स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान पर किए गए सैन्य हमलों (ऑपरेशन मिडनाइट हैमर) के बाद ईरानी जनता की प्रतिक्रियाएँ गुस्सा, एकजुटता और भय के मिश्रण को दर्शाती हैं। यह अभियान इज़राइल-ईरान युद्ध के हिस्से के रूप में हुआ जो 13 जून से चल रहा है। आइये एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा से विस्तार में समझते हैं।
ईरानी लोगों में गुस्सा और विरोध
अमेरिकी हमलों के बाद ईरान के कई शहरों, विशेष रूप से तेहरान और सारी (माजंदरान प्रांत) में लोग सड़कों पर उतरे। वे अमेरिका और इज़राइल के खिलाफ नारे लगा रहे थे, इन हमलों को “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” और “ईरानी संप्रभुता पर हमला” बता रहे थे। सारी में, जो इज़राइली हमलों से पहले ही प्रभावित था, लोग अपने प्रियजनों के लिए जनाज़े निकाल रहे थे और गुस्से में “इज़राइल और अमेरिका मुर्दाबाद” के नारे लगा रहे थे।
नेतृत्व के समर्थन में रैली
रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने दावा किया कि अमेरिकी हमलों ने ईरानी लोगों को उनके नेतृत्व, विशेष रूप से सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई, के इर्द-गिर्द एकजुट कर दिया है। उन्होंने कहा, “लोग, जिनमें पहले उदासीन या विरोधी थे, अब आध्यात्मिक नेतृत्व के साथ खड़े हैं।”
खामेनेई ने 18 जून को कहा, “ईरानी राष्ट्र थोपे गए युद्ध और थोपी गई शांति दोनों का विरोध करता है। यह राष्ट्र कभी दबाव के आगे नहीं झुकेगा।” इस बयान ने जनता में देशभक्ति की भावना को और भड़काया। कई ईरानियों ने इसे X पर साझा करते हुए लिखा, “हम सरेंडर नहीं करेंगे।”
भय और अनिश्चितता
इज़राइली और अमेरिकी हमलों के बाद, तेहरान के कई निवासियों ने शहर छोड़ना शुरू कर दिया। वे ट्रैफिक जाम और ईंधन की लंबी कतारों का सामना कर रहे थे। कई लोगों ने अपने घरों की “आखिरी तस्वीरें” सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं, यह कहते हुए कि उन्हें नहीं पता कि उनका घर वापस लौटने पर बचेगा या नहीं। एक व्यक्ति ने लिखा, “हमारा घर, हमारी यादें… क्या यह सब खत्म हो जाएगा?”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, तेहरान और करमानशाह में अस्पतालों पर हुए हमलों ने जनता में भय पैदा किया। करमानशाह में एक अस्पताल के पास विस्फोट से 15 कर्मचारी और मरीज़ घायल हुए, जिससे लोग स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को लेकर चिंतित हैं। होर्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने की संसद में उठी मांग ने लोगों को तेल और गैस आपूर्ति बाधित होने की आशंका से डरा दिया। तेल की कीमतों में पहले ही 9% की वृद्धि हो चुकी है, जिसका असर आम जनता की जेब पर पड़ रहा है।
नागरिक हताहतों पर दुख !
वाशिंगटन स्थित ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स ग्रुप के अनुसार, इज़राइली हमलों में 585 लोग मारे गए, जिनमें 239 आम नागरिक थे, और 1,326 घायल हुए। अमेरिकी हमलों में नागरिक हताहतों की सटीक संख्या स्पष्ट नहीं है, लेकिन ईरानी मीडिया ने दावा किया कि कुछ स्वास्थ्य कार्यकर्ता मारे गए। लोग सोशल मीडिया पर अपने रिश्तेदारों की तस्वीरें साझा कर रहे हैं, जैसे, “मेरा भाई एक शिक्षक था, कोई सैनिक नहीं।”
तेहरान में रेड क्रिसेंट एम्बुलेंस पर इज़राइली हमले में दो राहतकर्मियों की मौत ने जनता को झकझोर दिया। लोग इसे “मानवता पर हमला” बता रहे हैं।
आधिकारिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
ईरान की AEOI ने दावा किया कि “अमेरिकी हमलों से परमाणु ठिकानों को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ और कोई रेडिएशन लीक नहीं हुआ। उन्होंने इसे “अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन” बताया और कानूनी कार्रवाई शुरू करने की बात कही।
विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि “अमेरिकी हमले “हमेशा के लिए परिणाम भुगतेंगे” और ईरान “सभी विकल्पों” पर विचार कर रहा है। उन्होंने कूटनीति को फिलहाल अस्वीकार कर दिया।”
संयुक्त राष्ट्र में ईरानी राजदूत उन्होंने कहा कि अमेरिका ने “कूटनीति को नष्ट करने का फैसला किया” और ईरानी सेना जवाबी कार्रवाई का समय, प्रकृति, और पैमाना तय करेगी।
अमेरिकी हमलों के बाद ईरानी लोग गुस्से, दुख, और भय के मिश्रित भावों से गुज़र रहे हैं। सारी और तेहरान जैसे शहरों में लोग अपने प्रियजनों को खोने का शोक मना रहे हैं, जबकि कई अपने घर छोड़कर भाग रहे हैं। खामेनेई और सरकार के प्रति समर्थन बढ़ा है, जैसा कि सड़कों पर रैलियों और सोशल मीडिया पर दिखता है। हालांकि, स्वास्थ्य और आर्थिक संकट ने जनता को चिंतित कर दिया है।