प्रकाश मेहरा
एग्जीक्यूटिव एडिटर
नई दिल्ली: भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच 24 जुलाई को ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement – FTA) पर हस्ताक्षर हुए। इस समझौते को ‘कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट’ (CETA) के रूप में जाना जा रहा है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देना, टैरिफ कम करना और आर्थिक सहयोग को मजबूत करना है। यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की उपस्थिति में, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और उनके ब्रिटिश समकक्ष जोनाथन रेनॉल्ड्स द्वारा हस्ताक्षरित किया गया।
टैरिफ में कमी-भारत के लिए
भारत से ब्रिटेन को निर्यात होने वाले 99% उत्पादों पर शून्य या न्यूनतम टैरिफ लागू होगा। वर्तमान में इन पर 4-16% शुल्क लगता है। इससे टेक्सटाइल, चमड़ा, जूते, रत्न-आभूषण, समुद्री उत्पाद, ऑटोमोबाइल पार्ट्स और ऑर्गेनिक रसायन जैसे क्षेत्रों को बड़ा लाभ होगा। ब्रिटेन से भारत आने वाले 90% उत्पादों पर टैरिफ कम या समाप्त होगा। तत्काल प्रभाव से 64% उत्पाद शून्य टैरिफ के दायरे में आएंगे, और बाकी को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
भारत से ब्रिटेन-कृषि उत्पाद
हल्दी, काली मिर्च, इलायची, आम का गूदा, अचार, दालें, फल, सब्जियां, बाजरा, कटहल, जैविक जड़ी-बूटियां, बासमती चावल, कश्मीरी केसर और दार्जिलिंग चाय को शून्य टैरिफ का लाभ मिलेगा। इससे भारतीय किसानों की आय बढ़ेगी और यूके में इन उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
भारत के कपड़े, जूते, और कोल्हापुरी फुटवेयर पर पहले 12% टैक्स लगता था, जो अब शून्य होगा। जयपुर के जेम्स और सूरत के डायमंड को ब्रिटेन में बड़ा बाजार मिलेगा। झींगा, टूना, और मछली के चारे पर टैरिफ 4.2-8.5% से घटकर शून्य होगा। चन्ना पटना के खिलौने, खुर्जा के मिट्टी के बर्तन, मखाना, और शांतिनिकेतन लेदर जैसे उत्पादों को भी लाभ होगा।
ब्रिटेन से भारत-स्कॉच व्हिस्की
भारत में स्कॉच व्हिस्की पर वर्तमान 150% टैरिफ को तत्काल 75% और अगले 10 वर्षों में 40% तक कम करने की योजना है। इससे जॉनी वॉकर ब्लैक लेबल जैसी व्हिस्की की कीमत 4,000-5,000 रुपये से घटकर 2,500-3,000 रुपये हो सकती है।
यूके से आयातित कारों (जैसे जगुआर, लैंड रोवर, रोल्स-रॉयस, बेंटले) पर शुल्क 110% से घटकर 10% होगा, जिससे ये सस्ती होंगी। हालांकि, आयात कोटा निर्धारित होना बाकी है। इलेक्ट्रॉनिक्स, सौंदर्य प्रसाधन, चॉकलेट, बिस्कुट, शीतल पेय, भेड़ का मांस, सैल्मन, और चिकित्सा उपकरण सस्ते हो सकते हैं।
आर्थिक प्रभाव-व्यापार वृद्धि
2023-24 में भारत-यूके व्यापार 21.34 बिलियन डॉलर था, जिसे 2030 तक 120 बिलियन डॉलर तक दोगुना करने का लक्ष्य है। भारत का निर्यात 60% तक बढ़ सकता है। यह समझौता दोनों देशों में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ाएगा। भारतीय आईटी, वित्तीय सेवाओं, और इंजीनियरिंग क्षेत्रों को लाभ होगा। यूके की कंपनियां भारत में मैन्युफैक्चरिंग और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में निवेश बढ़ा सकती हैं। भारतीय पेशेवरों को यूके में 3 साल तक सामाजिक सुरक्षा अंशदान से छूट मिलेगी, जिससे उनकी गतिशीलता बढ़ेगी।
चुनौतियां और संवेदनशील क्षेत्र
भारत ने अपने संवेदनशील कृषि उत्पादों को समझौते से बाहर रखा है, जिससे कुछ कृषि उत्पादों के दाम स्थिर या महंगे हो सकते हैं। ब्रिटेन की प्रस्तावित कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट टैक्स नीति (2026 से लागू) भारतीय निर्यात, खासकर धातु क्षेत्र, पर असर डाल सकती है। समझौते को लागू होने से पहले ब्रिटिश संसद की मंजूरी जरूरी है, जिसमें 6 महीने से 1 साल लग सकता है।
भारत:- टेक्सटाइल, चमड़ा, जूते, खेल सामग्री, खिलौने, समुद्री उत्पाद, रत्न-आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और ऑटोमोबाइल पार्ट्स जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को बड़ा लाभ होगा।
ब्रिटेन:- स्कॉच व्हिस्की, लक्जरी कारें, इलेक्ट्रॉनिक्स और चिकित्सा उपकरण जैसे क्षेत्रों को भारतीय बाजार में बढ़त मिलेगी। भारत दुनिया का सबसे बड़ा व्हिस्की उपभोक्ता बाजार है और टैरिफ कम होने से स्कॉच की बिक्री बढ़ेगी।
राज्य-विशिष्ट लाभ
जम्मू-कश्मीर: पश्मीना शॉल, कश्मीरी केसर, बासमती चावल।
उत्तर प्रदेश: खुर्जा के मिट्टी के बर्तन, मेरठ के खेल सामान।
गुजरात: सूरत के टेक्सटाइल और डायमंड।
तमिलनाडु: कांचीपुरम साड़ी, हल्दी, आईटी सेवाएं।
पश्चिम बंगाल: दार्जिलिंग चाय, शांतिनिकेतन लेदर।
आर्थिक विकास को बढ़ावा
यह समझौता भारत और ब्रिटेन दोनों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है। भारत को अपने श्रम-प्रधान और कृषि उत्पादों के लिए यूके में बड़ा बाजार मिलेगा, जबकि ब्रिटेन को भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार में सस्ते उत्पादों की पहुंच बढ़ेगी। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में कीमतें बढ़ सकती हैं, जैसे ऑटोमोबाइल और स्टील। यह डील दोनों देशों के बीच व्यापार को 2030 तक 120 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखती है, जिससे रोजगार, निवेश और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।