स्पेशल डेस्क/नई दिल्ली: भारतीय सशस्त्र बलों ने समय-समय पर आतंकवाद और बाहरी खतरों के खिलाफ निर्णायक कार्यवाही की हैं। ऑपरेशन सिंदूर, लिली और बंदर सहित कुछ प्रमुख ऑपरेशनों ने न केवल भारत की सैन्य ताकत को प्रदर्शित किया, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को भी रेखांकित किया। नीचे नौ प्रमुख भारतीय सैन्य ऑपरेशनों की कहानी सिलसिलेवार ढंग से जानिए एग्जीक्यूटिव एडिटर प्रकाश मेहरा की विशेष रिपोर्ट जो शौर्य, रणनीति और देशभक्ति की गाथा है।
ऑपरेशन कैक्टस लिली (1971 भारत-पाक युद्ध)
दिसंबर 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ा। पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना की बर्बरता के खिलाफ भारत ने हस्तक्षेप किया। भारतीय सेना और वायुसेना ने मेघना नदी को पार कर आशुगंज/भैरब बाज़ार में पाकिस्तानी रक्षा चौकियों को भेदा। भारतीय सेनाओं ने तेजी से ढाका की ओर बढ़त बनाई।
इस ऑपरेशन ने पाकिस्तानी सेना को घुटने टेकने पर मजबूर किया, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ। लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, जो विश्व इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना थी। यह भारत की सामरिक और हवाई रणनीति का शानदार उदाहरण था।
ऑपरेशन ट्राइडेंट (1971 भारत-पाक युद्ध)
4-5 दिसंबर 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह पर हमला किया। भारतीय नौसेना ने मिसाइल बोट्स का उपयोग कर कराची बंदरगाह पर हमला किया। इस ऑपरेशन में पहली बार क्षेत्र में एंटी-शिप मिसाइलों का उपयोग हुआ।पाकिस्तानी नौसेना के जहाजों और तेल डिपो को नष्ट किया गया। कराची बंदरगाह में भारी तबाही हुई और पाकिस्तानी नौसेना की रीढ़ टूट गई। भारत ने समुद्री नियंत्रण हासिल किया। इस ऑपरेशन ने भारतीय नौसेना की आक्रामक क्षमता को दुनिया के सामने लाया।
ऑपरेशन पायथन (1971 भारत-पाक युद्ध)
8-9 दिसंबर 1971 ऑपरेशन ट्राइडेंट की सफलता के बाद भारतीय नौसेना ने कराची पर दूसरा हमला किया। भारतीय नौसेना ने एक बार फिर मिसाइल बोट्स और अन्य युद्धपोतों के साथ कराची बंदरगाह पर हमला किया। इस बार भी तेल डिपो और नौसैनिक सुविधाओं को निशाना बनाया गया।
पाकिस्तान की समुद्री शक्ति को और कमजोर किया गया, जिसने 1971 युद्ध में भारत की जीत को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह ऑपरेशन ट्राइडेंट का पूरक था और भारतीय नौसेना की लगातार आक्रामक रणनीति को दर्शाता है।
ऑपरेशन ब्लू स्टार (1984)
जून 1984 पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई। स्वर्ण मंदिर, अमृतसर में आतंकवादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों ने कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर में ऑपरेशन शुरू किया। टैंकों और भारी हथियारों का उपयोग कर आतंकवादियों को मार गिराया गया। भिंडरावाले और उनके कई समर्थक मारे गए, लेकिन इस ऑपरेशन में कई नागरिक हताहत भी हुए, जिससे विवाद उत्पन्न हुआ। यह आंतरिक सुरक्षा के लिए एक जटिल और संवेदनशील ऑपरेशन था, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता को दर्शाता है।
ऑपरेशन मेघदूत (1984)
अप्रैल 1984 सियाचिन ग्लेशियर पर भारत और पाकिस्तान के बीच क्षेत्रीय विवाद। पाकिस्तान ने इस क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश की थी। भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन शुरू किया। सैनिकों ने अत्यंत ठंड और कठिन परिस्थितियों में ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित किया। भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर पूर्ण नियंत्रण हासिल किया, जो आज भी दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र है। यह ऑपरेशन भारतीय सेना की उच्च ऊंचाई पर युद्ध लड़ने की क्षमता और साहस का प्रतीक है।
ऑपरेशन पवन (1987-1990)
1987-1990 श्रीलंका में तमिल उग्रवाद के खिलाफ भारतीय शांति सेना (IPKF) की कार्रवाई। भारत ने श्रीलंका सरकार के अनुरोध पर LTTE (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) के खिलाफ हस्तक्षेप किया। भारतीय सेना ने श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी हिस्सों में LTTE के ठिकानों पर हमले किए। यह एक लंबा और जटिल ऑपरेशन था। LTTE को कमजोर किया गया, लेकिन भारी नुकसान और राजनीतिक जटिलताओं के कारण IPKF को वापस बुलाया गया। यह भारत की क्षेत्रीय शांति स्थापना की कोशिश थी, लेकिन चुनौतियों ने इसे विवादास्पद बनाया।
ऑपरेशन विजय (1999)
कारगिल युद्ध… 1999 में, पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ की, जिसके जवाब में भारत ने ऑपरेशन विजय शुरू किया। इस अभियान में भारतीय सेना ने ऊंची चोटियों पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे घुसपैठियों को खदेड़ दिया। भारतीय वायुसेना ने ऑपरेशन सफेद सागर के तहत सटीक हवाई हमलों के साथ समर्थन प्रदान किया। इस युद्ध में भारत की जीत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी स्थिति को और मजबूत किया।
ऑपरेशन सफेद सागर (1999)
कारगिल युद्ध में वायु शक्ति का प्रदर्शन… ऑपरेशन सफेद सागर (Operation Safed Sagar) 1999 के कारगिल युद्ध में भारतीय वायुसेना की भूमिका का कोडनेम था। इस अभियान का उद्देश्य नियंत्रण रेखा के साथ कारगिल क्षेत्र में भारतीय चौकियों पर कब्जा करने बाले पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों को खदेड़ना था। यह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में वायु शक्ति का पहला बड़े पैमाने पर उपयोग था।
सर्जिकल स्ट्राइक (2016)
28-29 सितंबर 2016: 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड मुख्यालय पर आतंकी हमले में 19 जवान शहीद हुए। हमले के लिए जैश-ए-मोहम्मद को जिम्मेदार ठहराया गया। भारतीय विशेष बलों ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी लॉन्च पैड्स को नष्ट किया। सटीक हमलों में कई आतंकी मारे गए। आतंकी ढांचे को भारी नुकसान हुआ और भारत ने दुनिया को अपनी आतंकवाद विरोधी नीति का सख्त संदेश दिया। यह भारत की पहली सार्वजनिक रूप से स्वीकृत सर्जिकल स्ट्राइक थी, जिसने पाकिस्तान को सकते में डाल दिया।
ऑपरेशन बंदर (बालाकोट एयर स्ट्राइक, 2019)
26 फरवरी 2019 : 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF के काफिले पर आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हुए। जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण शिविर पर हवाई हमला किया। मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने सटीक बमबारी की।
आतंकी शिविर नष्ट हुए और अनुमानित 300 आतंकी मारे गए। पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की कोशिश की, लेकिन भारतीय वायुसेना ने इसे नाकाम कर दिया। यह पहली बार था जब भारत ने पाकिस्तान की मुख्यभूमि पर हवाई हमला किया, जिसने भारत की आक्रामक रणनीति को दर्शाया।
ऑपरेशन सिंदूर (2025)
6-7 मई 2025 : 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें कई नवविवाहित पुरुष शामिल थे। हमले ने देशभर में आक्रोश पैदा किया।
भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने संयुक्त रूप से पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद और मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय नष्ट किए गए। 24 मिसाइलों और कामिकेज़ ड्रोन का उपयोग हुआ। ऑपरेशन 25 मिनट में पूरा हुआ (1:05 AM से 1:30 AM)। अनुमानित 90 आतंकी मारे गए। भारत ने साफ किया कि केवल आतंकी ठिकाने निशाना बनाए गए, न कि पाकिस्तानी सेना। ऑपरेशन के 9 घंटे बाद कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में वीडियो सबूत पेश किए।
ऑपरेशन का नाम ‘सिंदूर’ पीएम मोदी ने सुझाया, जो पहलगाम हमले में विधवा हुई महिलाओं के सुहाग का प्रतीक था। यह भावनात्मक और रणनीतिक रूप से शक्तिशाली संदेश था।
आतंकवाद के खिलाफ भारत की आक्रामक नीति !
इन नौ ऑपरेशनों ने भारत की सैन्य क्षमता, रणनीतिक बुद्धिमत्ता और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प को बार-बार साबित किया। ऑपरेशन कैक्टस लिली, ट्राइडेंट, और पायथन ने 1971 युद्ध में भारत की जीत सुनिश्चित की, जबकि मेघदूत और पवन ने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता दिखाई। ब्लू स्टार जैसे ऑपरेशन आंतरिक चुनौतियों से निपटने के लिए थे, जबकि सर्जिकल स्ट्राइक, ऑपरेशन बंदर और ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की आक्रामक नीति को रेखांकित किया।
ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल पहलगाम हमले का बदला लिया, बल्कि उरी (2016) और पुलवामा (2019) जैसे पुराने हमलों का हिसाब भी चुकता किया। यह भारत के ‘न भूलते हैं, न माफ करते हैं’ के संदेश का प्रतीक है।