नई दिल्ली: दुनिया भर में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। इस दिन को बढ़ती जनसंख्या और उसके प्रभावों पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए मनाया जाता है। कई रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत विश्व की सबसे ज्यादा जनसंख्या का घर है। ऐसे में बढ़ती जनसंख्या को लेकर हमारी चिंता जायज है। लेकिन इस मामले पर गैर सरकारी संगठन पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की राय अलग है। संगठन के मुताबिक भारत की जनसंख्या एक संकट नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है।
विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर संगठन की तरफ से कहा गया कि भारत में बढ़ती जनसंख्या को लेकर काफी भय और भ्रांतिंयों फैली हुई हैं। ऐसे में नीतिगत बदलाव करते हुए ऐसे नियम बनाने की जरूरत है, जिससे हम महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों की गरिमा, अधिकारों और अवसरों को संरक्षित कर सकें।
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुत्तरेजा ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा,”भारत की जनसंख्या कोई संकट नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण मोड़ है। में ‘अत्यधिक जनसंख्या’ और ‘जनसंख्या गिरावट’ के डर की दुविधा को छोड़कर उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो वास्तव में महत्वपूर्ण हैं जैसे लैंगिक समानता, प्रजनन अधिकारों की स्वतंत्रता, और समावेशी सार्वजनिक निवेश।”
इसके साथ ही संगठन ने भारत के नीति निर्माताओं से अपील करते हुए कहा कि उन्हें जनसंख्या को लेकर भय की नीति को त्याग देना चाहिए। इससे इतर ऐसी नीतियों को बनाना चाहिए, जो देखभाल आधारित और अधिकार आधारित हों। फाउंडेशन ने कहा, “अगर हम अपनी नीतियों में लोगों, खासकर महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों को केंद्र में रखेंगे, तो जनसंख्या से जुड़ी प्रवृत्तियां कोई संकट नहीं बल्कि एक अधिक न्यायसंगत और सशक्त भविष्य की दिशा में रास्ता बन सकती हैं।
आपको बता दें! विश्व जनसंख्या दिवस इस वर्ष वैश्विक थीम “युवाओं को एक निष्पक्ष और आशावान विश्व में अपने मनचाहे परिवार के लिए सशक्त बनाना” के तहत मनाया जा रहा है। विश्व जनसंख्या दिवस मनाने की शुरुआत 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के तहत की गई थी। जुलाई की 11 तारीख इस लिए चुनी गई थी क्योंकि 1987 में इसी दिन विश्व की जनसंख्या 5 अरब तक पहुंच गई थी।