के साथ उस परिवार का एक वादा है, जिसे निभाने राहुल सडक़ पर उतरे हैं। यह 137 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी को पुनर्जीवित करने का सबसे बड़ा प्रयास है। अगर वे सफल होते हैं तो यह उनकी निजी सफलता नहीं होगी। यह इतिहास के प्रति उनका कर्तव्य निर्वहन होगा। भारत के महान लोकतंत्र के प्रति जिम्मेदारी निभाना होगा। इस रास्ते में बहुत सी मुश्किलें आएंगी। उनका मुकाबला ऐसी ताकत से है, जिसे अपने विरोधियों के प्रति साम, दाम, दंड, भेद सारे उपाय आजमाने में कोई हिचक नहीं होती है। जिन साधनों से पिछले आठ-दस साल में राहुल गांधी की छवि बिगाडऩे का सफल कार्य हुआ है। वो सारे साधन फिर आजमाए जाएंगे। यात्रा को विफल बनाने के सारे प्रयास होंगे। लेकिन इतिहास गवाह है कि ऐसे प्रयास अंतत: असफल होते हैं।

राहुल की यह यात्रा कांग्रेस की किस्मत बदलने और उनकी खुद की छवि बदलने के साथ साथ भारत को जोडऩे वाली साबित हो सकती है, जिसकी आज सबसे ज्यादा जरूरत है। एक देश और समाज के नाते भारत जातियों, संप्रदायों और प्रांतों में बंटा हुआ है। क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए पहले से मौजूद विभाजन को गहरा किया गया है। राहुल को यह विभाजन मिटाना है और खाई को भरना है। इसलिए उनकी कामयाबी सिर्फ कांग्रेस के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि देश के लिए भी जरूरी है। अंत में कुंवर नारायण की दो पंक्तियां- कोई दुख मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं, वहीं हारा जो लड़ा नहीं।

इन्हें भी पढ़ें

  • All
  • विशेष
  • लाइफस्टाइल
  • खेल

हिमाचल : कांग्रेस नेता की पोस्ट से सियासी भूचाल! कांग्रेस में ‘महाभारत’ की तैयारी?

August 9, 2023
TV journalist

स्वतंत्रता खो रही पत्रकारिता

May 4, 2023

ज्ञान बटोरिए पर पहले थोड़ा टटोलिए!

July 22, 2022
पहल टाइम्स

पहल टाइम्स का संचालन पहल मीडिया ग्रुप्स के द्वारा किया जा रहा है. पहल टाइम्स का प्रयास समाज के लिए उपयोगी खबरों के प्रसार का रहा है. पहल गुप्स के समूह संपादक शूरबीर सिंह नेगी है.

Learn more

पहल टाइम्स कार्यालय

प्रधान संपादकः- शूरवीर सिंह नेगी

9-सी, मोहम्मदपुर, आरके पुरम नई दिल्ली

फोन नं-  +91 11 46678331

मोबाइल- + 91 9910877052

ईमेल- pahaltimes@gmail.com

Categories

  • Uncategorized
  • खाना खजाना
  • खेल
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • दिल्ली
  • धर्म
  • फैशन
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • लाइफस्टाइल
  • विशेष
  • विश्व
  • व्यापार
  • साक्षात्कार
  • सामाजिक कार्य
  • स्वास्थ्य

Recent Posts

  • मालेगांव फैसले के बाद कांग्रेस सांसद के विवादित बोल- हिंदू आतंकवादी हो सकते हैं
  • डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में किन उद्योगों के लिए बजाई खतरे की घंटी!
  • इस नेता ने लगाया था देश का पहला मोबाइल फोन कॉल, हेलो कहने के लग गए थे इतने हजार

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.

  • होम
  • दिल्ली
  • राज्य
  • राष्ट्रीय
  • विश्व
  • धर्म
  • व्यापार
  • खेल
  • मनोरंजन
  • गैजेट्स
  • जुर्म
  • लाइफस्टाइल
    • स्वास्थ्य
    • फैशन
    • यात्रा
  • विशेष
    • साक्षात्कार
  • ईमैगजीन

© 2021 पहल टाइम्स - देश-दुनिया की संपूर्ण खबरें सिर्फ यहां.