नई दिल्ली : एसआईआर को लेकर सुप्रीम कोर्ट चल रही सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि मैं चाहता हूं कि कोर्ट योगेंद्र यादव को 10 मिनट का समय दें, ताकि वे SIR के कारण महिलाओं, मुसलमानों आदि के अनुपातहीन बहिष्कार की वास्तविक पृष्ठभूमि बता सकें. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन आप आगे कैसे बढ़ना चाहते हैं? SIR की वैधता पर या…?
इसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में कहा कि जिन लोगों के नाम सूची से हटाए गए हैं, उन्हें न तो कोई नोटिस मिला, न ही कोई कारण बताया गया. उन्होंने कहा कि तीसरी बात, अपील का प्रावधान तो है, लेकिन जानकारी ही नहीं दी गई तो अपील कैसे करेंगे? वहीं, चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने दलील दी कि जिन भी लोगों के नाम सूची से हटाए गए हैं, उन्हें आदेश की जानकारी दी गई है.
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “अगर कोई हमें सूची दे सके कि 3.66 लाख मतदाताओं में से किन लोगों को आदेश की जानकारी नहीं दी गई, तो हम चुनाव आयोग को निर्देश देंगे कि उन्हें जानकारी दी जाए. हर व्यक्ति को अपील का अधिकार है.”
योगेंद्र यादव दे सकते हैं जानकारी
प्रशांत भूषण ने दलील दी कि चुनाव आयोग को अपने ही नियमों के तहत प्रतिदिन प्राप्त आपत्तियों का विवरण अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करना चाहिए था. उन्होंने कहा, “इसीलिए हम कह रहे हैं कि ये सारी जानकारियां वेबसाइट पर डालनी चाहिए थीं. उनके नियमों में स्पष्ट है कि हर दिन के अंत में प्रत्येक मतदाता से जुड़ी प्राप्त आपत्तियों की जानकारी प्रकाशित की जानी चाहिए. वे कह रहे हैं कि 3.66 लाख नाम आपत्तियों के आधार पर हटाए गए हैं. योगेन्द्र यादव इस पर तथ्यात्मक जानकारी दे सकते हैं
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर हम अंधेरे में रहेंगे तो कोई समाधान नहीं निकल सकता. वहीं जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने कहा कि योगेन्द्र यादव व्यक्तिगत रूप से एक हलफनामा देकर स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने भी कहा कि आज भी विस्तृत (disaggregated) डेटा उपलब्ध है, लेकिन हम अंधेरे में रखे गए हैं. चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि सब लोग हवा में कह रहे हैं कि उन्हें जानकारी नहीं है. किसी को हलफनामा दाखिल करना चाहिए. इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि किसी को तो हलफनामा दाखिल करना होगा कि वह प्रभावित व्यक्ति है.
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ऐसा करने के लिए और जानकारी की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि कुल 65 लाख नाम डिलीट किए गए थे, जिनमें से 42 लाख को वापस जोड़ा गया है. शेष नाम अभी भी हटे हुए हैं. जस्टिस कांत ने स्पष्ट किया कि फिलहाल अदालत संख्या पर नहीं, बल्कि कुछ संभावित उदाहरणों की पहचान पर ध्यान दे रही है. उन्होंने कहा, “अगर मुझे पता है कि संशोधित वोटर लिस्ट में मेरा नाम नहीं है, तो मैं हलफनामा दाखिल कर सकता हूं.”